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Ola: ओला ने पेश किया बिना कमीशन वाला मॉडल, जानें इस कदम से किसे होगा फायदा

ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अमर शर्मा Updated Fri, 13 Jun 2025 09:27 PM IST
सार

कैब एग्रीगेटर सर्विस देने वाली कंपनी Ola (ओला) ने अब अपने कैब ड्राइवरों के लिए नो-कमीशन मॉडल लागू कर दिया है। इस नई व्यवस्था के तहत ड्राइवर अब ओला को हर राइड पर कमीशन नहीं देंगे।

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Ride-hailing platform Ola rolls out zero commission model for its cab drivers Know Details
ओला केब्स - फोटो : ola cabs
कैब एग्रीगेटर सर्विस देने वाली कंपनी Ola (ओला) ने अब अपने कैब ड्राइवरों के लिए नो-कमीशन मॉडल लागू कर दिया है। इस नई व्यवस्था के तहत ड्राइवर अब ओला को हर राइड पर कमीशन नहीं देंगे। बल्कि एक निश्चित डेली या मासिक फीस देकर प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर सकेंगे। यह कदम बढ़ती प्रतिस्पर्धा के चलते उठाया गया है, ताकि ओला बाजार में अपनी पकड़ बनाए रख सके।


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रैपिडो - फोटो : Adobe Stock
Rapido और Namma Yatri से मिली प्रेरणा
Rapido (रेपिडो) और Namma Yatri (नम्मा यात्री) जैसे नए खिलाड़ियों ने पहले ही सॉफ्टवेयर-एज-ए-सर्विस (SaaS) मॉडल लागू कर दिया था। जिसमें ड्राइवर अपनी पूरी कमाई अपने पास रख सकते हैं और बदले में केवल एक तयशुदा शुल्क देते हैं। ओला और उबर ने पहले यह मॉडल केवल ऑटो-रिक्शा सेवाओं के लिए शुरू किया था। उबर ने साल की शुरुआत में और ओला ने अप्रैल 2024 में। अब ओला ने इसे कैब सेवाओं में भी लागू करने का निर्णय लिया है।

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Taxi - फोटो : एएनआई
ड्राइवरों के लिए फायदे का सौदा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, प्राइमस पार्टनर्स के वाइस प्रेसिडेंट निखिल ढाका के मुताबिक, यह फैसला ड्राइवरों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है। उन्हें अब हर राइड के बाद कंपनी को हिस्सा देने की बजाय पूरी कमाई मिलेगी, जिससे उनकी आय स्थिर रहेगी। इससे राइड कैंसिलेशन की घटनाएं और ड्राइवरों के कंपनी छोड़ने की दर में भी कमी आ सकती है। हालांकि, इससे ग्राहकों पर क्या असर पड़ेगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है।

67 रुपये प्रतिदिन में 30 दिन का पास
ओला के आधिकारिक फेसबुक पेज पर दी गई जानकारी के अनुसार, अब ड्राइवरों के लिए एक 30 दिन का पास उपलब्ध है, जिसकी कीमत 67 रुपये प्रतिदिन है। इस पास से ड्राइवर बिना किसी कमीशन कटौती के प्लेटफॉर्म पर राइड ले सकते हैं।

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Taxi - फोटो : Freepik
ओला की प्रतिक्रिया बाकी, लेकिन असर बड़ा हो सकता है
हालांकि ओला ने अभी इस मॉडल के रोलआउट और भविष्य की योजनाओं पर कोई आधिकारिक जवाब नहीं दिया है। लेकिन यह बदलाव कंपनी के जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) से जुड़ी जिम्मेदारियों को प्रभावित कर सकता है। वर्तमान में राइड एग्रीगेटर्स पर 5 प्रतिशत जीएसटी लागू है।

जीएसटी में भी उलझनें बढ़ सकती हैं
कर्नाटक अग्रिम निर्णय प्राधिकरण ने नम्मा यात्री को जीएसटी से छूट दी है। लेकिन रैपिडो जैसे प्लेटफॉर्म अभी भी ई-कॉमर्स ऑपरेटर माने जाते हैं और उन्हें टैक्स देना पड़ता है। आप्ती इंस्टीट्यूट की रिसर्चर सौजन्या श्रीधरन के अनुसार, जैसे-जैसे और कंपनियां SaaS मॉडल की ओर बढ़ेंगी, रेगुलेटरी असमानता और बढ़ सकती है।

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उबर - फोटो : ANI
उबर ने भी उठाई थी आवाज
पिछले साल उबर ने इस टैक्स असमानता को लेकर कर्नाटक अग्रिम निर्णय प्राधिकरण और जीएसटी परिषद के सामने मामला उठाया था। उबर का कहना है कि यह व्यवस्था प्रतिस्पर्धा में असमानता और टैक्स कानूनों की अस्पष्टता को बढ़ावा देती है।

इस बदलाव के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि ओला का नया सब्सक्रिप्शन मॉडल उद्योग को कैसे प्रभावित करता है। और क्या इससे अन्य कंपनियां भी यही राह अपनाएंगी। 

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