आजकल ऑटो कंपनियां जब नई कारें लॉन्च करती हैं, तो उन्हें कई इंजन के साथ पेश करती हैं। जैसे किसी ग्राहक को टर्बो इंजन पसंद है, किसी को नैचुरली एस्पिरेटेड इंजन या फिर किसी को डीजल इंजन पसंद है। कंपनियां सभी की पसंद का ख्याल रख करर अलग-अलग वैरियंट्स में इन्हें लॉन्च करती हैं। ऐसे में शोरूम में जाकर अपनी पसंद का सही वैरियंट चुनना बड़ी सिरदर्दी होती है। शोरूम में सेल्सपर्सन आपको केवल टॉप वैरियंट लेने के लिए उत्साहित करेगा, लेकिन सभी को अपनी जेब भी देखनी होती है। आइए जानते हैं कैसे चुनें सही वैरियंट...
कार का कौन सा वैरियंट आपके लिए है सही, ये टिप्स दूर करेंगे आपका कंफ्यूजन!
गियरबॉक्सः ऑटोमैटिक या मैनुअल
आजकल कारें कई इंजन के साथ मल्पीपल गियरबॉक्स ऑप्शंस के साथ आ रही हैं। मैनुअल गियरबॉक्स के अलावा डुअल क्लच ट्रांसमिशन (डीसीटी), ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन (टॉर्क कन्वर्टर), इंटेलिजेंट मैनुअल ट्रांसमिशन और कंटीन्यूअसली वेरिएबल ट्रांसमिशन (सीवीटी) का विकल्प दे रही हैं। अगर आप नैचुरली एस्पिरेटेड या सामान्य इंजन चाहते हैं तो आपको मैनुअल ट्रांसमिशन का विकल्प मिलेगा, लेकिन अगर आप परफॉरमेंस के साथ मैनुअल और ऑटोमैटिक दोनों का मजा लेना चाहते हैं तो iMT का विकल्प चुन सकते हैं। लेकिन आरामदायक सफर चाहते हैं, तो आप ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन में से किसी को भी चुन सकते हैं। यह आपकी पॉकेट पर निर्भर करता है। इनमें डुअल क्लच ट्रांसमिशन सबसे महंगा है।
अगर आप सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं?
2019 से पहले तक भारत में कारों की सेफ्टी को लेकर कोई खास जागरुकता नहीं थी। लेकिन 2019 में जब ग्लोबल NCAP क्रेश टेस्ट की रेटिंग को आई तो भारतीय ऑटो सेक्टर में इसे लेकर कुछ खलबली मचनी शुरू हुई और ग्राहक भी सचेत हुए। महिंद्रा और टाटा की कारों ने सेफ्टी रेटिंग में बाजी मारी। भारत न्यू व्हीकल सेफ्टी एसेसमेंट प्रोग्राम (BNVSAP) के मुताबिक भारत की सड़कों पर चलने वाली नई कारों में ड्राइवर साइड एयरबैग, एबीएस, स्पीड वार्निंग अलर्ट, फ्रंट सीट बेल्ट रिमांइडर, रिअर पार्किंग सेंसर का होना जरूरी है। इसके अलावा कई कारों में इलेक्ट्रॉनिक स्टैबिलिटी कंट्रोल (ईएसपी), एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम्स (ADAS), लेन वाच कैमरा, इलेक्ट्रॉनिक ट्रैक्शन कंट्रोल, रोल ओवर मिटिगेशन, हिल-होल्ड कंट्रोल, ब्रेक डिस्क वाइपिंग और ISOFIX जैसे फीचर मिलते हैं। ये ग्राहक पर निर्भर करता है कि वह कौन से सेफ्टी फीचर्स को प्राथमिकता देता है। इनमें कुछ कॉमन सेफ्टी फीचर्स हैं, जबकि कुछ को कंपनी केवल ऊंचे वैरियंट्स में ही पेश कर रही है।बेसिक सेफ्टी फीचर्स
- डुअल फ्रंट बैग्स
- फ्ररंट सीट बेल्ट रिमाइंडर्स
- स्पीड अलर्ट
- एबीएस के साथ ईबीडी
- इलेक्ट्रॉनिक स्टैबिलिटी कंट्रोल
- ISOFIX चाइल्ड सीट एंकर्स
- फ्रंट डिस्क ब्रेक
- रिअर पार्किंग सेंसर्स
अगर हैं रफ्तार के शौकीन
अगर आप नैचुरली एस्पिरेटेड या कहें कि सामान्य इंजन पसंद नहीं करते हैं और आपको परफॉरमेंस पसंद है, तो आप टर्बो इंजन को प्राथमिकता दे सकते हैं। तीन-सिलंडर होने के बावजूद ये सामान्य इंजन से ज्यादा परफॉरमेंस देते हैं। हालांकि इनका माइलेज नैचुरली एस्पिरेटेड इंजन से कम होता है। आजकल कार कंपनियां सामान्य के साथ टर्बो इंजन का भी विकल्प दे रही हैं। खास बात यह है कि नैचुरली एस्पिरेटेड का विकल्प केवल बेस वैरियंट्स में ही मिलता है। वहीं टर्बो के साथ आपको मल्टीपल गियरबॉक्स का भी विकल्प मिलता है। हालांकि मारुति टर्बो इंजन का विकल्प नहीं देती है, वहीं होंडा केवल डीजल में ही टर्बो का ऑप्शन देती है। यह भी ध्यान रखें कि टर्बो इंजन वाली कारें सामान्य इंजन से ज्यादा महंगी होती हैं।
अगर पसंद है फुल फीचर वाली कार
कंपनियां ग्राहकों को लुभाने के लिए काररों में तमाम फीचर दे रही हैं। इनमें कनेक्टिंग फीचर, टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम, रिअर एसी वेंटस, 360 डिग्री कैमरा, वेंटिलेटेड सीट्स, एयर प्यूरीफायर, वॉक अवे ऑटो लॉक, प्रोजेक्टर एलईडी लैंप्स, एलईडी DRL, रिमोट कंट्रोल एसी पावर विंडो और सनरूफ, वायरलेस चार्जर जैसे लग्जरी फीचर शामिल हैं। हालांकि बेस वैरियंट्स में केवल 3.5 इंच इंफोटेनमेंट सिस्टम, बेसिक सीटें, सामान्य ORVMs जैसे बेसिक फीचर ही मिलते हैं, जो ज्यादातर लोगों को पसंद नहीं आते हैं। हालांकि कई कार कंपनियां ने अब इनमें से कई फीचर्स को अलग से पैकेज में शामिल कर लिया है, जो किसी भी वैरियंट में लगवाए जा सकते हैं। हालंकि इनके लिए अलग से 50 हजार रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं। ध्यान रखिए अगर ज्यादा फीचर चाहिए तो टॉप वैरियंटस को प्राथमिकता दें। आफ्टर मार्केट एसेसरीज भी लगवा सकते हैं, लेकिन अगर नई कार है, तो वारंटी और क्लेम खोने का डर बना रहता है।