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Bhopal News: दवाओं से प्रदूषित पानी बना नया खतरा, एम्स भोपाल ने खोला MP-CG में बढ़ती हेल्थ इमरजेंसी का सच

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Sun, 16 Nov 2025 08:16 PM IST
सार

भारत में दवाओं का कचरा नदियों और मिट्टी में घुलकर एक नई साइलेंट हेल्थ क्राइसिस खड़ी कर रहा है। और एम्स भोपाल के विशेषज्ञों ने पहली बार चेतावनी दी है कि यह खतरा अब मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ में तेजी से बढ़ रहा है। एम्स भोपाल में आयोजित उन्नत फार्माकोविजिलेंस प्रशिक्षण में विशेषज्ञों ने यह चेतावनी दी है।

 

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Bhopal News: Water contaminated with medicines poses a new threat, AIIMS Bhopal reveals the truth about the gr
एम्स भोपाल में जुटे विशेषज्ञ - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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जिस पानी से लोग पीते हैं, खेतों को सींचते हैं और जानवरों को पिलाते हैं वह धीरे-धीरे दवाओं से जहरीला होता जा रहा है। एम्स भोपाल में आयोजित उन्नत फार्माकोविजिलेंस प्रशिक्षण में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि भारत एक ऐसी समस्या की ओर बढ़ रहा है जिसकी चोट अभी महसूस नहीं हो रही,लेकिन आने वाले समय में यह सबसे बड़ा पर्यावरणीय स्वास्थ्य संकट बन सकती है। कार्यक्रम में एलएनएमसी भोपाल के डॉ. निकेत राय ने कहा कि भारत में इस्तेमाल दवाओं का बड़ा हिस्सा नालों और नदियों में पहुंचकर पानी, मिट्टी और जानवरों को प्रभावित कर रहा है। यह आने वाले समय की साइलेंट हेल्थ क्राइसिस है।
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मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए एक नई क्रांति की शुरुआत
 एम्स भोपाल में आयोजित उन्नत फार्माकोविजिलेंस प्रशिक्षण इस बार सिर्फ एक नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम नहीं रहा-बल्कि दवा सुरक्षा की दिशा में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए एक नई क्रांति की शुरुआत बन गया। पहली बार प्रदेशों के 17 मेडिकल कॉलेजों को ईको-फार्माकोविजिलेंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सिग्नल डिटेक्शन और WHO कॉज़ेलिटी असेसमेंट जैसे आधुनिक टूल्स को एक ही मंच पर समझने का अवसर मिला।
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दवाओं का पर्यावरण पर प्रभाव-पहली बार प्रशिक्षण का बड़ा फोकस
इस कार्यक्रम की खास बात यह रही कि ईको-फार्माकोविजिलेंस-जो भारत में अभी भी नया और कम समझा जाने वाला क्षेत्र है-को प्रमुख विषय के रूप में शामिल किया गया। यह विषय अब तक MP-CG के संस्थानों में आयोजित किसी भी फार्माकोविजिलेंस प्रशिक्षण में इतने विस्तार से शामिल नहीं हुआ था।

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AI से दवा दुष्प्रभाव पकड़ने की नई कोशिश
एम्स रायपुर के डॉ. पुगझेंथन टी. ने एक बिल्कुल नया दृष्टिकोण सामने रखा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सिग्नल डिटेक्शन, जिससे आने वाले समय में ADR की पहचान तेज, सटीक और अधिक प्रभावी होगी।इस तकनीक के जरिए बड़ी आबादी से जुड़े दुष्प्रभाव पैटर्न को मिनटों में खोजा जा सकता है।

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पहली बार MP-CG के लिए संयुक्त रियल केस एनालिसिस सेशन
आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज, उज्जैन की डॉ. रुचि बघेल ने WHO कॉज़ेलिटी स्केल और नारंजो एल्गोरिदम का उपयोग करते हुए लाइव केस आधारित प्रशिक्षण कराया।इससे प्रतिभागियों को यह समझने का मौका मिला कि कोई दुष्प्रभाव वास्तव में दवा से हुआ या नहीं
उसे वैज्ञानिक तरीके से कैसे सिद्ध किया जाए। रिपोर्टिंग में कौन-से मानदंड निर्णायक होते हैं। यह व्यावहारिक प्रशिक्षण इस कार्यक्रम की खास पहचान बना।

 
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