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Mahabharat Katha: कैसे बना था अर्जुन का दिव्य धनुष गांडीव? जिसकी टंकार से कांप जाती थी महाभारत की युद्ध भूमि

फीचर डेस्क, अमर उजाला Published by: धर्मेंद्र सिंह Updated Wed, 26 Feb 2025 07:11 PM IST
सार

Mahabharat Katha: अर्जुन के पास गांडीव धनुष था, जो इतना शक्तिशाली था कि उसका सामना देवता भी नहीं कर पाते थे। अर्जुन के पास गांडीव के अलावा अक्षय तरकश था, जिसके बाण कभी भी खत्म नहीं होते थे।

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Arjun Ko Gandiv Kaise Mila Tha Know Mahabharat Arjun Divine Bow Gandiv And Akashya Tarkash Story In Hindi
कैसे बना था अर्जुन का दिव्य धनुष गांडीव? जिसकी टंकार से कांप जाती थी महाभारत की युद्ध भूमि - फोटो : Adobe Stock
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Mahabharat Katha: हरियाणा के कुरुक्षेत्र में कौरवों और पाण्डवों के बीच हस्तिनापुर के सिंहासन की प्राप्ति के लिए युद्ध लड़ा गया था। यह भीषण युद्ध 18 दिन तक चला था। महाभारत के मुताबकि, इस युद्ध में पाण्डवों की जीत हुई थी। युधिष्ठिर हस्तिनापुर के राजा बने और उन्होंने 36 सालों तक राज किया। कुरुक्षेत्र के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन के रथ ते सारथी बने थे। प्राचीन भारत में वैदिक काल के इतिहास का यह सबसे बड़ा युद्ध था। 

अर्जुन के पास गांडीव धनुष था, जो इतना शक्तिशाली था कि उसका सामना देवता भी नहीं कर पाते थे। अर्जुन के पास गांडीव के अलावा अक्षय तरकश था, जिसके बाण कभी भी खत्म नहीं होते थे। अर्जुन का दिव्य गांडीव एक साथ कई लक्ष्य भेद सकता था। आइए जानते हैं कि अर्जुन के गांडीव के पास आखिर क्या शक्तियां थीं? 

महाभारत की कथा के मुताबिक, कौरव और पांडवों में हस्तिनापुर के राज सिंहासन को लेकर विवाद चल रहा था। इस दौरान शकुनि ने पांडवों को कुछ दिन शांत रहने के लिए खांडवप्रस्थ नामक वन को रहने के लिए दे दिया। जब पांडव इस वन में पहुंचे, तो वहां खंडहर देखे। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने खांडव वन में नगर बसाने के लिए विश्वकर्मा का आह्वान किया। इसके बाद विश्वकर्मा आए और उन्होंने श्रीकृष्ण से कहा कि मायासुर ने खांडवप्रस्थ को बसाया। आप उन्हें बुलाएं, क्योंकि उनको इसकी पूरी जानकारी है। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने मयासुर को बुलाया।
 
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कैसे बना था अर्जुन का दिव्य धनुष गांडीव? जिसकी टंकार से कांप जाती थी महाभारत की युद्ध भूमि - फोटो : Adobe Stock
मयासुर ने श्रीकृष्ण को खांडवप्रस्थ के बारे में जानकारी दी। फिर खंडहर में रखे राजा सोम के रथ के पास उनको लेकर गए। यहां पर राजा सोम के रथ में गदा समेत गांडीव और अक्षय तरकश था। मयासुर ने अर्जुन को गांडीव और अक्षय तरकश दे दिया। उन्होंने बताया कि इस दिव्य धनुष को दैत्यराज वृषपर्वा ने कठोर तप करके भगवान शिव से प्राप्त किया था। मयासुर ने बताया कि अक्षय तरकश अग्निदेव का है। इसे वृषपर्वा ने प्राप्त किया था। इस प्रकार अर्जुन को गांडीव और अक्षय तरकश मिले थे। 
 
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कैसे बना था अर्जुन का दिव्य धनुष गांडीव? जिसकी टंकार से कांप जाती थी महाभारत की युद्ध भूमि - फोटो : Adobe Stock
गांडीव से कई कहानियां जुड़ी हैं

माना जाता है कि गांडीव दुनिया का सबसे शक्ति धनुष था। एक पौराणिक कथा के मुताबिक, एक ऋषि की हड्डियों से गांडीव का निर्माण किया गया था। पृथ्वी पर वत्तासुर नाम के राक्षस का आंतक काफी बढ़ था, जिसकी क्रूरता को रोकने के लिए महान ऋषि दधीचि ने अपनी हड्डियों को दान में दे दिया, ताकि वत्तासुर को मारने के लिए शस्त्र का निर्माण किया जा सके। 

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कैसे बना था अर्जुन का दिव्य धनुष गांडीव? जिसकी टंकार से कांप जाती थी महाभारत की युद्ध भूमि - फोटो : Adobe Stock
ऋषि दधीचि के तपोबल की वजह से उनके शरीर की हड्डियों में भी दिव्य शक्ति आ गई थी, जिसके इस्तेमाल से वत्तासुर को मारा जा सकता था। दधीचि ऋषि की हड्डियों से तीन धनुष बनाए गए थे। एक पिनाक, दूसरा सारंग और तीसरा गांडीव। इंद्र का वज्र ऋषि दधीचि की छाती की हड्डियों से बनाया गया था। इन्हीं  दिव्यास्त्रों से वत्तासुर का वध हुआ था। इस प्रकार अर्जुन को गांडीव मिला था। 

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कैसे बना था अर्जुन का दिव्य धनुष गांडीव? जिसकी टंकार से कांप जाती थी महाभारत की युद्ध भूमि - फोटो : Adobe Stock
अर्जुन के धनुष गांडीव की शक्ति का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि गांडीव धनुष की टंकार से पूरी युद्धभूमि गूंज उठती थी। अर्जुन दूर से ही अपने लक्ष्य को भेद सकते थे और अर्जुन के अक्षय तरकश से कभी तीर खत्म नहीं होते थे। कुछ तीर लक्ष्य को भेदने के बाद वापस अर्जुन के तरकश में वापस जाते आते थे। गांडीव के सामने कोई अस्त्र नहीं टिक पाता था। 
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