{"_id":"692f03f79a977c46e308bf7e","slug":"high-court-reprimands-sidhi-collector-for-negligence-will-have-to-pay-fine-from-his-pocket-sidhi-news-c-1-1-noi1337-3693874-2025-12-02","type":"story","status":"publish","title_hn":"Sidhi News: सीधी कलेक्टर को हाईकोर्ट की फटकार, समय पर जवाब न देने पर ₹10 हजार का व्यक्तिगत जुर्माना","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Sidhi News: सीधी कलेक्टर को हाईकोर्ट की फटकार, समय पर जवाब न देने पर ₹10 हजार का व्यक्तिगत जुर्माना
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सीधी
Published by: सीधी ब्यूरो
Updated Tue, 02 Dec 2025 10:33 PM IST
सार
अदालत ने कलेक्टर से कटौती के आधार पर विस्तृत जवाब मांगा था, पर निर्धारित समय-सीमा में स्पष्ट उत्तर प्रस्तुत नहीं किया गया। बाद में दाखिल हलफनामा भी अधूरा पाया गया। सुनवाई के दौरान कलेक्टर ने लापरवाही स्वीकार की और माफी मांगी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया, लेकिन जुर्माना बरकरार रखा।
विज्ञापन
सीधी कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी।
- फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन
विस्तार
प्रशासनिक लापरवाही पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए सीधी कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी पर व्यक्तिगत स्तर पर ₹10 हजार का दंड लगाया है। अदालत ने स्पष्ट टिप्पणी की कि सरकारी तंत्र में बैठे उच्च अधिकारी यदि समय पर जवाब नहीं देते या आदेशों को हल्के में लेते हैं, तो न्यायालय कठोर कार्रवाई से पीछे नहीं हटेगा।
ये है मामला
सीधी जिले के तिलाठ गांव की निवासी सीता सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि उनकी जमीन अधिग्रहण मामले में प्रारंभिक मुआवजा ₹1.10 करोड़ से अधिक तय किया गया था। अधिग्रहण पूरा होने के बाद जिला प्रशासन ने नया आदेश पारित करते हुए मुआवजा घटाकर मात्र ₹5.40 लाख कर दिया। याचिकाकर्ता का कहना था कि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात राशि में कटौती न सिर्फ अनुचित है, बल्कि वैधानिक रूप से भी गलत है। इस विवाद को लेकर हाईकोर्ट ने सीधी कलेक्टर से विस्तृत जवाब मांगा था कि आखिर किस आधार पर दूसरा आदेश पारित किया गया और इतनी बड़ी कटौती क्यों की गई। अदालत ने समय-सीमा भी निर्धारित की थी, लेकिन उसके बावजूद कलेक्टर कार्यालय समय पर उत्तर प्रस्तुत नहीं कर सका।
अधूरा हलफनामा बना कार्रवाई की वजह
हालांकि बाद में कलेक्टर की ओर से जवाब दाखिल हुआ, लेकिन उसमें अदालत के मुख्य सवालों का स्पष्ट जवाब नहीं था। इस पर सख्ती दिखाते हुए हाईकोर्ट ने कलेक्टर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान कलेक्टर सोमवंशी ने अदालत के सामने स्वीकार किया कि हलफनामा अधूरा रहा और समय-सीमा का पालन भी नहीं हो सका।
ये भी पढ़ें- 50 हजार की धरम और पांच दिन का इंतजार तय करेगा दोषी कौन? पंचों ने भरवाया पंचनामा; जानें पूरा मामला
माफी स्वीकार पर भी जुर्माना बरकरार
कलेक्टर द्वारा पेश माफी को अदालत ने स्वीकार तो किया, लेकिन लापरवाही को गंभीर मानते हुए उन पर ₹10,000 का व्यक्तिगत दंड लगाया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि यह राशि सरकारी खाते से नहीं, बल्कि कलेक्टर को अपनी जेब से जमा करनी होगी।
न्यायालय का सख्त सन्देश
हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि शासन-प्रशासन में बैठे अधिकारियों की जवाबदेही सर्वोपरि है। यदि अधिकारी समय पर और स्पष्ट जानकारी नहीं देते, तो इससे न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित होती है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
Trending Videos
ये है मामला
सीधी जिले के तिलाठ गांव की निवासी सीता सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि उनकी जमीन अधिग्रहण मामले में प्रारंभिक मुआवजा ₹1.10 करोड़ से अधिक तय किया गया था। अधिग्रहण पूरा होने के बाद जिला प्रशासन ने नया आदेश पारित करते हुए मुआवजा घटाकर मात्र ₹5.40 लाख कर दिया। याचिकाकर्ता का कहना था कि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात राशि में कटौती न सिर्फ अनुचित है, बल्कि वैधानिक रूप से भी गलत है। इस विवाद को लेकर हाईकोर्ट ने सीधी कलेक्टर से विस्तृत जवाब मांगा था कि आखिर किस आधार पर दूसरा आदेश पारित किया गया और इतनी बड़ी कटौती क्यों की गई। अदालत ने समय-सीमा भी निर्धारित की थी, लेकिन उसके बावजूद कलेक्टर कार्यालय समय पर उत्तर प्रस्तुत नहीं कर सका।
विज्ञापन
विज्ञापन
अधूरा हलफनामा बना कार्रवाई की वजह
हालांकि बाद में कलेक्टर की ओर से जवाब दाखिल हुआ, लेकिन उसमें अदालत के मुख्य सवालों का स्पष्ट जवाब नहीं था। इस पर सख्ती दिखाते हुए हाईकोर्ट ने कलेक्टर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान कलेक्टर सोमवंशी ने अदालत के सामने स्वीकार किया कि हलफनामा अधूरा रहा और समय-सीमा का पालन भी नहीं हो सका।
ये भी पढ़ें- 50 हजार की धरम और पांच दिन का इंतजार तय करेगा दोषी कौन? पंचों ने भरवाया पंचनामा; जानें पूरा मामला
माफी स्वीकार पर भी जुर्माना बरकरार
कलेक्टर द्वारा पेश माफी को अदालत ने स्वीकार तो किया, लेकिन लापरवाही को गंभीर मानते हुए उन पर ₹10,000 का व्यक्तिगत दंड लगाया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि यह राशि सरकारी खाते से नहीं, बल्कि कलेक्टर को अपनी जेब से जमा करनी होगी।
न्यायालय का सख्त सन्देश
हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि शासन-प्रशासन में बैठे अधिकारियों की जवाबदेही सर्वोपरि है। यदि अधिकारी समय पर और स्पष्ट जानकारी नहीं देते, तो इससे न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित होती है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
विज्ञापन
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.
विज्ञापन
विज्ञापन

कमेंट
कमेंट X