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Dangerous Lab: दुनिया की सबसे खतरनाक लैब की कहानी, जहां जिंदा इंसानों के भीतर डाले जाते थे जानलेवा वायरस
फीचर डेस्क, अमर उजाला
Published by: धर्मेंद्र सिंह
Updated Tue, 12 Aug 2025 07:18 PM IST
सार
World Most Dangerous Lab: यूनिट 731 को जापानी सेना ने जैविक हथियार बनाने के लिए शुरू किया था, ताकि वो अपने दुश्मनों पर इसका इस्तेमाल कर सके। वो यहां जिंदा इंसानों के शरीर में खतरनाक वायरस और केमिकल्स डालकर उनपर प्रयोग करते थे।
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दुनिया की सबसे खतरनाक लैब (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : Adobe Stock
World Most Dangerous Lab: दुनिया में कई ऐसी प्रयोगशालाएं हैं, जिन्हें बेहद खतरनाक माना जाता है। आज हम आपको अपनी इस खबर में एक लैब बारे में बताएंगे, जो द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान दुनिया के सबसे खतरनाक प्रयोगशालाओं में शामिल थी। इस लैब का नाम यूनिट 731 था। दरअसल, जापानी सेना ने इस लैब को बनाया था, जो एक ऐसी गुप्त प्रयोगशाला थी, जो इतिहास का सबसे खौफनाक टॉर्चर हाउस माना जाता है। यहां पर जिंदा इंसानों पर ऐसे-ऐसे खतरनाक प्रयोग किए जाते थे, जिसके बारे में जानकर लोगों की रूह तक कांप जाती है। वैसे तो यह लैब चीन के पिंगफांग जिले में था, लेकिन इसका संचालन जापानी सेना करती थी।
दरअसल, यूनिट 731 को जापानी सेना ने जैविक हथियार बनाने के लिए शुरू किया था, ताकि वो अपने दुश्मनों पर इसका इस्तेमाल कर सके। वो यहां जिंदा इंसानों के शरीर में खतरनाक वायरस और केमिकल्स डालकर उनपर प्रयोग करते थे। इंसानों को इस खौफनाक लैब में ऐसी-ऐसी यातनाएं दी जाती थीं, जिसके बारे में शायद ही आपने कभी सोचा हो।
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दुनिया की सबसे खतरनाक लैब (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : Adobe Stock
यूनिट 731 लैब में चीन, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों से पकड़े गए लोगों पर जानवरों की तरह प्रयोग होते थे। इस क्रम में कई लोग तो तड़प-तड़प कर मर जाते थे, लेकिन जो जिंदा बच जाते थे, उन्हें मार दिया जाता था और यह देखने के लिए उनकी चीड़-फाड़ की जाती थी कि आखिर वो बच कैसे गया। कहा जाता है कि ऐसे प्रयोग करने के लिए 3000 से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था।
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दुनिया की सबसे खतरनाक लैब (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : Adobe Stock
इस लैब में फ्रॉस्टबाइट टेस्टिंग नामक एक प्रयोग के दौरान इंसान के हाथ-पैर को पानी में डूबा दिया जाता था और वो जब तक जम न जाए, तब तक पानी को ठंडा किया जाता था। इसके बाद जमे हुए हाथ-पैरों को गर्म पानी में पिघलाया जाता था, ताकि यह पता लगाया जा सके कि अलग-अलग तापमान का इंसानी शरीर पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है। इस खतरनाक प्रयोग में कई लोगों की जान तक चली जाती थी।
दुनिया की सबसे खतरनाक लैब (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : Adobe Stock
कई बार ऐसा भी होता था कि इंसानों के शरीर में पहले खतरनाक वायरस डाला जाता था और उसके बाद उनके प्रभावित अंगों को यह देखने के लिए काट दिया जाता था कि बीमारी आगे भी फैलती है या नहीं। वैसे तो इस खतरनाक प्रयोग में कई लोग अपनी जान गंवा देते थे, लेकिन जो बच जाते थे, उनके ऊपर फिर 'गन फायर टेस्ट' किया जाता था, ताकि यह जाना जा सके कि बंदूक इंसानी शरीर को कितना नुकसान पहुंचा सकती है।
दुनिया की सबसे खतरनाक लैब (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : Adobe Stock
चीन के पिंगफांग में मौजूद यूनिट 731 खतरनाक प्रयोग करने वाला कोई इकलौता लैब नहीं था, बल्कि चीन में इसकी और भी कई शाखाएं थीं, जिनमें लिंकोउ (ब्रांच 162), मु़डनजियांग (ब्रांच 643), सुनवु (ब्रांच 673) और हैलर (ब्रांच 543) शामिल थे। हालांकि, द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद इन सारी प्रयोगशालाओं में खतरनाक प्रयोग करने का काम रूक गया और ये जगहें वीरान हो गईं। अब तो इनमें से कई जगहों पर लोग घूमने के लिहाज से भी आते हैं।
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