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Betul News: उफनती नदी के बीच प्रसव पीड़ा, बैलगाड़ी बनी जिंदगी का सहारा; वायरल वीडियो ने खोली विकास की पोल
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बैतूल
Published by: हिमांशु प्रियदर्शी
Updated Tue, 29 Jul 2025 04:04 PM IST
सार
Betul News: समाजसेवी राजेंद्र गढ़वाल ने बताया कि भाजी नदी हर साल बरसात के मौसम में गांव वालों के लिए मुसीबत बन जाती है। कई बार पुल निर्माण की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपे गए, आंदोलन हुए, लेकिन हर बार केवल आश्वासन मिला और समस्या जस की तस बनी रही।
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वायरल वीडियो के स्क्रीनग्रैब
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बैतूल जिले से एक दिल दहला देने वाला वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जो न सिर्फ एक आपातकालीन स्थिति से रूबरू कराता है, बल्कि प्रशासनिक उदासीनता और अधूरी बुनियादी सुविधाओं की कहानी भी कहता है। चिचोली विकासखंड के बोड़ रैयत गांव की एक गर्भवती महिला को बैलगाड़ी पर लिटाकर उफनती नदी पार कर अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उसने सुरक्षित प्रसव किया।
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उफनती नदी में बैलगाड़ी बनी एकमात्र सहारा
यह घटना रविवार को उस वक्त घटी जब गांव की महिला सुनीता पति बबलू उईके को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हुई। गांव में न तो प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा है, न ही सड़क संपर्क। और सबसे बड़ा संकट यह कि गांव के ठीक सामने बहने वाली भाजी नदी पर आज तक कोई पुल नहीं बन पाया है। बारिश के मौसम में यह नदी उफान पर होती है, जिससे संपर्क पूरी तरह कट जाता है।
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ऐसे में गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाना एक चुनौती बन गया। गांव वालों ने मिलकर बैलगाड़ी की व्यवस्था की और सुनीता को उस पर लिटाकर नदी पार कराने की कोशिश की। नदी का बहाव तेज था, लेकिन ग्रामीणों ने साहस दिखाते हुए बैलगाड़ी को आगे-पीछे से घेर कर उसे सुरक्षित पार करवाया।
समय पर मदद मिलने से बची जानें
नदी पार करने के बाद महिला को तुरंत चिरापाटला स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया, जहां नर्स पूनम उईके की निगरानी में सुरक्षित प्रसव हुआ और सुनीता ने एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया। महिला के पति बबलू उईके ने बताया कि अगर समय पर गांव वालों का सहयोग न मिला होता, तो कोई भी अनहोनी हो सकती थी।
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वर्षों से अधूरी मांग, प्रशासन खामोश
इस घटना ने एक बार फिर गांव में वर्षों से लंबित पुल निर्माण की मांग को सुर्खियों में ला दिया है। समाजसेवी राजेंद्र गढ़वाल ने बताया कि भाजी नदी हर साल बरसात के मौसम में गांव वालों के लिए मुसीबत बन जाती है। कई बार पुल निर्माण की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपे गए, आंदोलन हुए, लेकिन हर बार केवल आश्वासन मिला और समस्या जस की तस बनी रही।