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Jabalpur News:मृत्यु के सात साल बाद अनुकंपा नियुक्ति की नहीं कर सकते दावेदारी, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर
Published by: अर्पित याज्ञनिक
Updated Tue, 02 Dec 2025 10:43 PM IST
सार
मामला आशुतोष साध की याचिका से जुड़ा था, जिसके पिता की 2008 में मृत्यु हुई थी। याचिकाकर्ता बालिग होने के बाद 2016 में अनुकंपा नियुक्ति हेतु आवेदन लेकर विभागों के चक्कर काटता रहा, पर आवेदन समयसीमा से काफी देर बाद जमा हुआ।
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जबलपुर हाईकोर्ट
- फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि कर्मचारी की मृत्यु के सात साल बाद अनुकंपा नियुक्ति की दावेदारी नहीं कर सकते हैं। हाईकोर्ट जस्टिस दीपक खोत ने अपने आदेश में कहा है कि कर्मचारी की मृत्यु से समय लागू पॉलिसी प्रभावी होगी। एकलपीठ ने उक्त आदेश के साथ याचिका को खारिज कर दिया।
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याचिकाकर्ता आशुतोष साध की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि उसके पिता गवर्नमेंट मिडिल स्कूल ब्लॉक केसला तहसील इटारसी में असिस्टेंट टीचर के पद पर पदस्थ थे। सेवा में रहने के दौरान उनके पिता की दिसम्बर 2008 में मौत हो गई थी। पिता की मौत के समय याचिकाकर्ता नाबालिग था और उसकी उम्र महज 11 साल थी। वह सितंबर 2015 में बालिग हुआ था और साल 2016 में हायर सेकेंडरी एग्जाम पास किया था। याचिकाकर्ता ने अप्रैल 2016 को अनुकंपा नियुक्ति के लिए डीईओ को आवेदन दिया था, जिसका जानकारी के अभाव में एक्नॉलेजमेंट नहीं मांगा था। याचिकाकर्ता को बताया गया कि उसके पिता आदिवासी कल्याण विभाग में पदस्थ थे। इसलिए सहायक आयुक्त आदिवासी कल्याण विभाग के समक्ष आवेदन पेश करें।
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उसके बाद उसने सहायक आयुक्त के समक्ष आवेदन पेश किया। उसके आवेदन पर उच्च अधिकारी से मार्गदर्शन मांगा गया था। इसके बाद उसने सद्भावना के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति पर विचार करने आवेदन दायर किया था। विभाग की तरफ से जारी किये गये पत्र के बाद उसने जुलाई 2019 को अपने दस्तावेज जमा कर दिये थे।इसके बाद विभाग ने नियुक्ति के लिए उसकी पसंद पूछी गयी थी। उसने अपनी पसंद शिक्षक कैडर बताया था परंतु याचिकाकर्ता के पास बीएड तथा डीएड की डिग्री नहीं थी, जो टीचिंग कैडर के लिए आवश्यक है। विभाग ने जनवरी 2020 के पत्र जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि तीन दिन के अंदर सर्टिफिकेट जमा नहीं होने पर उसके आवेदन पर निरस्त कर दिया जाएगा।
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याचिकाकर्ता ने ग्रेजुएशन की डिग्री के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने या बीएड की डिग्री के लिए दो साल का समय प्रदान करने के आग्रह किया था। उसने जनवरी 2020 में असिस्टेंट ग्रेड 3 के पद नियुक्ति प्रदान करने आदेश दायर किया था। तीन सदस्यीय कमेटी ने उसके आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया कि साल 2014 की पॉलिसी के अनुसार बालिग होने के एक साल के अंदर अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन करना था। आवेदन ने लगभग 11 माह बाद आवेदन किया। याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि उसने अज्ञानतावश अप्रैल 2016 में आवेदन किया था, जो निर्धारित समय सीमा के अंदर था।
एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ता के पिता का निधन 2008 में हुआ था। उस समय 2008 की पॉलिसी प्रभावी थी। जिसके अनुसार अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन की अधिकतम समय सीमा सात साल थी। कमेटी ने पॉलिसी 2014 के तहत आवेदन खारिज किया है। इस प्रकरण को वापस लौटाने का औचित्य इसलिए नहीं बनता कि पॉलिसी 2008 के अनुसार भी आवेदन ने निर्धारित समय अवधि के बाद आवेदन दायर किया है। एकलपीठ ने उक्त आदेश के साथ आवेदन को खारिज कर दिया।
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