जानें इन दो जिलों का चुनावी गणित: रक्षा मंत्री से लेकर गृह राज्य मंत्री और शहरी विकास राज्य मंत्री से लेकर भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तक के रुतबे की परीक्षा
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विस्तार
तीन दिन बाद यानी 23 फरवरी को उत्तर प्रदेश में चौथे चरण का मतदान होना है। यह मतदान उत्तर प्रदेश के उन जिलों में होगा जिस पर पूरे देश की नजरें लगी हुई हैं। इसमें हाल में सबसे ज्यादा विवादों में घिरे केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के गृह जनपद लखीमपुर खीरी का चुनाव भी शामिल है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी मतदान होगा। यहां से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सांसद हैं।
कुर्मी और ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र में मामला किसानों का फंसा
- वैसे कभी कांग्रेस का गढ़ रही उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले की सभी विधानसभाओं में कुर्मी और ब्राह्मण वोटरों के जातीय गणित के आधार पर ही चुनाव होते रहे हैं। लेकिन, इस बार केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के बेटे का विवाद हावी है। राजनीतिक विशेषज्ञ किसानों के विवाद का असर इस जिले की सीटों पर देख रहे हैं। राजनीतिक विशेषज्ञ जीडी शुक्ला कहते हैं कि अजय मिश्र को ब्राह्मण चेहरा बनाकर केंद्र में गृह राज्य मंत्री जैसा अहम मंत्रालय दिया गया।
- इस विवाद की वजह से भाजपा उनके चेहरे को उत्तर प्रदेश चुनाव में भुना नहीं पाई। अजय मिश्र पर पूरे प्रदेश में न सही लेकिन लखीमपुर की सभी विधानसभा सीटों को बरकरार रखने की जिम्मेदारी और दबाव तो बना ही हुआ है। क्योंकि 2017 में यहां की सभी आठ सीटें भाजपा के पास थीं। शुक्ला बताते हैं कि लखीमपुर खीरी कुर्मी बाहुल्य इलाका है। यहां से आने वालीं रेखा वर्मा जो भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं, उन पर भी अपने जिले में सभी सीटों को बचाकर रखने का एक बड़ा दबाव है।
लखनऊ में दो केंद्रीय मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी चौथे चरण में मतदान होगा। 2017 में लखनऊ की आठ विधानसभा सीटों में से सात पर भाजपा को जीत मिली थी। एक सीट पर समाजवादी पार्टी जीती थी। लखनऊ में दो लोकसभा सीट है एक लखनऊ दूसरी मोहनलालगंज है। दोनों सीटों के सांसद केंद्र में मंत्री हैं। लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह केंद्र में रक्षा मंत्री हैं और मोहनलालगंज के सांसद कौशल किशोर शहरी विकास राज्यमंत्री हैं। इस लिहाज से दोनों केंद्रीय मंत्रियों पर अपने जिले में इस बार 7 सीटों की बजाय सभी आठों सीटों पर भाजपा का झंडा लहराने का दबाव है। राजनीतिक विशेषज्ञ जटाशंकर सिंह कहते हैं कि सीटों के बदलने का लखनऊ विधानसभा में बहुत फर्क तो नहीं पड़ेगा लेकिन वह कहते हैं कि कुछ विधानसभा सीटों पर निश्चित तौर पर भाजपा के लिए कड़ी चुनौती है।
सरोजनी नगर में प्रचार करने मंत्री, मुख्यमंत्री सभी पहुंचे
- लखनऊ की एक विधानसभा सीट है सरोजिनी नगर। यहां योगी सरकार में मंत्री स्वाति सिंह की जगह ईडी के तेजतर्रार अधिकारी राजेश्वर सिंह को चुनावी मैदान में भाजपा ने उतारा है। भाजपा के लिए सरोजिनी नगर की सीट कितनी प्रतिष्ठा की है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि केंद्रीय मंत्रियों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री, मुख्यमंत्री और सांसदों के अलावा बड़े-बड़े नेता सरोजिनी नगर में अपनी जनसभाएं कर चुके हैं।
- इसी तरह लखनऊ के बख्शी का तालाब विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान विधायक का टिकट काटकर एक नए प्रत्याशी को भाजपा ने मैदान में उतारा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि निश्चित तौर पर भाजपा ने 2022 के चुनावी समीकरणों को साधने के लिए नए प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। बख्शी का तालाब इलाका यादव और लोध बाहुल्य क्षेत्र है। जातीय समीकरण और प्रत्याशी की जीतने की क्षमता का आकलन करके पार्टी ने यहां प्रत्याशी बदला और अब यह सीट निकालने के लिए पार्टी जी तोड़ मेहनत कर रही है।