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uttarakhand Dan Singh missed job in lockdown started herbal tea business earns lakh rupees monthly
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लॉकडाउन में छूटी नौकरी, तो शुरू किया हर्बल चाय का कारोबार, अब लाखों में हो रही हर महीने कमाई
फीचर डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नवनीत राठौर
Updated Sat, 07 Nov 2020 08:45 PM IST
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हर्बल चाय का कारोबार
- फोटो : सोशल मीडिया
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उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के रहने वाले दान सिंह दिल्ली मेट्रो में जॉब कर रहे थे। लेकिन कोरोना वायरस के वजह से लगे लॉकडाउन के दौरान उनकी नौकरी चली गई। इसके बाद दान सिंह ने कई जगहों पर काम की तलाश की, लेकिन उन्हें कहीं भी मौका नहीं मिला। इसी बीच वो अपने गांव में ही पहाड़ी घास से हर्बल चाय बनाने का काम शुरू कर किया। देखते ही देखते उनके इस प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ गई। बता दें कि आज हर्बल चाय बेचकर दान सिंह महीने में एक लाख रुपये कमा रहे हैं।
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हर्बल चाय का कारोबार
- फोटो : सोशल मीडिया
भारत में कोरोना का प्रसार बढ़ने से कुछ समय पहले ही दान सिंह गांव आए हुए थे। ऐसे में लॉकडाउन लगने के बाद वो बाहर नहीं जा सके। कोरोना से बचने के लिए लोगों को इम्युनिटी बूस्टर की सलाह दी जा रही थी, जिससे काढ़ा और हर्बल टी की डिमांड बढ़ गई थी। इसी दौरान दान सिंह का ध्यान पहाड़ पर उगने वाली एक खास प्रजाति के घास पर गया, जिसे लोग सर्दी-बुखार होने पर घरेलू नुस्खे के तौर पर लेते थे। दान सिंह ने इस घास से चाय बनाकर घर में सर्दी-जुकाम से पीड़ित लोगों को पिलाया। उन्हें थोड़ी देर में ही इसका असर दिखने लगा।
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हर्बल चाय का कारोबार
- फोटो : सोशल मीडिया
दो बार के एक्सपेरिमेंट में ही दान सिंह इस हर्बल घास से चाय बनाने का सही तरीका खोज लिए। इसके बाद उन्होंने इस बात की जानकारी अपने दोस्तों को दी। दान सिंह के दोस्तों ने इसके लिए तत्काल ऑर्डर दे दिए। ऑर्डर मिलने के बाद दान सिंह का मनोबल बढ़ गया और बड़े लेवल पर चाय तैयार करने लगा। इसके बाद उन्होंने इस चाय की जानकारी फेसबुक और दूसरे सोशल मीडिया पर भी शेयर किया। लोगों को अपने प्रोडक्ट के बारे में जानकारी दी। बड़ी संख्या में लोगों के ऑर्डर भी मिलने शुरू हो गया। कुछ दिनों बाद ही दान सिंह की अमेजन से भी डील हो गई।
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हर्बल चाय का कारोबार
- फोटो : सोशल मीडिया
दान सिंह रोजाना सुबह पहाड़ों पर जाकर घास तोड़कर घर लाते हैं। इसके बाद वो पत्तियों को तोड़कर सुखाते हैं। दो-तीन दिन में पत्तियां सूख जाती हैं। इसके बाद उन्हें हाथ से मसल देते हैं। फिर इसमें लेमन ग्रास, तेजपत्ता, तुलसी पत्ता और अदरक मिलाकर पैक तैयार करते हैं। दान सिंह की इस पहल के बाद गांव के दूसरे लोग भी इस घास का अब उपयोग कर रहे हैं।
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हर्बल चाय का कारोबार
- फोटो : सोशल मीडिया
बता दें कि इस पहाड़ी घास को बिच्छू घास या कंडाली बोलते हैं। सर्दी-खांसी के घरेलू नुस्खे के साथ-साथ इस घास का उपयोग सब्जी बनाने में भी किया जाता है। इसमें विटामिन सी और विटामिन ए भरपूर मात्रा में मिलता है। बिच्छू घास इम्यूनिटी बूस्टर होता है। इसके साथ ही यह डायबिटीज और गठिया रोग में भी यह फायदेमंद होता है।
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