{"_id":"683b2b0d1f63e96669025737","slug":"maheshwar-festival-royal-palki-yatra-started-on-the-300th-birth-anniversary-of-goddess-ahilyabai-2025-05-31","type":"story","status":"publish","title_hn":"Maheshwar festival: अहिल्याबाई त्रिशताब्दी महोत्सव, वंशजों नंगे पांव उठाई पालकी, गेहूं और दाल से हुआ तुलादान","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Maheshwar festival: अहिल्याबाई त्रिशताब्दी महोत्सव, वंशजों नंगे पांव उठाई पालकी, गेहूं और दाल से हुआ तुलादान
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, खरगोन
Published by: अर्पित याज्ञनिक
Updated Sat, 31 May 2025 09:45 PM IST
सार
महाराज शिवाजीराव होलकर द्वितीय और युवराज यशवंतराव होलकर तृतीय नंगे पांव यात्रा में शामिल हुए। नगर में धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों की शृंखला के अंतर्गत राजगादी पूजन, विरासत मित्र सम्मान, तुला दान, शिव आराधना और नर्मदा आरती जैसे आयोजनों ने जनता को भावविभोर किया।
विज्ञापन
देवी अहिल्याबाई की 300वीं जयंती पर निकली राजशाही पालकी यात्रा।
- फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन
विस्तार
पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती के पावन अवसर पर शनिवार को महेश्वर नगर में एक भव्य और ऐतिहासिक राजशाही पालकी यात्रा निकाली गई। इस मौके पर नगर में विविध धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों की शृंखला देखी गई, जिनमें होलकर राजपरिवार की उपस्थिति और सहभागिता विशेष आकर्षण रही।
Trending Videos
सुबह आयोजन की शुरुआत राजगादी पूजन से हुई, जहां महाराज शिवाजीराव होलकर द्वितीय, युवराज यशवंतराव होलकर तृतीय सहित समस्त होलकर राजपरिवार ने माता अहिल्याबाई की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर पूजन अर्चन किया। इसके बाद ढोल-नगाड़ों और शंखध्वनि के साथ मातोश्री की पालकी यात्रा का शुभारंभ हुआ। पालकी राजवाड़ा परिसर से निकलकर नगर के भवानी माता चौक पहुंची। यहां माता अहिल्या की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर भवानी माता का पूजन किया गया। यात्रा फिर नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए पुनः राजवाड़ा पहुंची।
विज्ञापन
विज्ञापन
विशेष बात यह रही कि महाराज शिवाजीराव होलकर द्वितीय और युवराज यशवंतराव होलकर तृतीय ने स्वयं नंगे पांव पालकी यात्रा में पैदल चलकर न सिर्फ अपनी परंपरा निभाई, बल्कि राजवंश की मातोश्री के प्रति श्रद्धा का भावपूर्ण परिचय दिया। उन्होंने पालकी को कंधों पर उठाकर अपनी जिम्मेदारियों और संस्कारों की परंपरा को जनमानस के समक्ष सजीव कर दिया। नगर की महिलाओं, बच्चों, गणमान्य नागरिकों और श्रद्धालुजनों ने बढ़-चढ़कर इस ऐतिहासिक यात्रा में भाग लिया। विधायक राजकुमार मेव भी समय से पूर्व उपस्थित रहे और जनमानस के साथ कदम से कदम मिलाकर इस भव्य आयोजन का हिस्सा बने।
ये भी पढ़ें- 'देवी अहिल्या की दृष्टि से चल रही सरकार', मोदी बोले- लोकमाता के काम हैं प्रेरणा
मानपत्र विरासत मित्र सम्मान
इस अवसर पर तुलसाबाई हेमराज ढाकले को “विरासत मित्र सम्मान” से सम्मानित किया गया। वृद्धावस्था में भी वे बजनी नामक पारंपरिक धागा बनाने के कार्य में लगी हुई हैं, जो आज भी पूरे भारत में दुर्लभ है। उनके योगदान को होलकर परिवार ने भावपूर्वक सम्मानित किया, जो सामाजिक सरोकार और विरासत संरक्षण का सुंदर उदाहरण बना।
तुला दान से लोकसेवा
राजगादी पर मातोश्री के प्रतीकात्मक चित्र को रखकर 62 किलोग्राम गेहूं और दाल से तुला दान किया गया, जो प्रतीकात्मक रूप से अहिल्याबाई के वजन के बराबर रहा। यह अन्न अन्नक्षेत्रों को अर्पित किया गया, जिसमें वृद्धकालेश्वर मंदिर, राजराजेश्वर मंदिर, नर्मदा पाठशाला, मोनी बाबा आश्रम और सप्तमातृका आश्रम शामिल हैं।
ये भी पढ़ें- आतंकियों ने नारीशक्ति को चुनौती दी, यही उनका काल बना; जानें पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें
सेवा, श्रद्धा और समन्वय
शाम को दहन स्थल पर विशेष पूजन संपन्न हुआ। पक्षियों और मछलियों को आटे की गोलियां अर्पित की गईं। साथ ही, धार्मिक समन्वय की परंपरा का निर्वहन करते हुए गुरुद्वारे में वस्त्रदान, मजार पर चादर चढ़ाना और चर्च में दान कार्य किए गए।
मातृ शक्ति का शिव आराधन
एक विशेष आयोजन में 300 मातृ शक्तियों ने पार्थिव शिवलिंगों का निर्माण किया और दुग्धाभिषेक के साथ शिव आराधना की। इसके बाद नर्मदा घाट पर भव्य नर्मदा महा काकड़ आरती का आयोजन हुआ, जिसमें नगरवासियों की अपार उपस्थिति ने पूरे वातावरण को श्रद्धा और भक्ति से सराबोर कर दिया।

कमेंट
कमेंट X