{"_id":"6923d9b01d21a9a33607c7cd","slug":"pollution-crisis-escalates-in-mp-bhopal-becomes-the-second-most-polluted-city-in-the-state-several-cities-re-2025-11-24","type":"story","status":"publish","title_hn":"MP में बढ़ा प्रदूषण संकट: भोपाल बना प्रदेश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर, कई शहर वेरी पुअर श्रेणी में पहुंचे","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
MP में बढ़ा प्रदूषण संकट: भोपाल बना प्रदेश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर, कई शहर वेरी पुअर श्रेणी में पहुंचे
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: संदीप तिवारी
Updated Mon, 24 Nov 2025 09:41 AM IST
सार
मध्य प्रदेश में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। राज्य के कई शहरों में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में दर्ज की गई है और भोपाल भी गंभीर प्रदूषण की चपेट में आ गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि सिंगरौली, भोपाल, ग्वालियर में AQI 300 के पार चला गया है, जिससे सांस और हृदय संबंधी मरीजों के लिए खतरा बढ़ गया है।
विज्ञापन
प्रदूषण
- फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन
विस्तार
मध्य प्रदेश में हवा की गुणवत्ता लगातार बिगड़ रही है और अब राजधानी भोपाल भी गंभीर प्रदूषण की चपेट में है। हालात इतने गंभीर हैं कि राज्य के कई शहर अब दिल्ली जैसी प्रदूषण श्रेणी में पहुंच गए हैं। सिंगरौली सबसे प्रदूषित शहर बनकर उभरा है, जहां ट्रॉमा सेंटर पर AQI 356 दर्ज किया गया। वहीं भोपाल भी खतरनाक स्थिति में टीटी नगर में AQI 347, कलेक्ट्रेट में 321 और पर्यावरण परिसर में 303 रिकॉर्ड हुआ। तीनों लोकेशन Very Poor कैटेगरी में आ गए हैं। ग्वालियर में महाराज बाड़ा और डीडी नगर की हवा AQI 308 और 309 तक पहुंची, जबकि इंदौर के छोटी ग्वालटोली में AQI 304 मिला। प्रदेश के कई औद्योगिक शहर-पीथमपुर, मंडीदीप और सागर में भी एक्यूआई 300 से ऊपर रहा।
पराली और निर्माण कार्य से बढ़ रहा प्रदूषण
विशेषज्ञों का कहना है कि राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के पीछे निर्माण स्थलों की धूल और आसपास के क्षेत्रों में जलाई जा रही पराली प्रमुख कारण हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, इस महीने शहर के आसपास पराली जलाने के 50 से अधिक मामले दर्ज किए गए। इसके साथ ही उखड़ी सड़कें, खुले में जमा मलबा और निर्माण गतिविधियों से उड़ने वाली बारीक धूल भी हवा की गुणवत्ता को खराब कर रही है।
ट्रैफिक पीक ऑवर में फॉगर का इस्तेमाल
नगर निगम ट्रैफिक के अधिक दबाव वाले समय-सुबह 9 से 12 बजे और शाम 4 से 6 बजे-फॉगर मशीनों से धूल को दबाने का काम कर रहा है। कई मुख्य सड़कों पर नियमित रूप से पानी का छिड़काव और सफाई की जा रही है।
रात में क्यों बढ़ जाता है PM 2.5 स्तर
शहर में PM10 का स्तर लगातार ऊंचा है, जिसका मुख्य कारण सड़क धूल और वाहन प्रदूषण है। वहीं PM2.5 की मात्रा रात 8 बजे से सुबह 4 बजे के बीच सबसे अधिक दर्ज की जाती है। ठंड के मौसम में धुआं और प्रदूषक गैसें वातावरण में ऊपर नहीं उठ पातीं और जमीन के पास जमा रहती हैं। इसलिए रात का समय सबसे ज्यादा प्रदूषित होता है।
यह भी पढ़ें-10 दिन तक बदले रहेंगे रास्ते,रात में ट्रैफिक डायवर्ट,भारी-हल्के वाहनों के लिए अलग रूट तय
विशेषज्ञों की सलाह
डॉ. पराग शर्मा, वरिष्ठ श्वांस रोग विशेषज्ञ, गांधी मेडिकल कॉलेज, ने बताया कि प्रदूषण बढ़ने पर सांस के मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है। विशेषकर अस्थमा तेजी से बढ़ सकता है। गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे बिना मास्क के बाहर न निकलें। हवा में मौजूद सूक्ष्म कण आंख, नाक और गले में जलन पैदा करते हैं। प्रदूषण के दौरान कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन, सल्फर डाइऑक्साइड और पर्टिकुलेट मैटर बढ़ जाते हैं, इसलिए सुबह भारी एक्सरसाइज से बचना चाहिए।
यह भी पढ़ें-एमबीबीएस व एमडी डॉक्टरों को हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेटर बनाने की मांग, डिप्टी सीएम को लिखा पत्र
क्यों जरूरी है पानी का छिड़काव
क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण मंडल बृजेश शर्माके अनुसार बारिश जैसी परिस्थितियों में पानी धूल को नीचे बैठा देता है। ठंड के मौसम में प्रदूषक ज्यादा देर तक हवा में टिके रहते हैं, इसलिए सड़कों पर पानी का छिड़काव जरूरी होता है। यह हवा में फैले भारी कणों को नियंत्रित कर
Trending Videos
पराली और निर्माण कार्य से बढ़ रहा प्रदूषण
विशेषज्ञों का कहना है कि राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के पीछे निर्माण स्थलों की धूल और आसपास के क्षेत्रों में जलाई जा रही पराली प्रमुख कारण हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, इस महीने शहर के आसपास पराली जलाने के 50 से अधिक मामले दर्ज किए गए। इसके साथ ही उखड़ी सड़कें, खुले में जमा मलबा और निर्माण गतिविधियों से उड़ने वाली बारीक धूल भी हवा की गुणवत्ता को खराब कर रही है।
विज्ञापन
विज्ञापन
ट्रैफिक पीक ऑवर में फॉगर का इस्तेमाल
नगर निगम ट्रैफिक के अधिक दबाव वाले समय-सुबह 9 से 12 बजे और शाम 4 से 6 बजे-फॉगर मशीनों से धूल को दबाने का काम कर रहा है। कई मुख्य सड़कों पर नियमित रूप से पानी का छिड़काव और सफाई की जा रही है।
रात में क्यों बढ़ जाता है PM 2.5 स्तर
शहर में PM10 का स्तर लगातार ऊंचा है, जिसका मुख्य कारण सड़क धूल और वाहन प्रदूषण है। वहीं PM2.5 की मात्रा रात 8 बजे से सुबह 4 बजे के बीच सबसे अधिक दर्ज की जाती है। ठंड के मौसम में धुआं और प्रदूषक गैसें वातावरण में ऊपर नहीं उठ पातीं और जमीन के पास जमा रहती हैं। इसलिए रात का समय सबसे ज्यादा प्रदूषित होता है।
यह भी पढ़ें-10 दिन तक बदले रहेंगे रास्ते,रात में ट्रैफिक डायवर्ट,भारी-हल्के वाहनों के लिए अलग रूट तय
विशेषज्ञों की सलाह
डॉ. पराग शर्मा, वरिष्ठ श्वांस रोग विशेषज्ञ, गांधी मेडिकल कॉलेज, ने बताया कि प्रदूषण बढ़ने पर सांस के मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है। विशेषकर अस्थमा तेजी से बढ़ सकता है। गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे बिना मास्क के बाहर न निकलें। हवा में मौजूद सूक्ष्म कण आंख, नाक और गले में जलन पैदा करते हैं। प्रदूषण के दौरान कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन, सल्फर डाइऑक्साइड और पर्टिकुलेट मैटर बढ़ जाते हैं, इसलिए सुबह भारी एक्सरसाइज से बचना चाहिए।
यह भी पढ़ें-एमबीबीएस व एमडी डॉक्टरों को हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेटर बनाने की मांग, डिप्टी सीएम को लिखा पत्र
क्यों जरूरी है पानी का छिड़काव
क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण मंडल बृजेश शर्माके अनुसार बारिश जैसी परिस्थितियों में पानी धूल को नीचे बैठा देता है। ठंड के मौसम में प्रदूषक ज्यादा देर तक हवा में टिके रहते हैं, इसलिए सड़कों पर पानी का छिड़काव जरूरी होता है। यह हवा में फैले भारी कणों को नियंत्रित कर