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ओबीसी आरक्षण केस: अतिरिक्त वरिष्ठ अधिवक्ताओं के लिए दो नामों का पैनल दो दिन में देगा ओबीसी पक्ष

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Fri, 05 Sep 2025 11:01 AM IST
सार

आगामी 23 सितंबर से सर्वोच्च न्यायालय में होने वाली सुनवाई के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में सरकार और ओबीसी महासभा के अधिवक्ताओं की संयुक्त रणनीति तैयार हो रही है, ताकि अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिलाने की लड़ाई को मजबूती मिल सके।

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OBC reservation case: OBC side will give panel of two names for additional senior advocates in two days
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव
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विस्तार
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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा सर्वदलीय बैठक बुलाए जाने के बाद गुरुवार को नई दिल्ली स्थित मध्यप्रदेश भवन में राज्य शासन के अधिवक्ताओं और ओबीसी महासभा के अधिवक्ताओं की संयुक्त बैठक हुई। बैठक में तय किया गया कि मप्र शासन द्वारा नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ-साथ अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं को भी मामले में शामिल किया जाएगा। इस उद्देश्य से ओबीसी महासभा के अधिवक्ताओं ने दो दिनों के भीतर अतिरिक्त वरिष्ठ अधिवक्ताओं के लिए दो नामों का पैनल देने की सहमति दी है।
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बैठक में आगामी सुनवाई के दौरान ओबीसी वर्ग के हितों की सुरक्षा के लिए साझा पैरवी पर सकारात्मक चर्चा हुई। इसमें मप्र शासन के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह, पूर्व महाधिवक्ता अनूप जॉर्ज चौधरी, वरिष्ठ अधिवक्ता  जून चौधरी, रामेश्वर ठाकुर, वरुण ठाकुर, विनायक शाह,  शशांक रतनू, रामकरण, हनुमत लोधी सहित कई अधिवक्ता उपस्थित रहे। सरकार और ओबीसी महासभा के प्रतिनिधियों का मानना है कि इस समन्वय और साझा पैरवी से आगामी सुनवाई में प्रदेश का पक्ष और अधिक मजबूत होगा।

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सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है मामला 
बता दें मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग को फिलहाल 14 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल रहा है। 2019 से 27 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून बनने के बाद से सरकारी भर्तियों के 87 प्रतिशत पदों पर ही नियुक्ति दी जा रही है, जबकि 13 प्रतिशत पद कोर्ट का फाइनल निर्णय आने तक होल्ड कर दिए गए हैं। इसके खिलाफ ओबीसी वर्ग के छात्रों और ओबीसी महासभा ने कोर्ट में याचिका दायर की है। यह मामला हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं। 

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