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Umaria News: बांधवगढ़ से रेस्क्यू की गई बाघिन वन विहार पहुंची, तीन महीने चली निगरानी के बाद लिया गया फैसला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उमरिया
Published by: उमरिया ब्यूरो
Updated Tue, 05 Aug 2025 09:03 AM IST
सार
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से रेस्क्यू की गई एक तीन वर्षीय बाघिन को इंसान पर जानलेवा हमले के बाद सोमवार को भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान स्थानांतरित कर दिया गया। अप्रैल में एक 12 वर्षीय बालक की मौत के बाद बाघिन को पकड़कर निगरानी में रखा गया था।
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तीन वर्षीय बाघिन बांधवगढ़ से रेस्क्यू कर वन विहार भेजी गई
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से रेस्क्यू की गई एक तीन वर्षीय बाघिन को सोमवार को भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित किया गया। यह निर्णय अप्रैल में हुई एक दर्दनाक घटना के बाद लिया गया, जब उक्त बाघिन ने धमोखर परिक्षेत्र के पिपरिया बीट में एक 12 वर्षीय बालक पर हमला कर उसकी जान ले ली थी। घटना के बाद वन विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए बाघिन को पकड़कर मगधी जोन के बहेरहा इंक्लोजर में रखा था, जहां उसे विशेषज्ञों की निगरानी में तीन महीने तक रखा गया। इस दौरान वन्यजीव विशेषज्ञों ने बाघिन के व्यवहार का गहन अध्ययन किया और पाया कि वह जंगल में स्वतंत्र रूप से रहने और शिकार करने में अक्षम है।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर अनुपम सहाय ने बताया कि बाघिन के स्वास्थ्य और व्यवहार संबंधी रिपोर्ट भोपाल मुख्यालय को भेजी गई थी, जिसके आधार पर उसे स्थायी रूप से वन विहार भेजने की स्वीकृति दी गई। बाघिन को भोपाल लाने के लिए वन विभाग ने 20 सदस्यीय विशेष टीम का गठन किया, जिसमें वन्यजीव विशेषज्ञ, पशु चिकित्सक, ट्रेंक्युलाइज़र टीम और सुरक्षा कर्मी शामिल थे। बाघिन को ट्रेंक्युलाइज कर विशेष वाहन से भोपाल लाया गया। अब वह वन विहार के सुरक्षित वातावरण में रहेगी, जहां उसकी नियमित निगरानी और देखभाल की जाएगी।
ये भी पढ़ें- Bhopal: सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश OBC आरक्षण की सुनवाई टली, अगली सुनवाई 12 अगस्त को,OBC छात्रों की याचिका
विशेषज्ञों के अनुसार, सामान्यतः तीन साल की उम्र तक बाघ शिकार करने की पूरी योग्यता प्राप्त कर लेता है, लेकिन इस बाघिन में शिकारी प्रवृत्ति का विकास नहीं हो पाया। यदि उसे जंगल में छोड़ा जाता तो वह न केवल स्वयं के लिए, बल्कि अन्य वन्यजीवों और ग्रामीणों के लिए भी खतरा बन सकती थी। उल्लेखनीय है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व देश-विदेश में बाघ संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है। वहां से किसी बाघ या बाघिन का स्थायी रूप से अन्यत्र स्थानांतरण एक संवेदनशील और विचारशील निर्णय माना जाता है। अब यह बाघिन वन विहार में संरक्षित जीवन बिताएगी और वन्यजीव संरक्षण के प्रति जनजागरूकता का माध्यम भी बनेगी।
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बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर अनुपम सहाय ने बताया कि बाघिन के स्वास्थ्य और व्यवहार संबंधी रिपोर्ट भोपाल मुख्यालय को भेजी गई थी, जिसके आधार पर उसे स्थायी रूप से वन विहार भेजने की स्वीकृति दी गई। बाघिन को भोपाल लाने के लिए वन विभाग ने 20 सदस्यीय विशेष टीम का गठन किया, जिसमें वन्यजीव विशेषज्ञ, पशु चिकित्सक, ट्रेंक्युलाइज़र टीम और सुरक्षा कर्मी शामिल थे। बाघिन को ट्रेंक्युलाइज कर विशेष वाहन से भोपाल लाया गया। अब वह वन विहार के सुरक्षित वातावरण में रहेगी, जहां उसकी नियमित निगरानी और देखभाल की जाएगी।
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विशेषज्ञों के अनुसार, सामान्यतः तीन साल की उम्र तक बाघ शिकार करने की पूरी योग्यता प्राप्त कर लेता है, लेकिन इस बाघिन में शिकारी प्रवृत्ति का विकास नहीं हो पाया। यदि उसे जंगल में छोड़ा जाता तो वह न केवल स्वयं के लिए, बल्कि अन्य वन्यजीवों और ग्रामीणों के लिए भी खतरा बन सकती थी। उल्लेखनीय है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व देश-विदेश में बाघ संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है। वहां से किसी बाघ या बाघिन का स्थायी रूप से अन्यत्र स्थानांतरण एक संवेदनशील और विचारशील निर्णय माना जाता है। अब यह बाघिन वन विहार में संरक्षित जीवन बिताएगी और वन्यजीव संरक्षण के प्रति जनजागरूकता का माध्यम भी बनेगी।

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