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MP Health News: सरकारी अस्पतालों में दवा संकट खत्म करने की तैयारी, हर संभाग में बनेंगे सेंट्रल ड्रग वेयरहाउस
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: आनंद पवार
Updated Thu, 25 Dec 2025 02:37 PM IST
सार
मध्य प्रदेश में सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी और गुणवत्ता से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए बड़ा फैसला लिया गया है। शासन ने हर संभाग में सेंट्रलाइज्ड ड्रग वेयरहाउस बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिससे समय पर और सुरक्षित दवाएं मरीजों तक पहुंच सकेंगी।
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मेडिसिन
- फोटो : Freepik.com
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विस्तार
मध्य प्रदेश में सरकारी अस्पतालों में दवाओं की समय पर उपलब्धता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए दवा आपूर्ति व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया जा रहा है। मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (MPPHSCL) ने प्रदेश के हर संभाग में सेंट्रलाइज्ड ड्रग वेयरहाउस स्थापित करने के प्रस्ताव को शासन ने स्वीकृति दे दी है। कॉरपोरेशन अधिकारियों के अनुसार, इस नई व्यवस्था से अस्पतालों में दवाओं की कमी, अनियंत्रित स्टॉक और एक्सपायरी दवाओं जैसी समस्याओं पर प्रभावी नियंत्रण संभव होगा। योजना को जमीन पर उतारने में करीब छह महीने का समय लग सकता है।
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अब बदलेगा दवा सप्लाई का मॉडल
अब तक अस्पतालों की मांग पर दवा कंपनियां सीधे अस्पतालों को दवाएं सप्लाई करती थीं। नई व्यवस्था में यह प्रक्रिया बदली जाएगी। प्रस्ताव के अनुसार, हर संभाग में एक आधुनिक ड्रग वेयरहाउस बनाया जाएगा, जहां अस्पतालों की जरूरत के अनुसार दवाओं का स्टॉक पहले से रखा जाएगा। इसके बाद यहीं से अस्पतालों को दवाएं वितरित की जाएंगी। सेंट्रलाइज्ड सिस्टम से दवा वितरण पूरी तरह योजनाबद्ध और नियंत्रित होगा। अस्पतालों को अनिवार्य रूप से तीन महीने का दवा स्टॉक रखने की जरूरत होती है, जिसे वेयरहाउस के माध्यम से आसानी से मैनेज किया जा सकेगा।
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थर्ड पार्टी बनाएगी स्टोर, सरकार करेगी खरीदी
सेंट्रल ड्रग वेयरहाउस को थर्ड पार्टी के माध्यम से बनाया जाएगा। साथ ही सप्लाई की जिम्मेदारी भी संबंधित एजेंसी की होगी। इसके लिए रेट तय किए जाएंगे। हालांकि दवा की खरीदी, जांच की जिम्मेदारी सरकार की होगी। यह स्टोर संभाग में मुख्यालय की जगह ऐसे शहर में बनाए जाएंगे, जहां से जिलों में दवा को सप्लाई करना आसान और कम समय में पहुंच सके। कॉरपोरेशन के अधिकारियों का यह भी दावा है कि दवाओं की गुणवत्ता जांच पहले से ही तीन स्तरों पर की जाती है, लेकिन अब इसे और सख्त किया जा रहा है। इसमें दवाओं को WHO गाइडलाइंस, COPP (Certificate of Pharmaceutical Product), और NABL मान्यता प्राप्त लैब से जांच होगी ही। साथ ही आवश्यकता पड़ने पर दवाओं का थर्ड पार्टी लैब टेस्ट भी कराया जाएगा। स्टोरेज के दौरान होने वाली तकनीकी या मानवीय त्रुटियों को भी इस नई व्यवस्था से कम किया जाएगा।
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यह होगा सेंट्रल ड्रग वेयरहाउस का फायदा
- अस्पतालों में दवाओं की सतत उपलब्धता
- एक्सपायरी दवाओं पर पूर्ण नियंत्रण
- गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का बेहतर पालन
- दवा वितरण में पारदर्शिता और जवाबदेही
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सरकार सप्लाई व्यवस्था बेहतर होगी
मध्य प्रदेश हेल्थ कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध संचालक मयंक अग्रवाल का कहना है कि सेंट्रलाइज्ड ड्रग वेयरहाउस से सरकारी अस्पतालों में दवा आपूर्ति प्रणाली और अधिक मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि मरीजों तक सुरक्षित और प्रभावी दवाएं पहुंचाना ही इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य है।
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अब बदलेगा दवा सप्लाई का मॉडल
अब तक अस्पतालों की मांग पर दवा कंपनियां सीधे अस्पतालों को दवाएं सप्लाई करती थीं। नई व्यवस्था में यह प्रक्रिया बदली जाएगी। प्रस्ताव के अनुसार, हर संभाग में एक आधुनिक ड्रग वेयरहाउस बनाया जाएगा, जहां अस्पतालों की जरूरत के अनुसार दवाओं का स्टॉक पहले से रखा जाएगा। इसके बाद यहीं से अस्पतालों को दवाएं वितरित की जाएंगी। सेंट्रलाइज्ड सिस्टम से दवा वितरण पूरी तरह योजनाबद्ध और नियंत्रित होगा। अस्पतालों को अनिवार्य रूप से तीन महीने का दवा स्टॉक रखने की जरूरत होती है, जिसे वेयरहाउस के माध्यम से आसानी से मैनेज किया जा सकेगा।
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थर्ड पार्टी बनाएगी स्टोर, सरकार करेगी खरीदी
सेंट्रल ड्रग वेयरहाउस को थर्ड पार्टी के माध्यम से बनाया जाएगा। साथ ही सप्लाई की जिम्मेदारी भी संबंधित एजेंसी की होगी। इसके लिए रेट तय किए जाएंगे। हालांकि दवा की खरीदी, जांच की जिम्मेदारी सरकार की होगी। यह स्टोर संभाग में मुख्यालय की जगह ऐसे शहर में बनाए जाएंगे, जहां से जिलों में दवा को सप्लाई करना आसान और कम समय में पहुंच सके। कॉरपोरेशन के अधिकारियों का यह भी दावा है कि दवाओं की गुणवत्ता जांच पहले से ही तीन स्तरों पर की जाती है, लेकिन अब इसे और सख्त किया जा रहा है। इसमें दवाओं को WHO गाइडलाइंस, COPP (Certificate of Pharmaceutical Product), और NABL मान्यता प्राप्त लैब से जांच होगी ही। साथ ही आवश्यकता पड़ने पर दवाओं का थर्ड पार्टी लैब टेस्ट भी कराया जाएगा। स्टोरेज के दौरान होने वाली तकनीकी या मानवीय त्रुटियों को भी इस नई व्यवस्था से कम किया जाएगा।
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- एक्सपायरी दवाओं पर पूर्ण नियंत्रण
- गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का बेहतर पालन
- दवा वितरण में पारदर्शिता और जवाबदेही
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सरकार सप्लाई व्यवस्था बेहतर होगी
मध्य प्रदेश हेल्थ कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध संचालक मयंक अग्रवाल का कहना है कि सेंट्रलाइज्ड ड्रग वेयरहाउस से सरकारी अस्पतालों में दवा आपूर्ति प्रणाली और अधिक मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि मरीजों तक सुरक्षित और प्रभावी दवाएं पहुंचाना ही इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य है।

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