Indore: पहली बार इंदौर में नया प्रशासनिक प्रयोग, निगमायुक्त शिवम वर्मा बने कलेक्टर
शिवम वर्मा की गिनती सरल-सहज अफसरों में होती है और जनप्रतिनिधियों से तालमेल बैठाने में भी वे माहिर है। उधर संभागायुक्त के रुप में सुदामा खाड़े को इंदौर का जिम्मा दिया है। सुदामा मुख्यमंत्री के विश्वासपात्र अधिकारी माने जाते है।

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इंदौर के प्रशासनिक इतिहास में पहली बार नया प्रयोग हुआ है। इंदौर में निगमायुक्त रहे पहले कई आईएएस अधिकारी बाद में यहां कलेक्टर बनकर आए, लेकिन पहली बार निगमायुक्त के तौर पर पदस्थ शिवम वर्मा को सीधे इंदौर जिले की कमान सौंपी गई है। एक ही जिले में वे निगमायुक्त के बाद कलेक्टर बनने वाले पहले अधिकारी होंगे। उनके पूर्व मनीष सिंह निगम कमिश्नर रहे थे, लेकिन वे अन्य शहरों से होकर फिर इंदौर आए और कलेक्टर बने थे।

शिवम वर्मा की गिनती सरल-सहज अफसरों में होती है और जनप्रतिनिधियों से तालमेल बैठाने में भी वे माहिर हैं और प्रशासनिक पकड़ भी मजबूत रखते हैं। उधर, संभागायुक्त के रूप में सुदामा खाड़े को इंदौर का जिम्मा दिया गया है। सुदामा मुख्यमंत्री के विश्वासपात्र अधिकारी माने जाते हैं। इस कारण उनका प्रशासनिक दखल संभाग पर ज्यादा मजबूती से रहेगा।
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सफाई के खिताब को कायम रखा वर्मा ने
स्वच्छता सुपर लीग में भी इंदौर सबसे आगे रहा। इसका पुरस्कार इंदौर निगम आयुक्त के रूप में शिवम वर्मा को मिला है, हालांकि, सड़कों की हालत और ट्रैफिक को लेकर नगर निगम ज्यादा कमाल नहीं दिखा पाया। अब यह देखना है कि वे कलेक्टर के रूप में कितने सफल साबित होते हैं।
सिंहस्थ के कारण सिंह को मिली उज्जैन की जिम्मेदारी
इंदौर के वर्तमान कलेक्टर आशीष सिंह उज्जैन के कलेक्टर रह चुके हैं। तब उज्जैन में काफी काम हुए। मुख्यमंत्री मोहन यादव अपने गृह जिले की कमान उस अधिकारी को देना चाहते थे, जो पहले से उज्जैन से परिचित हो। तीन साल बाद उज्जैन में लगने वाले सिंहस्थ मेले को देखते हुए उन्हें उज्जैन संभाग की कमान सौंपी गई है। इंदौर विकास प्राधिकरण के कार्यपालन अधिकारी की जिम्मेदारी संजय राव झाड़े को दी गई है। आरपी अहिरवार जबलपुर के नगर निगम कमिश्रर बनाए गए हैं।