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Umaria News: चंदिया वन परिक्षेत्र में अवैध रेत उत्खनन पर छापामार कार्रवाई, ट्रैक्टर-ट्रॉली जब्त
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उमरिया
Published by: उमरिया ब्यूरो
Updated Mon, 08 Sep 2025 05:38 PM IST
सार
वाहन मालिक भानू यादव के खिलाफ भारतीय वन अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। विभाग का कहना है कि लगातार गश्त और निगरानी से अवैध खनन पर रोक लगाने का प्रयास जारी है। अवैध रेत उत्खनन से पर्यावरण, जलस्रोत और खेती पर खतरा मंडरा रहा है।
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अवैध रेत उत्खनन के दौरान जब्त की गई ट्रैक्टर-ट्राली।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
जिले के चंदिया वन परिक्षेत्र में अवैध रेत उत्खनन का मामला सामने आया है। रविवार की देर रात वन विभाग की टीम ने छापामार कार्रवाई करते हुए ट्रैक्टर-ट्राॅली सहित अवैध रेत जब्त की। कार्रवाई के दौरान मजदूर और वाहन चालक मौके से फरार हो गए, जबकि जब्त वाहन को चंदिया परिक्षेत्र परिसर में सुरक्षित खड़ा किया गया है।
सूचना के मुताबिक बरौदा बीट के कक्ष क्रमांक आरएफ 28 के सेमरहा नाले से लंबे समय से रेत निकाले जाने की शिकायत मिल रही थी। रविवार को रात में भी गुपचुप तरीके से रेत निकाले जाने की जानकारी वन विभाग को मिली। रेंजर घरमू सिंह के नेतृत्व में तत्काल टीम गठित कर मौके की घेराबंदी की गई। टीम में उपवनपाल दीपक खटीक, वनरक्षक विमलेश गुप्ता और सुरक्षा श्रमिक शामिल थे।
जैसे ही विभागीय अमला घटनास्थल पर पहुंचा, उत्खनन में लगे मजदूर और वाहन चालक ट्रैक्टर-ट्राली छोड़कर भाग निकले। वन विभाग ने मौके से वाहन को जब्त कर अपने कब्जे में ले लिया। इस संबंध में परिक्षेत्र अधिकारी घरमू सिंह ने बताया कि वाहन मालिक भानू यादव के खिलाफ भारतीय वन अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। चंदिया क्षेत्र में लगातार अवैध रेत उत्खनन की शिकायतें मिल रही थीं। इसे देखते हुए विभाग नियमित गश्त और निगरानी कर रहा है। अवैध खनन पर किसी भी कीमत पर रोक लगाई जाएगी। जिम्मेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
ये भी पढ़ें- अब 12 करोड़ रुपये के इस घोटाले में रिटायर्ड SDOP की फंसी गर्दन, हाई कोर्ट को दी थी भ्रामक जानकारी
अवैध खनन पर बढ़ता दबाव
जिले के कई इलाकों में अवैध रेत खनन लंबे समय से एक बड़ी समस्या बना हुआ है। सेमरहा नाला और आसपास के क्षेत्रों में रात के अंधेरे में रेत निकाली जाती है और फिर ट्रैक्टर-ट्रालियों से इधर-उधर पहुंचाई जाती है। ग्रामीण भी इस अवैध कारोबार से परेशान हैं, क्योंकि नदियों और नालों से बेतरतीब रेत निकालने से जलस्रोतों का स्वरूप बिगड़ रहा है। इससे न केवल पर्यावरणीय संतुलन पर असर पड़ रहा है, बल्कि खेती किसानी और भू-जल स्तर पर भी खतरा मंडरा रहा है।
उत्खनन करने वाले लोगों का नेटवर्क मजबूत
स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार शिकायतों के बावजूद खनन माफिया सक्रिय बने रहते हैं। कुछ मौकों पर विभागीय कार्रवाई भी होती है, लेकिन अवैध कारोबार पूरी तरह थमता नहीं है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि अवैध रेत उत्खनन करने वाले लोगों का नेटवर्क मजबूत है और वे जोखिम उठाकर भी धंधा जारी रखते हैं।
विभाग की चुनौती
वन विभाग के लिए इस तरह की कार्रवाई आसान नहीं होती। सीमित संसाधनों और कम कर्मचारियों के बावजूद गश्त कर पाना चुनौतीपूर्ण है। अधिकारी बताते हैं कि अवैध खनन करने वाले अक्सर सुनसान जगहों को निशाना बनाते हैं और अचानक छापेमारी के दौरान ही पकड़े जाते हैं। यही वजह है कि कई बार वाहन चालक और मजदूर मौके से भागने में सफल हो जाते हैं। हालांकि, विभाग का कहना है कि ऐसे मामलों में वाहन जब्ती और मालिकों पर कार्रवाई ही सबसे बड़ा हथियार है। जब जब्त वाहनों की संख्या बढ़ती है और जिम्मेदारों पर जुर्माना या प्रकरण दर्ज होता है तो धीरे-धीरे खनन माफिया पर दबाव बनता है।
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सूचना के मुताबिक बरौदा बीट के कक्ष क्रमांक आरएफ 28 के सेमरहा नाले से लंबे समय से रेत निकाले जाने की शिकायत मिल रही थी। रविवार को रात में भी गुपचुप तरीके से रेत निकाले जाने की जानकारी वन विभाग को मिली। रेंजर घरमू सिंह के नेतृत्व में तत्काल टीम गठित कर मौके की घेराबंदी की गई। टीम में उपवनपाल दीपक खटीक, वनरक्षक विमलेश गुप्ता और सुरक्षा श्रमिक शामिल थे।
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जैसे ही विभागीय अमला घटनास्थल पर पहुंचा, उत्खनन में लगे मजदूर और वाहन चालक ट्रैक्टर-ट्राली छोड़कर भाग निकले। वन विभाग ने मौके से वाहन को जब्त कर अपने कब्जे में ले लिया। इस संबंध में परिक्षेत्र अधिकारी घरमू सिंह ने बताया कि वाहन मालिक भानू यादव के खिलाफ भारतीय वन अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। चंदिया क्षेत्र में लगातार अवैध रेत उत्खनन की शिकायतें मिल रही थीं। इसे देखते हुए विभाग नियमित गश्त और निगरानी कर रहा है। अवैध खनन पर किसी भी कीमत पर रोक लगाई जाएगी। जिम्मेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
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अवैध खनन पर बढ़ता दबाव
जिले के कई इलाकों में अवैध रेत खनन लंबे समय से एक बड़ी समस्या बना हुआ है। सेमरहा नाला और आसपास के क्षेत्रों में रात के अंधेरे में रेत निकाली जाती है और फिर ट्रैक्टर-ट्रालियों से इधर-उधर पहुंचाई जाती है। ग्रामीण भी इस अवैध कारोबार से परेशान हैं, क्योंकि नदियों और नालों से बेतरतीब रेत निकालने से जलस्रोतों का स्वरूप बिगड़ रहा है। इससे न केवल पर्यावरणीय संतुलन पर असर पड़ रहा है, बल्कि खेती किसानी और भू-जल स्तर पर भी खतरा मंडरा रहा है।
उत्खनन करने वाले लोगों का नेटवर्क मजबूत
स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार शिकायतों के बावजूद खनन माफिया सक्रिय बने रहते हैं। कुछ मौकों पर विभागीय कार्रवाई भी होती है, लेकिन अवैध कारोबार पूरी तरह थमता नहीं है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि अवैध रेत उत्खनन करने वाले लोगों का नेटवर्क मजबूत है और वे जोखिम उठाकर भी धंधा जारी रखते हैं।
विभाग की चुनौती
वन विभाग के लिए इस तरह की कार्रवाई आसान नहीं होती। सीमित संसाधनों और कम कर्मचारियों के बावजूद गश्त कर पाना चुनौतीपूर्ण है। अधिकारी बताते हैं कि अवैध खनन करने वाले अक्सर सुनसान जगहों को निशाना बनाते हैं और अचानक छापेमारी के दौरान ही पकड़े जाते हैं। यही वजह है कि कई बार वाहन चालक और मजदूर मौके से भागने में सफल हो जाते हैं। हालांकि, विभाग का कहना है कि ऐसे मामलों में वाहन जब्ती और मालिकों पर कार्रवाई ही सबसे बड़ा हथियार है। जब जब्त वाहनों की संख्या बढ़ती है और जिम्मेदारों पर जुर्माना या प्रकरण दर्ज होता है तो धीरे-धीरे खनन माफिया पर दबाव बनता है।

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