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MP Court News: सरकार ने बिना अनुमति पेड़ों की कटाई की गलती स्वीकार की, हाईकोर्ट हुआ था सख्त

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर Published by: जबलपुर ब्यूरो Updated Wed, 26 Nov 2025 08:36 PM IST
सार

MP: सुनवाई के दौरान हस्तक्षेपकर्ता नितिन सक्सेना ने एक और तथ्य रखा कि भोपाल में रेजिडेंशियल कॉम्प्लेक्स निर्माण के लिए 244 पेड़ काटे जाने की प्रक्रिया जारी है। उनके अनुसार ट्रांसप्लांटेशन के नाम पर कटाई का नया तरीका विकसित किया गया है। पढ़ें पूरी खबर।

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The government admitted the mistake of cutting trees without permission
जबलपुर हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला डिजिटल
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विस्तार
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भोपाल-बैरसिया रोड निर्माण के लिए बिना अनुमति पेड़ों की कटाई पर राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में मन्नोवृत्ति दर्ज कराई है। मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ में राज्य की ओर से बताया गया कि वन संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत प्रदेश में ट्री अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी और अब बिना अनुमति किसी भी पेड़ की कटाई नहीं होगी। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिए कि एनजीटी के आदेश के तहत गठित नौ सदस्यीय समिति की पूर्व स्वीकृति के बिना एक भी पेड़ नहीं काटा जाएगा। अदालत ने सरकार से यह भी मांग की है कि कितने पेड़ कटे, कितनों का प्रत्यारोपण हुआ और क्षतिपूर्ति के रूप में कितने पौधे लगाए जाएंगे। इसकी पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।

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यह मामला उस समय शुरू हुआ जब हाईकोर्ट ने एक समाचार रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लिया, जिसमें दावा था कि भोजपुर–बैरसिया रोड चौड़ीकरण के लिए 488 पेड़ बिना अनुमति काटे गए। नियमानुसार किसी भी प्रोजेक्ट हेतु पेड़ काटने के लिए एनजीटी के दिशा-निर्देशों के अनुसार गठित समिति से अनुमति आवश्यक है, किंतु इस मामले में न तो समिति से और न ही वृक्ष अधिकारी से अनुमति ली गई। सरकार ने हलफनामे में बताया कि कलेक्टर ने 448 पेड़ों के स्थानांतरण की अनुमति दी थी, जिनमें से 253 का प्रत्यारोपण किया गया है तथा जो पेड़ ट्रांसप्लांट नहीं हो सके, उनके बदले दस गुना ज्यादा पौधे लगाए जाएंगे।

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सुनवाई के दौरान हस्तक्षेपकर्ता नितिन सक्सेना ने एक और तथ्य रखा कि भोपाल में रेजिडेंशियल कॉम्प्लेक्स निर्माण के लिए 244 पेड़ काटे जाने की प्रक्रिया जारी है। उनके अनुसार ट्रांसप्लांटेशन के नाम पर कटाई का नया तरीका विकसित किया गया है, जिसमें शाखाएं हटाकर लकड़ी संग्रहित की जा रही है, जबकि उद्देश्य पेड़ बचाने का नहीं, बल्कि हटाने का प्रतीत होता है। यही वजह है कि अदालत ने ट्रांसलोकेशन प्रक्रिया पर भी गंभीर प्रश्न उठाए।

याचिका में अन्य उदाहरण भी शामिल किए गए, जिनमें रेलवे प्रोजेक्ट के लिए आठ हजार पेड़ काटे जाने का मामला, सागर कलेक्टर कार्यालय विस्तार के लिए अवैध कटाई और राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण में हुई पेड़ों की हानि भी दर्ज है। बुधवार को दोनों याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई हुई, जिसमें हाईकोर्ट के आदेश पर प्रमुख विभागीय अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति अनिवार्य की गई थी। इनमें पीडब्ल्यूडी के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, विधानसभा सचिवालय के अधिकारी, नगर निगम कमिश्नर, प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट समेत रेलवे की ओर से भोपाल DRM उपस्थित हुए। अगली सुनवाई 17 दिसंबर को निर्धारित है।

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