{"_id":"6874995f408971958e04bca7","slug":"this-is-the-temple-of-bholenath-where-sindoor-is-offered-to-shiva-sindoor-is-not-offered-to-bholenath-anywhere-in-the-world-narmadapuram-news-c-1-1-noi1406-3165709-2025-07-14","type":"story","status":"publish","title_hn":"Narmadapuram: अनोखा शिवालय जहां चढ़ाया जाता है सिंदूर, दुनिया में और कहीं नहीं है ऐसी परंपरा","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Narmadapuram: अनोखा शिवालय जहां चढ़ाया जाता है सिंदूर, दुनिया में और कहीं नहीं है ऐसी परंपरा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला,नर्मदापुरम
Published by: नर्मदापुरम ब्यूरो
Updated Mon, 14 Jul 2025 01:20 PM IST
विज्ञापन
सार
मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले की सतपुड़ा पहाड़ियों में स्थित तिलकसिंदुर धाम एक ऐसा प्राचीन शिव मंदिर है, जो अपनी अनोखी परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। यहां शिवलिंग पर सिंदूर चढ़ाने की परंपरा है, जो विश्व में कहीं और देखने को नहीं मिलती।

वन के पहले सोमवार पर तिलकसिंदुर शिवालय में उमड़ा आस्था का सैलाब
- फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन
विस्तार
सावन मास के पहले सोमवार को नर्मदापुरम जिले के प्रसिद्ध तिलकसिंदुर शिवालय में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। सतपुड़ा की दुर्गम पहाड़ियों में स्थित यह प्राचीन शिवधाम न सिर्फ श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि रहस्य और पौराणिक मान्यताओं से भी भरा हुआ है। यहां मौजूद शिवलिंग को लेकर मान्यता है कि स्वयं भगवान शिव ने भस्मासुर से बचने के लिए इस स्थान पर लिंग रूप में छिपकर सिंदूर का लेपन किया था, जिससे आज भी यहां सिंदूर चढ़ाने की परंपरा प्रचलित है।
भस्मासुर से बचने के लिए छिपे थे भोलेनाथ
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भस्मासुर को शिवजी से वरदान मिला कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा, तो उसने इसी वरदान को शिवजी पर ही आजमाने की कोशिश की। इससे भयभीत होकर भगवान शिव सतपुड़ा की घनी पहाड़ियों में छिप गए और लिंग रूप में स्वयं को स्थापित कर सिंदूर से ढंक लिया, ताकि भस्मासुर उन्हें पहचान न सके। इसके बाद उन्होंने पास ही स्थित गुफा में शरण ली और वहां से एक सुरंग के माध्यम से पचमढ़ी स्थित जटाशंकर धाम पहुंचे।
रहस्यमयी सुरंग आज भी मौजूद
श्रद्धालुओं का मानना है कि वह सुरंग आज भी मौजूद है जो पचमढ़ी तक जाती है। जटाशंकर धाम को शिवजी का दूसरा घर भी माना जाता है। तिलकसिंदुर के इस शिवलिंग की विशेषता यह है कि यहां जलहरी चतुष्कोणीय है, जबकि सामान्यत: शिवलिंग की जलहरी त्रिकोणीय होती है। यहां जल पश्चिम दिशा में प्रवाहित होता है, जैसा कि ओंकारेश्वर शिवालय में होता है, जबकि अन्य शिवालयों में जल उत्तर दिशा में बहता है।
ये भी पढ़ें: सागर जिले में बारिश के बीच बड़ा हादसा, सुनार नदी में नहाते समय वृद्ध बहा, तलाश जारी
गोविंदा की मां ने किया था व्रत, मनोकामना हुई थी पूर्ण
मंदिर के पुजारी लाल बाबा के अनुसार, यहां जो भी सच्चे मन से भोलेनाथ से प्रार्थना करता है, उसकी मनोकामना जरूर पूर्ण होती है। उन्होंने बताया कि फिल्म अभिनेता गोविंदा की मां ने भी गोविंदा के फिल्मी करियर को सुपरहिट बनाने के लिए यहां हल्दी भरे हाथों से अर्जी लगाई थी, जिसके बाद गोविंदा का करियर चमका। गोविंदा के भाई कार्तिक अब भी समय-समय पर दर्शन के लिए आते हैं।
महाशिवरात्रि पर लगता है तीन दिवसीय मेला
तिलकसिंदुर शिवालय में महाशिवरात्रि के अवसर पर तीन दिवसीय भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु मध्यप्रदेश सहित देशभर से यहां पहुंचते हैं। सावन माह में भी यहां बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं और तिलकसिंदुर बाबा से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। सावन के पहले सोमवार को मंदिर परिसर और गुफा के चारों ओर भक्ति और श्रद्धा का माहौल छाया रहा।

Trending Videos
भस्मासुर से बचने के लिए छिपे थे भोलेनाथ
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भस्मासुर को शिवजी से वरदान मिला कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा, तो उसने इसी वरदान को शिवजी पर ही आजमाने की कोशिश की। इससे भयभीत होकर भगवान शिव सतपुड़ा की घनी पहाड़ियों में छिप गए और लिंग रूप में स्वयं को स्थापित कर सिंदूर से ढंक लिया, ताकि भस्मासुर उन्हें पहचान न सके। इसके बाद उन्होंने पास ही स्थित गुफा में शरण ली और वहां से एक सुरंग के माध्यम से पचमढ़ी स्थित जटाशंकर धाम पहुंचे।
विज्ञापन
विज्ञापन
रहस्यमयी सुरंग आज भी मौजूद
श्रद्धालुओं का मानना है कि वह सुरंग आज भी मौजूद है जो पचमढ़ी तक जाती है। जटाशंकर धाम को शिवजी का दूसरा घर भी माना जाता है। तिलकसिंदुर के इस शिवलिंग की विशेषता यह है कि यहां जलहरी चतुष्कोणीय है, जबकि सामान्यत: शिवलिंग की जलहरी त्रिकोणीय होती है। यहां जल पश्चिम दिशा में प्रवाहित होता है, जैसा कि ओंकारेश्वर शिवालय में होता है, जबकि अन्य शिवालयों में जल उत्तर दिशा में बहता है।
ये भी पढ़ें: सागर जिले में बारिश के बीच बड़ा हादसा, सुनार नदी में नहाते समय वृद्ध बहा, तलाश जारी
गोविंदा की मां ने किया था व्रत, मनोकामना हुई थी पूर्ण
मंदिर के पुजारी लाल बाबा के अनुसार, यहां जो भी सच्चे मन से भोलेनाथ से प्रार्थना करता है, उसकी मनोकामना जरूर पूर्ण होती है। उन्होंने बताया कि फिल्म अभिनेता गोविंदा की मां ने भी गोविंदा के फिल्मी करियर को सुपरहिट बनाने के लिए यहां हल्दी भरे हाथों से अर्जी लगाई थी, जिसके बाद गोविंदा का करियर चमका। गोविंदा के भाई कार्तिक अब भी समय-समय पर दर्शन के लिए आते हैं।
महाशिवरात्रि पर लगता है तीन दिवसीय मेला
तिलकसिंदुर शिवालय में महाशिवरात्रि के अवसर पर तीन दिवसीय भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु मध्यप्रदेश सहित देशभर से यहां पहुंचते हैं। सावन माह में भी यहां बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं और तिलकसिंदुर बाबा से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। सावन के पहले सोमवार को मंदिर परिसर और गुफा के चारों ओर भक्ति और श्रद्धा का माहौल छाया रहा।