Sidhi: 100 करोड़ की रॉयल्टी किसके इशारे पर डकारी गई? सांसद-विधायक पर भड़के पूर्व विधायक शुक्ला ने कह दी ये बात
Sidhi: ललितपुर–सिंगरौली रेल लाइन निर्माण में करीब 100 करोड़ रुपये की रॉयल्टी गबन का आरोप लगा है। पूर्व विधायक केदारनाथ शुक्ला ने प्रशासन, सांसद और विधायक पर चुप्पी साधने का आरोप लगाते हुए उच्चस्तरीय जांच और सख्त कार्रवाई की मांग की है।
विस्तार
सीधी जिले में निर्माणाधीन ललितपुर–सिंगरौली रेल लाइन परियोजना को लेकर एक बड़ा वित्तीय घोटाला सामने आया है। परियोजना के तहत बीते करीब पांच वर्षों से पटरी बिछाने का कार्य तेज गति से चल रहा है, लेकिन आरोप है कि इस दौरान मिट्टी और मुरुम के बड़े पैमाने पर उपयोग के बावजूद खनिज विभाग को देय रॉयल्टी की राशि जमा नहीं की गई। नियमों के अनुसार किसी भी ठेकेदार को खनिज सामग्री के उपयोग से पहले अनुमति लेना और रॉयल्टी जमा करना अनिवार्य होता है, लेकिन इस मामले में वर्षों तक नियमों की खुलेआम अनदेखी होती रही।
इस पूरे मामले पर सीधी जिला प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। बताया जा रहा है कि लंबे समय तक प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हाल ही में कलेक्टर स्वरोचिस सोमवंशी और खनिज विभाग के अधिकारी कपिल मुनि शुक्ला ने जब रेलवे विभाग के अधिकारियों और संबंधित ठेकेदार से जवाब-तलब किया, तब जाकर ठेकेदार गोपाल सिंह जोधा ने रॉयल्टी के नाम पर मात्र 30 लाख रुपये जमा किए। हालांकि, अब भी करीब 100 करोड़ रुपये की रॉयल्टी के गबन का आरोप लगाया जा रहा है, जिससे मामला और गंभीर हो गया है।
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इस मुद्दे को लेकर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं सीधी क्षेत्र से पांच बार विधायक रह चुके पंडित केदारनाथ शुक्ला ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने क्षेत्रीय सांसद डॉ. राजेश मिश्रा और विधायक रीति पाठक पर निशाना साधते हुए कहा कि “ये लोग सिर्फ निरीक्षण करते रहे और अपनी रोटी सेकते रहे। इतने बड़े पैमाने पर रॉयल्टी का गबन हुआ, लेकिन किसी ने सवाल उठाने की जरूरत नहीं समझी।”
पंडित केदारनाथ शुक्ला ने सीधे सवाल किया कि 100 करोड़ रुपये की रॉयल्टी का गबन आखिर किसके इशारे पर हुआ और अब तक अधिकारियों को कार्रवाई से किसने रोके रखा। उन्होंने मांग की कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच कराई जाए। साथ ही जांच में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों, ठेकेदारों और संबंधित जिम्मेदार लोगों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं पर रोक लग सके।
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