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Bhopal: सरकार का कर्ज संकट, कमलनाथ बोले आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया, वार्षिक बजट से भी ज्यादा हो गया MP का कर्ज
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: संदीप तिवारी
Updated Wed, 26 Mar 2025 05:12 PM IST
सार
Government debt पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सरकार द्वारा लिए जा रहे कर्ज पर सवाल खड़े किए हैं।उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकार का कर्ज संकट ‘आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपैया’ वाली स्थिति में पहुंच गया है। कर्ज की स्थिति अब सरकार के वार्षिक बजट से भी ज्यादा हो गया है।
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पूर्व सीएम कमलनाथ
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लिए जा रहे कर्ज पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का कर्ज संकट ‘आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपैया’ वाली स्थिति में पहुंच गया है। कर्ज की स्थिति अब सरकार के वार्षिक बजट से भी ज्यादा हो गया है। कमलनाथ ने कहा कि एमपी में विकास के नाम पर सिर्फ घोटाले हो रहे हैं।
प्रदेश में विकास के नाम पर सिर्फ़ घोटाले
दरअसल पूर्व सीएम कमलनाथ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि प्रदेश सरकार ने दो हफ़्ते पहले जो बजट पेश किया वह 4.2 लाख करोड़ रुपये का था, जबकि मंगलवार को सरकार ने 4400 करोड़ रुपये का जो अतिरिक्त लोन लेने की औपचारिकताएं पूरी कीं, उसके बाद प्रदेश सरकार के ऊपर 4.3 लाख करोड़ रुपया से अधिक का कर्ज़ हो गया है। प्रदेश सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 61,400 करोड़ रुपये का कर्ज़ लिया है। प्रदेश को इतने जबरदस्त कर्ज संकट में धकेलने के बावजूद प्रदेश में विकास के नाम पर सिर्फ़ घोटाले हो रहे हैं। इस तरह से लाखों करोड़ रुपये का यह कर्ज़ प्रदेश के विकास में नहीं, बल्कि सत्ताधारी पार्टी और उससे जुड़े लोगों की जेब में भ्रष्टाचार के रूप में जा रहा है।
यह भी पढ़ें-सरकारी विभागों में दिव्यांगों के लिए 60 फीसदी पद खाली, 37 हजार से ज्यादा सीटें आरक्षित
कर्ज लेने की प्रवृत्ति अब एक महामारी बन गई
पूर्व सीएम कमलनाथ ने उकहा कि ‘कर्ज कि इस रकम को कभी मध्य प्रदेश की जनता कार में रखे करोड़ों रुपया और सोने के रूप में देखती है, कभी धान घोटाले के रूप में देखती है, कभी राशन घोटाले के रूप में देखती है, कभी भर्ती घोटाले के रूप में देखती है तो कभी बेरोजगारों की बढ़ती संख्या के रुप में देखती है। प्रदेश में नौकरियां कम हो रहीं, हैं, रोजगार कम हो रहा है, किसानों की आमदनी कम हो रही है, स्कूलों की संख्या कम हो रही है और स्कूलों में छात्रों की संख्या कम हो रही, सरकारी स्कूल कॉलेज में शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं और आवश्यक वस्तुएं लगातार महंगी हो रही हैं, तो फिर आख़िर कर्ज की इस रक़म का उपयोग कहां हो रहा है? इस रक़म का उपयोग भ्रष्टाचार और सरकारी इवेंटबाज़ी में हो रहा है। बड़े बड़े विज्ञापनों और आयोजनों में हो रहा है। कर्ज लेने की प्रवृत्ति अब एक महामारी बन गई है, जिससे मध्य प्रदेश की जनता छुटकारा चाहती है।
यह भी पढ़ें-मध्यप्रदेश में तीन दिन में पांच डिग्री तापमान बढ़कर 40 पहुंचा, आगामी दो दिन तक तेज गर्मी का अलर्ट
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प्रदेश में विकास के नाम पर सिर्फ़ घोटाले
दरअसल पूर्व सीएम कमलनाथ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि प्रदेश सरकार ने दो हफ़्ते पहले जो बजट पेश किया वह 4.2 लाख करोड़ रुपये का था, जबकि मंगलवार को सरकार ने 4400 करोड़ रुपये का जो अतिरिक्त लोन लेने की औपचारिकताएं पूरी कीं, उसके बाद प्रदेश सरकार के ऊपर 4.3 लाख करोड़ रुपया से अधिक का कर्ज़ हो गया है। प्रदेश सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 61,400 करोड़ रुपये का कर्ज़ लिया है। प्रदेश को इतने जबरदस्त कर्ज संकट में धकेलने के बावजूद प्रदेश में विकास के नाम पर सिर्फ़ घोटाले हो रहे हैं। इस तरह से लाखों करोड़ रुपये का यह कर्ज़ प्रदेश के विकास में नहीं, बल्कि सत्ताधारी पार्टी और उससे जुड़े लोगों की जेब में भ्रष्टाचार के रूप में जा रहा है।
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कर्ज लेने की प्रवृत्ति अब एक महामारी बन गई
पूर्व सीएम कमलनाथ ने उकहा कि ‘कर्ज कि इस रकम को कभी मध्य प्रदेश की जनता कार में रखे करोड़ों रुपया और सोने के रूप में देखती है, कभी धान घोटाले के रूप में देखती है, कभी राशन घोटाले के रूप में देखती है, कभी भर्ती घोटाले के रूप में देखती है तो कभी बेरोजगारों की बढ़ती संख्या के रुप में देखती है। प्रदेश में नौकरियां कम हो रहीं, हैं, रोजगार कम हो रहा है, किसानों की आमदनी कम हो रही है, स्कूलों की संख्या कम हो रही है और स्कूलों में छात्रों की संख्या कम हो रही, सरकारी स्कूल कॉलेज में शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं और आवश्यक वस्तुएं लगातार महंगी हो रही हैं, तो फिर आख़िर कर्ज की इस रक़म का उपयोग कहां हो रहा है? इस रक़म का उपयोग भ्रष्टाचार और सरकारी इवेंटबाज़ी में हो रहा है। बड़े बड़े विज्ञापनों और आयोजनों में हो रहा है। कर्ज लेने की प्रवृत्ति अब एक महामारी बन गई है, जिससे मध्य प्रदेश की जनता छुटकारा चाहती है।
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