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MP News: खतरे में सागौन के जंगल, खरगोन के टोकसर में बड़ी कार्रवाई; अवैध लकड़ियां, कटर मशीन समेत ये सब जब्त

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, खरगोन/ओंकारेश्वर Published by: तरुणेंद्र चतुर्वेदी Updated Thu, 11 Sep 2025 12:51 AM IST
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सार

MP News In Hindi: मध्य प्रदेश में सागौन के जंगलों में तस्करों का खतरा बढ़ता जा रहा है। चोरी-छिपे बड़े स्तर पर वनों की कटाई का काम किया जा रहा है। एक ऐसा ही बड़ा मामला सामने आया है खरगोन जिले से, जहां वन विभाग ने अवैध कटाई करने वालों पर बड़ी कार्रवाई की है।  बड़वाह वन क्षेत्र के ग्राम टोकसर में स्थित एक घर से अवैध लकड़ियां, कटर मशीन समेत अन्य सामान जब्त किया गया है। 

 

MP News Major action in Toksar of Khargone Illegal wood cutter machine and all these were confiscated
खरगोन के टोकसर में बड़ी कार्रवाई - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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वन विभाग ने ओंकारेश्वर से करीब 25 किलोमीटर दूर खरगोन जिले के बड़वाह वन क्षेत्र के ग्राम टोकसर में बड़ी कार्रवाई की। यहां एक सुनसान मकान से अवैध सागौन की लकड़ियां और कटर मशीन बरामद की गई। जब्त की गई लकड़ी और उपकरणों की कुल कीमत तीन लाख रुपये से अधिक आंकी गई है। सूचना मिली थी कि ग्राम टोकसर में अवैध रूप से सागौन की लकड़ी काटने और छीलने का काम हो रहा है। इस पर वनमंडलाधिकारी के निर्देश और उप वनमंडलाधिकारी विजय गुप्ता के मार्गदर्शन में वन परिक्षेत्र अधिकारी के नेतृत्व में एक विशेष दल बनाया गया। टीम ने बताए गए स्थान पर छापेमारी की, जहां मकान खाली मिला। तलाशी में वहां से 36 नग सागौन की लट्ठियां, सिल्ली और एक शिकंजा कटर मशीन बरामद हुई है।
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यहां जंगलों में बड़े पैमाने पर अवैध कटाई हो रही
ओंकारेश्वर–बड़वाह के जंगलों में बड़े पैमाने पर अवैध कटाई हो रही है। जिस मकान से लकड़ी जब्त की गई, वह खेत में बना था। यहां बड़ी मशीनों से सागौन की सिल्ली और चौखट तैयार कर बाजार में भेजी जाती थी। सागौन को ‘पीला सोना’ कहा जाता है, और इसकी अंधाधुंध कटाई से जंगल का अस्तित्व संकट में है। अगर यह सिलसिला जारी रहा तो आने वाले समय में इस क्षेत्र का सागौन सिर्फ इतिहास के पन्नों में रह जाएगा। कार्रवाई के दौरान बड़वाह रेंजर निशांत डोसी, सनावद रेंजर रामचंद्र मंडलोई, हरेसिंह सिसौदिया, अरविंदसिंह सेंगर, नरेन्द्रसिंह मंडलोई, कु. मीनाक्षी डामोर, श्रीमती सुनिता मंडलोई, कालूराम मेवाड़े, रमेश सोलंकी, राजेन्द्र रावत, कृष्णपालसिंह और राधेश्याम खेड़े मौजूद रहे।
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वन संपदा पर खतरा और निगरानी पर सवाल
वन विभाग की यह कार्रवाई न केवल अवैध सागौन कटाई के नेटवर्क का खुलासा करती है, बल्कि पर्यावरण पर पड़ रहे गहरे प्रभाव को भी सामने लाती है। सागौन जैसे बहुमूल्य वृक्षों की अंधाधुंध कटाई से जंगलों का संतुलन बिगड़ रहा है, जैव विविधता प्रभावित हो रही है और भविष्य की पीढ़ियों का प्राकृतिक धरोहर से जुड़ाव खतरे में है।

वन सुरक्षा तंत्र में इतनी बड़ी चूक कैसे?
सवाल यह भी है कि इतनी बड़ी मात्रा में सागौन की लकड़ी कैसे काटी गई और लंबे समय तक विभागीय निगरानी से बची रही? जिस स्थान से लकड़ियां जब्त हुईं, वह जंगल से लगभग 26 किलोमीटर दूर है। यहां तक लकड़ी कैसे पहुंची जबकि रास्ते में कई चेकपोस्ट लगे हैं? जिस मकान में लकड़ी रखी गई थी, वहां चौखट और सिल्ली बनाने का काम लगातार चल रहा था, लेकिन इसके बावजूद गश्ती और निगरानी व्यवस्था इसे पकड़ नहीं पाई। यह स्थिति वन सुरक्षा तंत्र की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़े करती है।

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समाधान और सख्ती की ज़रूरत
अवैध सागौन कटाई की घटनाएं केवल वन संपदा को नुकसान नहीं पहुंचातीं, बल्कि स्थानीय समाज और शासन की साख पर भी सवाल खड़े करती हैं। सागौन की ऊंची कीमत ही अवैध व्यापारियों को इस धंधे की ओर आकर्षित करती है। यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो ओंकारेश्वर–बड़वाह क्षेत्र के जंगल उजड़ जाएंगे और पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ने से ग्रामीण जीवन भी प्रभावित होगा।

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