Ujjain News: व्याख्यानमाला में बोलीं बारुरे-जनमानस में आत्मविश्वास का बीज बोना महात्मा गांधी की सबसे बड़ी सफलता
भारतीय ज्ञानपीठ में 23वीं सद्भावना व्याख्यानमाला के चौथे दिन शैलजा बारूरे ने कहा कि गांधी ने आत्मविश्वास व मानवतावाद का बीज बोया, सत्याग्रह से अहिंसा की शक्ति सिद्ध की। डॉ. निवेदिता वर्मा ने गांधी को जयंतियों तक सीमित करने पर अफसोस जताया, उनके मूल्यों को वैश्विक सद्भाव के लिए जरूरी बताया।
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जनमानस में आत्मविश्वास का बीज बोना गांधी की सबसे बड़ी सफलता थी। विरोध करने वाले भी उनके मानवतावादी चरित्र से प्रभावित हुए बिना नहीं रहते थे। दक्षिण अफ्रीका से उनके प्रस्थान पर उनके विरोधियों तक ने दुख व्यक्त किया। यह उनकी मानवीय शक्ति का प्रमाण है। उन्होंने सिखाया कि प्रतिस्पर्धा छल-कपट से नहीं, बल्कि करुणा, दया, स्नेह और नैतिक शक्ति से जीती जाती है। आज जब पूरी दुनिया संघर्षों और टकराव की ओर बढ़ रही है, गांधी के यही मूल्य वैश्विक सद्भाव के लिए सबसे आवश्यक प्रतिमान बन जाते हैं।
उक्त विचार वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं महात्मा गांधी स्टडी सेंटर, अंबाजोगई (महाराष्ट्र) की निदेशक शैलजा बारूरे ने स्व. कृष्णमंगल सिंह कुलश्रेष्ठ की प्रेरणा और पद्मभूषण डॉ. शिवमंगल सिंह सुमन की स्मृति में भारतीय ज्ञानपीठ में आयोजित 23वीं अखिल भारतीय सद्भावना व्याख्यानमाला के चतुर्थ दिवस पर मुख्य वक्ता के रूप में डिजिटली व्यक्त किए। कार्यक्रम की शुरुआत सद्भावना एवं देशभक्ति गीत से हुई। दीप प्रज्जवलन वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ. स्मिता भंवालकर, डॉ. शिव चौरसिया, डॉ. पुष्पा चौरसिया, सोनू गहलोत, डॉ. शैलेंद्र पाराशर, अमृता कुलश्रेष्ठ द्वारा किया गया। अतिथि स्वागत प्राचार्यगण डॉ. रश्मि शर्मा, डॉ. नीलम महाडिक, रचना श्रीवास्तव, जयनिथ बग्गा ने किया। इस अवसर पर संध्या महाजन, अक्षय अमेरिया, विनोद काबरा, रमेश सुभाग्य , एडवोकेट दिनेश पंडया, प्रो. बृज किशोर शर्मा, डॉ. चंदर सोनाने, डॉ. सुनीता श्रीवास्तव, मयूरी वैरागी सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
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गांधी केवल राष्ट्रपिता ही नहीं मानवता को स्थायी मूल्य देने वाले महान पूर्वज
महात्मा गांधी और मानवतावाद विषय पर बात रखते हुए शैलजा बारूरे ने कहा कि गांधी ने सत्याग्रह के माध्यम से सिद्ध किया कि अन्याय और शोषण का अंत रचनात्मक और अहिंसात्मक मार्ग से भी संभव है। आज भी विश्व की प्रत्येक बड़ी समस्या के समाधान में गांधी के विचार सबसे विश्वसनीय मार्गदर्शक के रूप में उपस्थित रहते हैं। उन्होंने लोगों में यह भाव जगाया कि यदि कोई कानून या नियम मनुष्य के हित में नहीं है तो उसके विरुद्ध आवाज उठाना प्रत्येक नागरिक का अधिकार और कर्तव्य है, नमक सत्याग्रह इसका जीवंत प्रमाण बन गया। महात्मा गांधी एक मानवतावादी विचारक थे और मानव जीवन के लिए आवश्यक मूल्यों को उन्होंने अपने आचरण से स्थापित किया। उनका संपूर्ण जीवन मानवतावाद का प्रयोगशाला था। भारत की आजादी के संघर्ष में उनका प्रत्येक आंदोलन मानवता के मूल्यों के साथ जारी रहा। भारत में उन्होंने जो भी मानवतावादी प्रयोग किए, उनके परिणामों का लाभ केवल हमारे देश ने नहीं, पूरी दुनिया ने महसूस किया। इसलिए गांधी को केवल राष्ट्रपिता ही नहीं, बल्कि मानवता को स्थायी मूल्य देने वाले हमारे महान पूर्वज के रूप में समझना चाहिए। आज वैश्विक संघर्षों के बीच समाधान की राह महात्मा गांधी के मानवीय मूल्यों में ही दिखाई देती है।
महात्मा गांधी को जयंतियों और पुण्यतिथियों तक कर दिया सीमित
वरिष्ठ शिक्षाविद्, डॉ. अंबेडकर पीठ, सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय, उज्जैन की डॉ. निवेदिता वर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी को हमने केवल जयंतियों और पुण्यतिथियों तक सीमित कर दिया है, जबकि उनका दर्शन असल में जीवन और समाज का व्यापक मार्गदर्शन करता है। गांधी की प्रिय पुस्तक भगवद् गीता उनके लिए हर कठिन परिस्थिति में शक्ति और समाधान का स्रोत रही। उन्होंने कहा कि आज जब विश्व बाजारवाद और कटु प्रतिस्पर्धा के दौर से गुजर रहा है, मानवीय नैतिक मूल्य क्षीण होते जा रहे हैं और पश्चिमी प्रभाव हमारे सांस्कृतिक मूल्यों को भी प्रभावित कर रहा है। धर्म आज भी जीवन का आधार है, परंतु हमने उसे सामाजिक कर्तव्य से दूर कर केवल एक सीमित परिधि में बाँध दिया है, जबकि गांधी के लिए धर्म का अर्थ था—सभी का हित, सभी का सुख।

कार्यक्रम में उपस्थित श्रोता।

आयोजन की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई।