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उपलब्धि: देश में 200 साल बाद देवव्रत ने 50 दिनों में 2000 वेद मंत्रों का किया दंडक्रम पारायण, पीएम ने की तारीफ

अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी। Published by: प्रगति चंद Updated Wed, 03 Dec 2025 01:51 PM IST
सार

काशी के इतिहास में पहली बार 19 साल के देवव्रत ने 50 दिनों में 2000 वेद मंत्रों का दंडक्रम पारायण किया। इसके लिए देवव्रत महेश रेखे घनपाठी को काशी के विद्वानों ने दंडक्रम विक्रमादित्य की उपाधि प्रदान की।
 

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Devavrata of kashi recited 2000 Vedic mantras in 50 days after 200 years in india
वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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काशी के इतिहास में पहली बाद 19 साल के वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे घनपाठी ने 50 दिनों में 2000 वेदमंत्रों का दंडक्रम पारायण संपूर्ण किया। वल्लभराम शालिग्राम सांगवेद विद्यालय में वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे घनपाठी को काशी के विद्वानों ने दंडक्रम विक्रमादित्य की उपाधि प्रदान की। शृंगेरी के शंकराचार्य की ओर से महेश रेखे को स्वर्ण कंगन और एक लाख एक हजार एक सौ 16 रुपये की दक्षिणा प्रदान की गई। नमो घाट पर मंगलवार को काशी तमिल संगमम के मंच पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देवव्रत महेश रेखे घनपाठी को सम्मानित भी किया।

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महाराष्ट्र के 19 वर्षीय वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे की इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तारीफ की। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि उनकी सफलता हमारी आने वाली पीढ़ियों की प्रेरणा बनने वाली हैं। देवव्रत की इस उपलब्धि पर पीएम ने सोशल मीडिया पर लिखा, भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वाले हर एक व्यक्ति को ये जानकर अच्छा लगेगा कि देवव्रत ने शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिनी शाखा के दो हजार मंत्रों वाले दंडक्रम पारायण को 50 दिनों तक बिना किसी अवरोध के पूर्ण किया है। इसमें अनेक वैदिक ऋचाएं और पवित्र शब्दों का त्रुटिहीन उच्चारण शामिल है।
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ये उपलब्धि हमारी गुरु परंपरा के सर्वोत्तम उदाहरण हैं। उन्होंने कहा, काशी का सांसद होने के नाते मुझे इस बात का गर्व है कि उनकी यह अद्भुत साधना इसी पवित्र धरती पर संभव हुई। उनके परिवार, विभिन्न संतों, ऋषियों, विद्वानों और देशभर की उन संस्थाओं को मेरा प्रणाम, जिन्होंने इस तपस्या में उन्हें सहयोग किया। नमो घाट पर काशी तमिल संगमम के मंच पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देवव्रत महेश रेखे घनपाठी को सम्मानित किया।

Devavrata of kashi recited 2000 Vedic mantras in 50 days after 200 years in india
Kashi-Tamil Sangamam 4.0 - फोटो : अमर उजाला
विश्व में दूसरी बार काशी में हुआ दंडक्रम का पारायण
संपूर्ण विश्व में दूसरी बार 200 साल बाद काशी में दंडक्रम का पारायण हुआ। 200 साल पहले नासिक में वेदमूर्ति नारायण शास्त्री देव ने दंडक्रम पारायण किया था। सांगवेद विद्यालय पद्मश्री गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने बताया कि देवव्रत ने दो अक्तूबर को वल्लभराम शालिग्राम सांगवेद विद्यालय में पारायण की शुरुआत की थी और 30 नवंबर को इसकी पूर्णाहुति हुई। पूर्णाहुति के बाद शृंगेरी मठ में देवव्रत महेश रेखे का नागरिक अभिनंदन किया गया।

Devavrata of kashi recited 2000 Vedic mantras in 50 days after 200 years in india
काशी तमिल संगमम 4.0 - फोटो : अमर उजाला
दो हजार मंत्रों को कंठस्थ करके सुनाना होता है
दंडक्रम पारायण में शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिनी शाखा के दो हजार मंत्रों को कंठस्थ कर सुनाना होता है। दंडक्रम को अपने जटिल स्वर शृंखला और कठिन ध्वन्यात्मक क्रम परिवर्तन की वजह से वैदिक पाठ का मुकुट माना जाता है। शृंगेरी मठ के चल्ला अन्नपूर्णा प्रसाद ने बताया कि कम उम्र में इतने कठिन मंत्रों का दंडक्रम पारायण मुश्किल होता है। कोई प्रखर बुद्धि और तेजस्वी ही कर सकता है। जगद्गुरु शंकराचार्य के आशीर्वाद से वैदिक सम्राट श्रीकृष्ण शास्त्री गोडशे की जन्मशताब्दी, वेदमूर्ति विश्वनाथ भट्ट जोशी (आलंदी) और पारायणकर्ता की माता की स्मृति में यह समारोह हुआ।

दो लाख से अधिक बार हुआ पारायण
वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे ने बताया कि इन 50 दिनों में उन्होंने रोज सुबह आठ से मध्याह्न 12 बजे तक दंडक्रम का पारायण किया। शुक्ल यजुर्वेद के माध्यंदिनी शाखा के करीब दो हजार मंत्रों का पारायण हुआ। यह मंत्र उनको कंठस्थ हैं। यह पारायण वेदों के आठ विकृतियों में एक है। यह सामान्य मंत्र से अलग पाठ होता है और फिर अनुलोम-विलोम के रूप में पारायण होता है। इस शाखा के दो हजार मंत्रों के दंडक्रम पारायण करने पर दो लाख से अधिक बार पारायण होगा।
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