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MP: कैप्टन मीरा दवे बोलीं- देवी अहिल्या का नेतृत्व सिर्फ मालवा नहीं, पूरे देश में भरोसे का प्रतीक

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: आशुतोष प्रताप सिंह Updated Sun, 23 Nov 2025 09:38 PM IST
सार

अभ्यास मंडल की 65वीं वार्षिक व्याख्यानमाला में कैप्टन मीरा दवे ने नारी नेतृत्व की ऐतिहासिक और आधुनिक भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर का नेतृत्व केवल मालवा क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे देश में विश्वास का प्रतीक रहा।

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कैप्टन मीरा दवे - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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अभ्यास मंडल की 65वीं वार्षिक व्याख्यानमाला में “नारी नेतृत्व से बढ़ता नागरिक विश्वास” विषय पर संबोधित करते हुए कैप्टन मीरा दवे ने कहा कि मालवा की शासक लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर का नेतृत्व केवल मालवा तक सीमित नहीं था, बल्कि पूरे देश में नागरिकों के बीच विश्वास का प्रतीक रहा। उन्होंने कहा कि लोकमाता ने कभी सिर्फ मालवा के लिए नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के कल्याण के लिए सोचा।
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अपने संबोधन में उन्होंने एक प्रसंग का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि एक बार लोकमाता अहिल्याबाई उत्तराखंड क्षेत्र के भ्रमण पर थीं, जहां उन्होंने एक ग्रामीण को गाय को प्रताड़ित करते देखा। पूछने पर ग्रामीण ने बताया कि गाय ने उसकी फसल खराब कर दी है। इस पर लोकमाता ने उसे दो सोने की मोहर देकर गाय को न सताने की सलाह दी। जब वह आगे बढ़ीं तो पूरे गांव के लोग भी अपने पशु लेकर सहायता मांगने आ गए। लोकमाता ने सभी को सोने की मोहरें दीं, लेकिन उनसे वचन लिया कि गांव की पूरी खेती की जमीन मवेशियों के चरने के लिए रखी जाएगी। गांव के नागरिकों ने यह स्वीकार किया और इसके बाद उस गांव का नाम ‘गोचर’ पड़ा। पिछले वर्ष इस गांव में लोकमाता अहिल्याबाई की प्रतिमा और ‘अहिल्या द्वार’ का लोकार्पण हुआ है।
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कैप्टन मीरा दवे ने आगे कहा कि भारतीय संस्कृति में अर्धनारीश्वर की अवधारणा ही स्त्री-पुरुष समानता को दर्शाती है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि भारत तभी उड़ान भरेगा जब उसके दोनों पंख स्त्री और पुरुष मजबूत होंगे। चौथी सदी में प्रभावती गुप्त भारत की पहली नारी नेतृत्वकर्ता मानी जाती हैं। इसी तरह उभमा भारती का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि आदि शंकराचार्य के शास्त्रार्थ में निर्णायक के रूप में उभमा भारती ने अपने पति मंडन मिश्र को पराजित घोषित करने का साहसिक निर्णय लिया था।

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उन्होंने झांसी की रानी, जीजाबाई और झलकारी बाई जैसे ऐतिहासिक महिला नेतृत्व का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिए ज्ञान, सेना और धन आवश्यक हैं, ज्ञान देवी सरस्वती, शक्ति मां दुर्गा और धन मां लक्ष्मी से प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि नारी चूड़ी पहनने वाले हाथ से रॉकेट लांचर और एके-47 भी चला सकती है। पायल और चूड़ी को बंधन नहीं बल्कि शक्ति के रूप में देखा जाना चाहिए।

उन्होंने बताया कि हाल ही में भारत में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की मीडिया ब्रीफिंग दो महिला अधिकारियों ने संभाली और पठानकोट विंग का नेतृत्व भी एक महिला अधिकारी ही कर रही थीं। फाइटर पायलट भी महिलाएं हैं, जिससे नारी नेतृत्व पर नागरिकों का विश्वास लगातार बढ़ रहा है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता अशोक बडजात्या ने की। वक्ता का स्वागत प्रणिता दीक्षित और ग्रीष्मा त्रिवेदी ने किया। संचालन वैशाली खरे ने किया तथा अतिथि को स्मृति चिन्ह ओपी जोशी ने भेंट किया। अभ्यास मंडल की व्याख्यानमाला के तहत कल 24 नवंबर को वरिष्ठ पत्रकार एवं विचारक अवधेश कुमार का व्याख्यान होगा। विषय होगा “समाजवाद का स्वप्न और संभावनाएं”। यह व्याख्यान शाम 6 बजे जाल सभागृह में आयोजित किया जाएगा।
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