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Bhopal News: बीयू में हाईटेक हुए नकलची, AI से बनी माइक्रो पर्चियां लेकर पहुंचे परीक्षा केंद्र, तीन छात्र पकड़े
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: संदीप तिवारी
Updated Mon, 24 Nov 2025 07:02 PM IST
सार
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में पूरक परीक्षाओं के दौरान नकल के तरीके भी हाईटेक होते जा रहे हैं। अब विद्यार्थी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से सूक्ष्म अक्षरों वाली माइक्रो पर्चियां बनाकर परीक्षा देने पहुंच रहे हैं, जिन्हें पकड़ना बेहद मुश्किल हो गया है।
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बीयू भोपाल
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय में चल रही पूरक परीक्षाओं के दौरान इस बार नकल के नए और हाईटेक तरीके सामने आए हैं। परीक्षा निरीक्षण के दौरान उड़नदस्ते ने तीन छात्रों को पकड़ा, जिनके पास से ऐसी माइक्रो पर्चियां मिलीं। जांच में पता चला कि ये पर्चियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से तैयार की गई थीं और इन्हें बेहद बारीक फॉन्ट में प्रिंट किया गया था। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे अब तक का सबसे उन्नत नकल तरीका बताया है।
एआई से तैयार अल्ट्रा-फाइन पर्चियां, आंखों से पढ़ना मुश्किल
विवि अधिकारियों के मुताबिक जब छात्रों की गतिविधि संदिग्ध लगी, तो उनकी तलाशी ली गई। इस दौरान जो पर्चियां मिलीं, वे इतनी माइक्रो थीं कि सामान्य कागज जैसी दिखाई भी नहीं देती थीं। अक्षर इतने सूक्ष्म थे कि निरीक्षक को पढ़ने के लिए मोबाइल के मैग्निफायर का सहारा लेना पड़ा। प्राथमिक जांच में सामने आया कि इंटरनेट पर उपलब्ध एआई टूल्स से इन पर्चियों को तैयार किया गया था, जो फॉन्ट साइज को अत्यंत न्यूनतम स्तर तक कम कर देते हैं।
उड़नदस्ते ने तुरंत कार्रवाई की
जैसे ही यह तकनीक आधारित नकल सामने आई, उड़नदस्ते ने तीनों छात्रों को परीक्षा से बाहर कर दिया और मामले की रिपोर्ट विश्वविद्यालय प्रबंधन को भेज दी। अधिकारियों का कहना है कि यह पहली बार है जब बीयू में एआई आधारित माइक्रो पर्चियों का इस्तेमाल पकड़ में आया है।
यह भी पढ़ें-भोपाल बना प्रदेश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर, कई शहर वेरी पुअर श्रेणी में पहुंचे
कैंपस में बढ़ाई जाएगी निगरानी
घटना के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने सभी परीक्षा केंद्रों में सख्ती बढ़ाने का निर्णय लिया है। निरीक्षकों को साफ निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी संदिग्ध हरकत पर तुरंत तलाशी की जाए और तकनीक से तैयार नकल सामग्री को पहचानने के लिए अतिरिक्त प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। विवि ने यह भी संभावना जताई है कि कुछ और छात्रों ने भी ऐसे तरीके अपनाने की कोशिश की होगी, जिनकी अब जांच की जाएगी।
यह भी पढ़ें-आज कुआं प्यासे के पास आया है..,' सीएम डॉ. यादव ने पंचायतों को बताया विकास का आधार
तकनीक के सहारे नकल-बढ़ती चुनौती
विशेषज्ञों के अनुसार, छात्रों द्वारा नकल के लिए एआई का इस्तेमाल उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए नई चुनौती बनकर उभर रहा है। पहले जहां नकल पर्चियों का आकार सामान्य होता था, वहीं अब इन्हें माइक्रो लेवल पर प्रिंट कर छुपाना आसान हो गया है। विवि अधिकारियों ने माना कि तकनीक का गलत उपयोग रोकने के लिए परीक्षा व्यवस्था को भी अपग्रेड करना होगा।
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एआई से तैयार अल्ट्रा-फाइन पर्चियां, आंखों से पढ़ना मुश्किल
विवि अधिकारियों के मुताबिक जब छात्रों की गतिविधि संदिग्ध लगी, तो उनकी तलाशी ली गई। इस दौरान जो पर्चियां मिलीं, वे इतनी माइक्रो थीं कि सामान्य कागज जैसी दिखाई भी नहीं देती थीं। अक्षर इतने सूक्ष्म थे कि निरीक्षक को पढ़ने के लिए मोबाइल के मैग्निफायर का सहारा लेना पड़ा। प्राथमिक जांच में सामने आया कि इंटरनेट पर उपलब्ध एआई टूल्स से इन पर्चियों को तैयार किया गया था, जो फॉन्ट साइज को अत्यंत न्यूनतम स्तर तक कम कर देते हैं।
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उड़नदस्ते ने तुरंत कार्रवाई की
जैसे ही यह तकनीक आधारित नकल सामने आई, उड़नदस्ते ने तीनों छात्रों को परीक्षा से बाहर कर दिया और मामले की रिपोर्ट विश्वविद्यालय प्रबंधन को भेज दी। अधिकारियों का कहना है कि यह पहली बार है जब बीयू में एआई आधारित माइक्रो पर्चियों का इस्तेमाल पकड़ में आया है।
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कैंपस में बढ़ाई जाएगी निगरानी
घटना के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने सभी परीक्षा केंद्रों में सख्ती बढ़ाने का निर्णय लिया है। निरीक्षकों को साफ निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी संदिग्ध हरकत पर तुरंत तलाशी की जाए और तकनीक से तैयार नकल सामग्री को पहचानने के लिए अतिरिक्त प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। विवि ने यह भी संभावना जताई है कि कुछ और छात्रों ने भी ऐसे तरीके अपनाने की कोशिश की होगी, जिनकी अब जांच की जाएगी।
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तकनीक के सहारे नकल-बढ़ती चुनौती
विशेषज्ञों के अनुसार, छात्रों द्वारा नकल के लिए एआई का इस्तेमाल उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए नई चुनौती बनकर उभर रहा है। पहले जहां नकल पर्चियों का आकार सामान्य होता था, वहीं अब इन्हें माइक्रो लेवल पर प्रिंट कर छुपाना आसान हो गया है। विवि अधिकारियों ने माना कि तकनीक का गलत उपयोग रोकने के लिए परीक्षा व्यवस्था को भी अपग्रेड करना होगा।