MP: अपने अस्तित्व की तलाश में बिनेका पाटन, संरक्षण के अभाव में खत्म हो रही प्रतिहार काल की धरोहर
MP: बंडा तहसील से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित विनायका ग्राम को 15वीं सदी में बसाया गया था। पहले यह गोंड शासकों के अधीन था, बाद में बुंदेला राजा वीरसिंह, फिर मराठों और अंत में 1857 के विद्रोह के दौरान शाहगढ़ के राजा के कब्जे में आ गया। 1861 तक यह तहसील मुख्यालय रहा।
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मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड अंचल में स्थित सागर जिला ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से बेहद समृद्ध है। सागर शहर का नाम यहां की एक बड़ी झील ‘सागर’ के नाम पर पड़ा। स्वतंत्रता के बाद जब यह जिला बना तो इसके तहत कई पुराने रियासती इलाके जैसे धमौनी, बण्डा, राहतगढ़, गढ़ाकोटा, देवरी, रहली, खुरई आदि शामिल किए गए।
यहां पाषाण युग से लेकर आधुनिक काल तक के ऐतिहासिक प्रमाण मिलते हैं। बीना तहसील के एरण जैसे स्थलों से ताम्राश्म युग की सभ्यता के अवशेष मिले हैं। सागर जिले में गुप्त, परमार, प्रतिहार, चंदेल, कल्चुरी, बुंदेला, मराठा और गोंड राजवंशों की ऐतिहासिक धरोहरें बिखरी पड़ी हैं। कुछ स्मारकों की देखरेख हो रही है, लेकिन कई बेहद उपेक्षित हैं और धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं। ऐसा ही एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है बिनेका पाटन, जो आज संरक्षण की सख्त ज़रूरत में है।
बंडा तहसील से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित विनायका ग्राम को 15वीं सदी में बसाया गया था। पहले यह गोंड शासकों के अधीन था, बाद में बुंदेला राजा वीरसिंह, फिर मराठों और अंत में 1857 के विद्रोह के दौरान शाहगढ़ के राजा के कब्जे में आ गया। 1861 तक यह तहसील मुख्यालय रहा। यहां के मंदिर और मूर्तियों को देखकर लगता है कि यह गांव इससे भी पहले अस्तित्व में था। 8वीं-9वीं सदी के प्रतिहार कालीन विष्णु मंदिर और आसपास के गांव में चंदेल काल के जैन मंदिर इसकी पुष्टि करते हैं।
विनायका गांव में स्थित विष्णु मंदिर प्रतिहार काल का है। इसका निर्माण पंचरथी शैली में हुआ है। मंदिर का गर्भगृह वर्गाकार है और इसमें अलंकृत स्तंभ बने हैं। द्वार के ऊपर गरुड़ पर बैठे विष्णु का चित्रण है, हालांकि यह टूट चुका है। मंदिर परिसर में विष्णु, वामन, हरगौरी, सूर्य, गोमेध अंबिका आदि की पुरानी प्रतिमाएं भी रखी गई हैं। पास ही मंदिर की दीवारों पर कई शानदार मूर्तिशिल्प हैं, जिनमें उमा-महेश्वर की चौसर खेलते हुए मूर्ति, उनके साथ शिव गण, कार्तिकेय, नंदी और पार्वती की सखियां दिखती हैं। दिकपाल अग्नि की प्रतिमा उनके वाहन मेष के साथ बनी हुई है। शीतला माता की एक विशिष्ट मूर्ति भी यहां मौजूद है, जिसमें देवी गर्दभ पर सवार हैं और उनके हाथ में ध्वजदंड है।
मंदिर की दक्षिणी दीवार पर गजासुर संहार करते शिव की अत्यंत प्रभावशाली प्रतिमा है, जिसमें शिव त्रिशूल से असुर का वध करते नजर आते हैं और उनके पैरों के नीचे असुर दबा हुआ है। यही प्रतिमा इस मंदिर की सबसे उत्कृष्ट कृति मानी जा सकती है। वहीं, त्रिविक्रम रूप में भगवान विष्णु की एक और दुर्लभ मूर्ति भी यहां है, जिसमें विष्णु का एक पैर आकाश की ओर उठा हुआ है और वह आकाश में विस्फारित आंखों वाले मुख को स्पर्श कर रहा है। नीचे बली, शुक्राचार्य और एक सेवक की आकृतियां बनी हैं।
गांव में और भी कई प्राचीन प्रतिमाएं उपलब्ध हैं। समीप स्थित पाटन गांव में एक चंदेल कालीन जैन मंदिर है, जहां 11वीं-12वीं सदी की अनेक सुंदर जैन और सनातन धर्म की प्रतिमाएं आज भी सुरक्षित हैं। यह पूरा स्थल मध्यप्रदेश शासन द्वारा पुरातत्व महत्व का घोषित किया गया है, लेकिन यहां ना तो कोई सुरक्षा दीवार है, ना ही कोई जानकारी का बोर्ड। धन की लालच में कुछ लोगों ने इन धरोहरों को नुकसान भी पहुंचाया है। अगर समय रहते इन्हें सुरक्षित नहीं किया गया, तो यह ऐतिहासिक विरासत हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।
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बिनेका पाटन सागर जिले की बंडा तहसील में स्थित है, जो सागर मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर है। यहां सागर या बंडा से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। सागर निकटतम रेलवे स्टेशन है और निजी वाहन से भी यहां आना बेहद आसान है। सागर जिला पुरातत्व और ऐतिहासिक पर्यटन के लिहाज से बेहद समृद्ध है, लेकिन आजादी के बाद यहां संरक्षण और प्रचार-प्रसार की कमी रही है। अगर इस ओर ध्यान दिया जाए, तो यह क्षेत्र देश के पर्यटन नक्शे में महत्वपूर्ण स्थान बना सकता है।