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Electric two-wheelers can pave way towards energy-independent self-reliant future for India says TERI and ICCT
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Electric Two Wheelers: इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर भारत को कैसे बना सकते हैं ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Sat, 13 Aug 2022 05:14 PM IST
सार
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दोपहिया वाहन बाजार है। अगर हम पेट्रोल से चलने वाले दोपहिया वाहनों को ही बढ़ाते रहे तो 2050 तक भारत में फॉसिल फ्यूल (जीवाश्म ईंधन) पर निर्भरता दोगुने से भी ज्यादा हो जाएगी।
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Ola Electric Scooter
- फोटो : Ola Electric
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भारत दुनिया का सबसे बड़ा दोपहिया वाहन बाजार है। International Council for Clean Transportation (इंटरनेशनल काउंसिल फॉर क्लीन ट्रांसपोर्टेशन) के इंडिया एमिशन मॉडल के अनुमानों के मुताबिक 2021 में सड़क परिवहन में हुई कुल पेट्रोल की खपत का 70 प्रतिशत और तेल की खपत का 25 प्रतिशत, दोपहिया वाहनों से हुआ था। अगर हम पेट्रोल से चलने वाले दोपहिया वाहनों को ही बढ़ाते रहे तो 2050 तक भारत में फॉसिल फ्यूल (जीवाश्म ईंधन) पर निर्भरता दोगुने से भी ज्यादा हो जाएगी।
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Ather 450X Gen3 Electric Scooter
- फोटो : Ather Energy
पिछले कुछ वर्षों में भारत में इलेक्ट्रिक टू व्हीलर्स की मांग बढ़ने से ई-मोबिलिटी की तरफ कदम बढ़ाने के देश के प्रयासों को गति मिली है। नीति आयोग और टेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन, फॉरकास्टिंग एंड असेसमेंट काउंसिल (TIFAC, टीआईएफएसी) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2026-27 तक भारत में 100 प्रतिशत दोपहिया इलेक्ट्रिक हो जाने की संभावना है।
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Revolt RV 400 and RV300
- फोटो : Social
The Energy and Resources Institute (TERI), द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) और ICCT के विशेषज्ञों ने वाहनों के इलेक्ट्रिक होने और इससे तेल आयात पर भारत की निर्भरता कम होने व देश के लिए ऊर्जा के क्षेत्र में निर्भर और आत्मनिर्भर भविष्य निर्माण की राह निकलने की संभावनाओं पर अपने विचार रखे हैं।
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TVS iQube Electric Scooter
- फोटो : TVS Motor Company
टेरी के सीनियर विजिटिंग फेलो आई. वी. राव ने कहा, "भारत में दोपहिया को हमेशा से वाहनों की श्रेणी में अहम माना गया है, जहां अन्य किसी भी सेगमेंट की तुलना में ईवी की ओर ज्यादा तेजी से बढ़ सकते हैं। इसके कई कारण हैं, जैसे इसके लिए सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन पर निर्भर नहीं रहना पड़ता, फेम 2 और राज्यों के इंसेंटिव के कारण तुलनात्मक रूप से इनकी कीमत कम होती है, उपभोक्ताओं की खरीदने की क्षमता (परचेजिंग पावर) बढ़ रही है और इसके परिचालन की लागत बहुत कम है। इस सेगमेंट की बढ़ोतरी में इस सेक्टर में कदम रख रही नई कंपनियों का भी योगदान है, जो टेक्नोलॉजी आधारित और उपभोक्ता को ध्यान में रखकर समाधान पेश करने पर फोकस कर रही हैं। दोपहिया के मामले में तेजी से ईवी की ओर कदम बढ़ने से पेट्रोल की मांग पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा, जिससे निश्चित तौर पर आयात पर निर्भरता एवं उत्सर्जन कम होगा। इस सेगमेंट में ज्यादा ईवी के होने से उपभोक्ता का खर्च कम होने के साथ-साथ पर्यावरण एवं वायु की गुणवत्ता पर भी उल्लेखनीय सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।"
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Okinawa Okhi 90
- फोटो : Okinawa Autotech
आईसीसीटी की रिसर्चर (कंसल्टेंट) शिखा रोकड़िया ने कहा, "2035 तक नए बिकने वाले 100 प्रतिशत दोपहिया वाहनों को इलेक्ट्रिक कर लिया जाए, तो भारत में 2020 से 2050 के बीच पेट्रोल की मांग में 500 मिलियन टन (एमटीओई) से ज्यादा और इससे संबंधित लागत में 740 अरब डॉलर से ज्यादा की कमी आ सकती है। प्रदूषण के लिहाज से देखें तो भारत ने पिछले दशक में बीएस-6 उत्सर्जन मानक अपनाने समेत नीतिगत मोर्चे पर कुछ अहम कदम उठाए हैं। इससे वायु प्रदूषण में होने वाली बढ़ोतरी को काफी हद तक कम किया जा सका है। हालांकि इस तरह के मानकों को अपनाने के बाद भी सड़क पर लगातार बढ़ती संख्या के कारण दोपहिया वाहनों से होने वाला पीएम और नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन लगातार बढ़ता रहेगा। इसे देखते हुए उत्सर्जन को शून्य के नजदीक लाने के लिए दोपहिया वाहनों को बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक करना लागत के लिहाज से सबसे किफायती तरीका है।"
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