Ujjain News: भैरव अष्टमी पर लगा 1500 प्रकार का भोग, 20 तरह की शराब और 64 चॉकलेट चढ़ाई गईं
यह परंपरा 2004 से भक्त नीरज देसाई के परिवार द्वारा जारी है, जिन्हें भगवान ने सपने में दर्शन दिए थे। बुधवार को भैरव अष्टमी ब्रह्म योग में पड़ी, जिसे साधना और उच्च पद प्राप्ति के लिए शुभ माना गया है। कल भगवान कालभैरव की भव्य सवारी भी निकलेगी।
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धर्मनगरी उज्जैन में आज भैरव अष्टमी धूमधाम से मनाई जा रही है। उज्जैन में विराजमान अष्ट भैरव की अलग-अलग महिमा है। भैरव अष्टमी पर मंदिरों में विशेष अनुष्ठान, पूजन, रुद्राभिषेक, हवन, भोग सहित महाआरती का आयोजन हो रहा है। खास बात यह है अष्ट भैरव में से एक 56 भैरव नामक उज्जैन के भागसीपुरा में स्थान है। जहां 56 भैरव को विशेष भोग की परंपरा है। शुरुआत में यहां भगवान को 56 प्रकार के भोग लगते थे, जो बढ़कर अब 1500 से अधिक प्रकार के हो गए हैं। इसमें शराब के कई ब्रांड, बीड़ी-सिगरेट के कई ब्रांड, तम्बाकू, अफीम, गांजा, पान, सब्जी पूरी, नमकीन, बिस्किट, सॉफ्ट ड्रिंक और अन्य अनेक आइटम का भोग भगवान को लगता है।
भागसीपुरा में 56 भैरव का अतिप्राचीन मंदिर है। मंदिर के पुजारी चंद्रशेखर व्यास बताते हैं इस मंदिर में भैरव की 56 प्रतिमाएं एक साथ विराजमान हैं। ये मंदिर सम्राट विक्रमादित्य के समय का बताया जाता है। 56 भैरव मंदिर में सम्राट विक्रमादित्य, राजा भर्तहरि आकर पूजन पाठ किया करते थे। इस मंदिर को चमत्कारी भैरव के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में 1500 प्रकार के भोग लगाए जाते हैं। भोग लगाने वाले श्रद्धालु का नाम नीरज देसाई है, जोकि इंदौर के रहने वाले हैं। वर्ष 2004 से ये क्रम जारी है। नीरज बताते हैं उनकी मां कला देवी और पत्नी संतोष देसाई को भगवान ने सपने में दर्शन दिए थे। शुरुआत 56 भोग से की, जो आज 1500 प्रकार के भोग तक पहुंच गई है।
20 प्रकार की मदिरा, गांजा-चिलम से लेकर विदेशी फल
इस महाभोग की खासियत इसमें शामिल अनगिनत वस्तुएं है। भगवान को 20 प्रकार की देसी-विदेशी शराब, गांजा, चिलम, भांग, अफीम, 60 से अधिक प्रकार की बीड़ी-सिगरेट, 30 प्रकार के तंबाकू पाउच और 1500 से अधिक सामग्रियां अर्पित की गईं। साथ ही 200 प्रकार के इत्र, 400 प्रकार की अगरबत्तियां, 180 प्रकार के मुखवास, 130 प्रकार के नमकीन, 80 प्रकार की मिठाइयां, 64 प्रकार की चॉकलेट और 75 प्रकार के ड्राई फ्रूट्स जैसे व्यंजन भी शामिल है।
साल 2004 से काल भैरव को शराब का भोग
मंदिर के पुजारी चंद्रशेखर व्यास बताते हैं वर्ष 2004 से पहले कभी बाबा भैरव को शराब का भोग नहीं लगाया गया, लेकिन भक्त नीरज के परिवार को भगवान ने दर्शन दिए और उन्हीं की आज्ञा 2004 से शराब का भोग लगाने की परंपरा शुरू हो गई। आज 60 प्रकार की शराब जिसमें वोडका, विस्की, रम, बियर और गांजा, अफीम, भांग भी शामिल है। साथ ही 40 प्रकार के बेकरी प्रोडक्ट, सभी प्रकार के फल, 28 प्रकार के सॉफ्टड्रिंक, नमकीन, 64 तरह की चॉकलेट, 80 प्रकार की मिठाई, पान, सब्जी पूड़ी मालपुआ और अन्य अनेक आइटम भगवान को भोग लगाते हैं।
काल भैरव की विशिष्ट साधना उच्च पद प्रदान करती है
पंडित एवं ज्योतिषाचार्य अमर डब्बेवाला के अनुसार पौराणिक मान्यता व भैरव तंत्र के ग्रंथों में मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मध्य रात्रि विशेष मानी गई है। देवी व शिव ग्रंथों में भी भैरव के प्राकट्य व संबंधित क्षेत्र के अधिपति होने का वर्णन है। इस बार भैरव अष्टमी आज 12 नवंबर बुधवार को ब्रह्म योग में है। बुधवार का दिन भैरव की साधना के लिए उपयुक्त माना जाता है। ब्रह्म योग में विशिष्ट साधना उच्च पद प्रदान करती है। इस दिन अष्ट भैरव का पूजन करने की मान्यता है।
काल भैरव की सवारी निकलेगी कल
आज भैरव अष्टमी के बाद 13 नवंबर को भगवान महाकाल के कोतवाल विश्व प्रसिद्ध कालभैरव की सवारी कालभैरव मंदिर से शाम 4 बजे निकाले जाने की परंपरा है। सवारी में बाबा कालभैरव नगर भ्रमण के लिए रवाना होते हैं। इसके पहले मंदिर के सभा मंडप में भगवान कालभैरव की रजत प्रतिमा का पूजन होता है। सवारी मंदिर से केंद्रीय जेल भैरवगढ़ के मुख्य द्वार के बाहर होती हुई जेल के यहां गार्ड आॅफ आनर लेते हुए सिद्धवट क्षीप्रा नदी पहुंचती है। सिद्धवट पर पूजन के बाद वापस सवारी कालभैरव मंदिर लौटती है।
यहां विराजमान हैं अष्ट भैरव
उज्जैन में अष्ट भैरव के स्थान में सबसे प्रसिद्ध कालभैरव का धाम है, जोकि भैरवगढ़ क्षेत्र में है। यहां भगवान भैरव शराब का सेवन करते हैं, जिसे आज तक कोई नहीं जान पाया कि उन्हें चढ़ाई गई शराब कहां जाती है। ओखलेश्वर शमशान में विक्रांत भैरव हैं, इन्हें शहर के संरक्षक के रूप में देखा जाता है। ये स्थान अघोर परंपरा तांत्रिकों के लिए विशेष है। सिंहपुरी क्षेत्र में आताल पाताल भैरव हैं, जोकि बालस्वरूप में हैं। आनंद भैरव श्री राम घाट के पास विराजमान हैं, ये भक्तों को आनंद और शांति का आशीर्वाद देते हैं। बटुक भैरव अभय देने वाले, दंड पाणी भैरव दुष्टों को दंडित करने वाले, गढ़कालिका माता मंदिर के पास काला गौरा भैरव दो भाई हैं। कालिदास उद्यान में चक्रपाणि भैरव हैं।