
{"_id":"684fbbbb3ca9ab93d704a511","slug":"ev-or-hybrid-vehicles-which-is-better-hybrid-or-electric-car-toyota-chairman-reignites-debate-2025-06-16","type":"photo-gallery","status":"publish","title_hn":"EV vs Hybrid Cars: इलेक्ट्रिक वाहन और हाइब्रिड की तुलना में कौन है ज्यादा स्वच्छ? जानें क्यों फिर छिड़ी ये बहस","category":{"title":"Automobiles","title_hn":"ऑटो-वर्ल्ड","slug":"automobiles"}}
EV vs Hybrid Cars: इलेक्ट्रिक वाहन और हाइब्रिड की तुलना में कौन है ज्यादा स्वच्छ? जानें क्यों फिर छिड़ी ये बहस
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Mon, 16 Jun 2025 12:07 PM IST
सार
विज्ञान और शोध की दुनिया में ये बात काफी हद तक तय मानी जा चुकी है कि इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी), हाइब्रिड और पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों की तुलना में पूरे जीवनकाल में कम प्रदूषण फैलाते हैं। लेकिन टोयोटा के चेयरमैन अकियो टोयोडा के हालिया बयान ने इस मुद्दे को फिर से गर्मा दिया है।
विज्ञापन

Electric Car
- फोटो : Freepik
विज्ञान और शोध की दुनिया में ये बात काफी हद तक तय मानी जा चुकी है कि इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी), हाइब्रिड और पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों की तुलना में पूरे जीवनकाल में कम प्रदूषण फैलाते हैं। लेकिन टोयोटा के चेयरमैन अकियो टोयोडा के हालिया बयान ने इस मुद्दे को फिर से गर्मा दिया है। उन्होंने जो तर्क दिए हैं, उससे ईवी बनाम हाइब्रिड की बहस को नया मोड़ मिल गया है।

Trending Videos

2025 Toyota Urban Cruiser Hyryder
- फोटो : Toyota
टोयोडा का हाइब्रिड पर भरोसा
मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में टोयोडा ने दावा किया कि टोयोटा की तरफ से अब तक बेची गई 2.7 करोड़ हाइब्रिड कारों ने उतने ही कार्बन उत्सर्जन को घटाया है, जितना कि 90 लाख बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों ने किया है। उनका कहना था कि जापान जैसे देशों में, जहां बिजली अब भी बड़ी मात्रा में कोयला और गैस से बनती है, वहां हाइब्रिड की तुलना में ईवी को बनाने और चार्ज करने की प्रक्रिया में ज्यादा प्रदूषण हो सकता है।
टोयोडा का मानना है कि पर्यावरण की चिंता सिर्फ एक ही रास्ते से नहीं सुलझाई जा सकती। उनका सुझाव है कि पेट्रोल इंजन को और बेहतर बनाना, हाइब्रिड, हाइड्रोजन और ईवी सभी विकल्पों पर साथ-साथ काम किया जाए। टोयोटा की यह सोच दरअसल उसकी उस नीति की झलक है जिसमें वह पूरी तरह ईवी की ओर फौरन बढ़ने के पक्ष में नहीं रहा है। लेकिन अन्य लोगों का तर्क है कि इससे तेल से दूर जाने के लिए आवश्यक गति कमजोर हो जाएगी, खासतौर पर तब जब विश्व के अधिकांश भागों में रिन्यूएबल एनर्जी (नवीकरणीय ऊर्जा) क्षमता बहुत तेजी से बढ़ रही है।
यह भी पढ़ें - Car Accessories: कार एक्सेसरीज लगवाने की सोच रहे हैं? जानें क्या है कानूनी तौर पर सही या गैर-कानूनी
मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में टोयोडा ने दावा किया कि टोयोटा की तरफ से अब तक बेची गई 2.7 करोड़ हाइब्रिड कारों ने उतने ही कार्बन उत्सर्जन को घटाया है, जितना कि 90 लाख बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों ने किया है। उनका कहना था कि जापान जैसे देशों में, जहां बिजली अब भी बड़ी मात्रा में कोयला और गैस से बनती है, वहां हाइब्रिड की तुलना में ईवी को बनाने और चार्ज करने की प्रक्रिया में ज्यादा प्रदूषण हो सकता है।
टोयोडा का मानना है कि पर्यावरण की चिंता सिर्फ एक ही रास्ते से नहीं सुलझाई जा सकती। उनका सुझाव है कि पेट्रोल इंजन को और बेहतर बनाना, हाइब्रिड, हाइड्रोजन और ईवी सभी विकल्पों पर साथ-साथ काम किया जाए। टोयोटा की यह सोच दरअसल उसकी उस नीति की झलक है जिसमें वह पूरी तरह ईवी की ओर फौरन बढ़ने के पक्ष में नहीं रहा है। लेकिन अन्य लोगों का तर्क है कि इससे तेल से दूर जाने के लिए आवश्यक गति कमजोर हो जाएगी, खासतौर पर तब जब विश्व के अधिकांश भागों में रिन्यूएबल एनर्जी (नवीकरणीय ऊर्जा) क्षमता बहुत तेजी से बढ़ रही है।
यह भी पढ़ें - Car Accessories: कार एक्सेसरीज लगवाने की सोच रहे हैं? जानें क्या है कानूनी तौर पर सही या गैर-कानूनी
विज्ञापन
विज्ञापन

Toyota Innova HyCross MPV
- फोटो : Toyota
कार्बन डेब्ट की बहस
टोयोडा के तर्क की जड़ में है ईवी को बनाने में लगने वाली "कार्बन डेब्ट" यानी वो प्रदूषण जो इन गाड़ियों के निर्माण के समय फैलता है। खासतौर पर जब ईवी बैटरी में लगने वाली लिथियम, कोबाल्ट और निकल जैसी खनिजों की बात आती है। कई रिपोर्टों में ये बताया गया है कि ईवी की शुरुआत में उनका कार्बन फुटप्रिंट हाइब्रिड या पेट्रोल कारों से ज्यादा होता है।
लेकिन ईवी चलने के बाद इस नुकसान की भरपाई कर देते हैं। खासकर अगर उन्हें साफ-सुथरे (रिन्यूएबल) स्रोतों से चार्ज किया जाए तो उनकी लाइफटाइम परफॉर्मेंस बेहतर होती है। ज्यादातर अध्ययन बताते हैं कि ईवी दो से तीन साल के भीतर अपने शुरुआती प्रदूषण को बराबर कर लेते हैं। और फिर उसके बाद अपेक्षाकृत कहीं ज्यादा स्वच्छ विकल्प बन जाते हैं।
यह भी पढ़ें - EV Charging Station: तेलंगाना में लगेंगे 50 फास्ट-चार्जिंग स्टेशन, ईवी अपनाने वालों को मिलेगी राहत
टोयोडा के तर्क की जड़ में है ईवी को बनाने में लगने वाली "कार्बन डेब्ट" यानी वो प्रदूषण जो इन गाड़ियों के निर्माण के समय फैलता है। खासतौर पर जब ईवी बैटरी में लगने वाली लिथियम, कोबाल्ट और निकल जैसी खनिजों की बात आती है। कई रिपोर्टों में ये बताया गया है कि ईवी की शुरुआत में उनका कार्बन फुटप्रिंट हाइब्रिड या पेट्रोल कारों से ज्यादा होता है।
लेकिन ईवी चलने के बाद इस नुकसान की भरपाई कर देते हैं। खासकर अगर उन्हें साफ-सुथरे (रिन्यूएबल) स्रोतों से चार्ज किया जाए तो उनकी लाइफटाइम परफॉर्मेंस बेहतर होती है। ज्यादातर अध्ययन बताते हैं कि ईवी दो से तीन साल के भीतर अपने शुरुआती प्रदूषण को बराबर कर लेते हैं। और फिर उसके बाद अपेक्षाकृत कहीं ज्यादा स्वच्छ विकल्प बन जाते हैं।
यह भी पढ़ें - EV Charging Station: तेलंगाना में लगेंगे 50 फास्ट-चार्जिंग स्टेशन, ईवी अपनाने वालों को मिलेगी राहत

Toyota Car
- फोटो : Toyota
बिजली का स्रोत सबसे बड़ा फैक्टर
टोयोडा की दलील वहां सही साबित हो सकती है जहां बिजली का ज्यादातर हिस्सा कोयला या गैस से आता हो। लेकिन दुनिया अब तेजी से बदल रही है। भारत जैसे देश अब सौर ऊर्जा (सोलर एनर्जी) और पवन ऊर्जा (विंड एनर्जी) में तेजी से निवेश कर रहे हैं। जैसे-जैसे रिन्यूएबल एनर्जी का हिस्सा बढ़ेगा, ईवी का पर्यावरण पर असर और भी सकारात्मक होगा।
साथ ही नई तकनीक वाली ईवी अब ऐसी बैटरियों के साथ आ रही हैं जिनमें लिथियम-आयरन-फॉस्फेट (LFP) जैसी केमिस्ट्री इस्तेमाल होती है। जो कम खनिजों का इस्तेमाल करती हैं और कम प्रदूषण फैलाती हैं। यानी आने वाले समय में ईवी पहले से भी कम प्रदूषण के साथ बन सकेंगी।
यह भी पढ़ें - AMT Hatchbacks: शहर की भीड़भाड़ में ऑटोमैटिक कारें बनीं पहली पसंद, ये हैं पांच सबसे किफायती ऑटोमैटिक हैचबैक
टोयोडा की दलील वहां सही साबित हो सकती है जहां बिजली का ज्यादातर हिस्सा कोयला या गैस से आता हो। लेकिन दुनिया अब तेजी से बदल रही है। भारत जैसे देश अब सौर ऊर्जा (सोलर एनर्जी) और पवन ऊर्जा (विंड एनर्जी) में तेजी से निवेश कर रहे हैं। जैसे-जैसे रिन्यूएबल एनर्जी का हिस्सा बढ़ेगा, ईवी का पर्यावरण पर असर और भी सकारात्मक होगा।
साथ ही नई तकनीक वाली ईवी अब ऐसी बैटरियों के साथ आ रही हैं जिनमें लिथियम-आयरन-फॉस्फेट (LFP) जैसी केमिस्ट्री इस्तेमाल होती है। जो कम खनिजों का इस्तेमाल करती हैं और कम प्रदूषण फैलाती हैं। यानी आने वाले समय में ईवी पहले से भी कम प्रदूषण के साथ बन सकेंगी।
यह भी पढ़ें - AMT Hatchbacks: शहर की भीड़भाड़ में ऑटोमैटिक कारें बनीं पहली पसंद, ये हैं पांच सबसे किफायती ऑटोमैटिक हैचबैक
विज्ञापन

Electric Car Charging
- फोटो : Freepik
हाइब्रिड और प्लग-इन हाइब्रिड का क्या रोल है?
बेशक, ईवी को दीर्घकालिक रूप से सबसे स्वच्छ विकल्प माना जाता है, लेकिन हाइब्रिड और प्लग-इन हाइब्रिड वाहन (PHEV) आज के बदलाव के दौर में बहुत अहम भूमिका निभा रहे हैं। जहां चार्जिंग की सुविधा कम है, वहां ये गाड़ियां बेहतर विकल्प साबित हो सकती हैं। PHEV गाड़ियां अगर ठीक से चार्ज रखी जाएं तो छोटी दूरी में पूरी तरह इलेक्ट्रिक की तरह ही चलती हैं और शहरों में कम प्रदूषण करती हैं।
हालांकि साधारण हाइब्रिड गाड़ियां अब भी ज्यादातर पेट्रोल पर ही चलती हैं और उनका एग्जॉस्ट यानी टेलपाइप प्रदूषण बंद नहीं होता। इसलिए इन्हें एक अस्थायी समाधान ही माना जाता है, ना कि अंतिम मंजिल।
यह भी पढ़ें - Ola: ओला ने पेश किया बिना कमीशन वाला मॉडल, जानें इस कदम से किसे होगा फायदा
बेशक, ईवी को दीर्घकालिक रूप से सबसे स्वच्छ विकल्प माना जाता है, लेकिन हाइब्रिड और प्लग-इन हाइब्रिड वाहन (PHEV) आज के बदलाव के दौर में बहुत अहम भूमिका निभा रहे हैं। जहां चार्जिंग की सुविधा कम है, वहां ये गाड़ियां बेहतर विकल्प साबित हो सकती हैं। PHEV गाड़ियां अगर ठीक से चार्ज रखी जाएं तो छोटी दूरी में पूरी तरह इलेक्ट्रिक की तरह ही चलती हैं और शहरों में कम प्रदूषण करती हैं।
हालांकि साधारण हाइब्रिड गाड़ियां अब भी ज्यादातर पेट्रोल पर ही चलती हैं और उनका एग्जॉस्ट यानी टेलपाइप प्रदूषण बंद नहीं होता। इसलिए इन्हें एक अस्थायी समाधान ही माना जाता है, ना कि अंतिम मंजिल।
यह भी पढ़ें - Ola: ओला ने पेश किया बिना कमीशन वाला मॉडल, जानें इस कदम से किसे होगा फायदा