Omkareshwar News: नववर्ष पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पहुंचेंगे एक लाख से अधिक श्रद्धालु, VIP प्रोटोकॉल बंद
अंग्रेजी नववर्ष के अवसर पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है। प्रशासन के अनुसार 1 जनवरी को करीब एक लाख भक्त दर्शन के लिए पहुंच सकते हैं। प्रोटोकॉल दर्शन बंद रहेंगे और रैंप व्यवस्था से सुगम दर्शन कराए जाएंगे।
विस्तार
ओंकारेश्वर नर्मदा पावन क्षेत्र में नर्मदा नदी का प्रत्येक पत्थर-कंकड़ भगवान शिव का ही स्वरूप माना जाता है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को अटूट विश्वास है कि ओंकारेश्वर नर्मदा में जल के स्पर्श मात्र से पुण्य प्राप्ति होती है। यहां का कण-कण शिवम हैं। यही कारण है कि 12 ज्योतिर्लिंगों में चौथा स्थान पाने वाले ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को केवल एक पल ही निहारने के लिए देश-विदेश से यहां आने वाले श्रद्धालु बेताब रहते हैं। अंग्रेजी नव वर्ष का सैलाब उमड़ने की उम्मीद है। भक्तों का मानना है कि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन से कष्ट और सभी संकट नष्ट होते हैं मोक्ष की प्राप्ति होती है।
डिप्टी कलेक्टर और ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर प्रशासक मुकेश काशिव ने विशेष चर्चा में बताया कि नये साल के पहले दिन करीब एक लाख श्रद्धालुओं के ओंकारेश्वर आने की संभावना है। इस दिन सामान्य द्वार से ही दर्शन कर सकेंगे। प्रोटोकॉल दर्शन की सुविधा बंद रहेगी।
दर्शन के साथ ही आम नागरिकों को दर्शन होंगे। सीढ़ियों की बजाय भक्त ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के रैंप से गुजरकर दर्शन कर सकेंगे। मंदिर प्रशासक मुकेश काशिव ने बताया कि कतार में लगने वाले भक्तों को ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन में दो से ढाई घंटे का समय लगेगा। एक समय में चार लोग ही ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर पाते हैं। काशिव के अनुसार बड़ी संख्या में भक्तों के आगमन को देखते हुए व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं। दिसंबर अंतिम पखवाड़े से ही भक्तों की भारी भीड़ प्रत्येक दिन आ रही है। प्रशासन का लक्ष्य की देश-विदेश से आने वाले भक्तों को दर्शन और स्नान में किसी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े। मंदिर ट्रस्ट के सभी कर्मचारी समय-समय पर अपनी सेवाएं देने में लगे हैं।
ओंकारेश्वर मंदिर ट्रस्ट के मुख्य कार्यपालन अधिकारी पुनासा एसडीएम पंकज वर्मा ने कहा कि वर्तमान में प्रतिदिन 50 हजार से लेकर 60 श्रद्धालु ओंकारेश्वर ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग महादेव के दर्शन करने पहुंचे रहे हैं। नये वर्ष 2026 में यह आंकड़ा लाखों को पार कर जाएगा। स्थान की कमी के कारण मंदिर दर्शन करने में समय लगता है, क्योंकि यहां की भौगोलिक स्थिति अन्य तीर्थ स्थान की तरह नहीं है। ओंकार पर्वत पर पहाड़ी पर भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग महादेव का मंदिर सदियों पुराना बना है। इसलिए प्रशासन भी मंदिर में ज्यादा कुछ बदलाव नहीं कर सकता है। कोरोना कल के बाद से लगातार श्रद्धालु ओंकारेश्वर पहुंचने की संख्या बहुत ही बड़ी है।
ओंकारेश्वर थाना प्रभारी अनोख सिंधिया ने बताया कि पुलिस प्रशासन ने छोटे वाहनों को रोकने के लिए कार पार्किंग सुविधा है। वैसे एक दर्जन स्थानों पर पार्किंग की सुविधा की गई है। प्रतिदिन श्रद्धालु ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए आते हैं। नव वर्ष में भी यह नर्मदा नदी में स्नान के ओंकार पर्वत की परिक्रमा भी लगते हैं। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शनों का अपना महत्व है। हर भक्त यहां आकर दर्शन करने को आतुर रहता है। पुलिस विभाग की कई कंपनियां होमगार्ड के जवान स्थानीय पुलिस बल भी लगाया गया है।
ओंकारेश्वर पंडा संघ के अध्यक्ष पंडित नवलकिशोर शर्मा ने बताया कि मान्यता है कि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्वयंभू यानी खुद प्रगट होने वाला स्वरूप है। इसकी स्थापना से पुरानी कथाएं जुड़ी हैं। एक कथा के अनुसार अयोध्या के इच्छाव्कु वंश के राजा मांधाता में नर्मदा तट पर स्थित पर्वत पर भगवान शिव की कठिन तपस्या की थी। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव इस स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। बड़ी संख्या में भक्ति मांधाता दीप ओंकार पर्वत की साथ किलोमीटर लंबी परिक्रमा करने आते हैं।
ये भी पढ़ें- कमल और मखाने की माला से सजे महाकाल, साल की अंतिम भस्म आरती में भक्तों ने किए बाबा के दर्शन
ओंकारेश्वर मंदिर के पंडित निलेश पुरोहित ने बताया कि एक कथा यह भी है कि विंध्याचल पर्वत ने नारद मुनि से शेमारू पर्वत की प्रशंसा सुनी तो खुद की श्रेष्ठता के लिए शिव की आराधना की। उसके बाद शिव ने प्रगट होकर उसे ओंकारेश्वर और ममलेश्वर में विभाजित किया। एक अन्य कथा के अनुसार असुरों से हार जाने के बाद देवताओं ने भगवान शिव की प्रार्थना की। तब भगवान शिवा ओंकारेश्वर स्वरूप में प्रकट होकर असुरों का संहार किया। ओम के आकार के दीप पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थिति है। ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन और नर्मदा नदी के स्थान से भी तीर्थ स्नान का पूर्ण मिलता है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मुख्य दीप पर और ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के दक्षिण तक ब्रह्मपुरी में स्थित है।
शास्त्रों में उल्लेख है कि अन्य तीर्थ की यात्रा तब तक पूर्ण नहीं मानी जाती जब तक वहां का जल ओंकारेश्वर में अर्पित नहीं किया जाए। मान्यता यह भी है कि भगवान शिव और माता पार्वती हर दिन इस मंदिर में रात्रि विश्राम के लिए आते हैं। इस कारण प्रतिदिन मंदिर में चौपड़ पासे से की बिछात बिछाई जाती है।
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में आदि गुरु शंकराचार्य जी की 108 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है। इसे देखने भी लोग आते हैं। यह आध्यात्मिक और संस्कृति का केंद्र एकात्माधाम और अद्वैत लोग संग्रहालय बनाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि यहीं शंकराचार्य ने युवा काल में अपने गुरु गोविंद भगवत्पाद से शिक्षा ग्रहण की थी।
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

कमेंट
कमेंट X