साल 2022 का बजट हाल ही मे पेश किया जा चुका है। नए बजट के तहत जल्द ही कर्मचारियों के लिए नया वेज कोड लागू किया जा सकता है। वहीं इसके लागू होने पर देशभर में लोगों पर काफी बड़ा असर पड़ने वाला है। कर्मचारियों की सैलरी से लेकर पेंशन तक में बदलाव होना तय है। बजट में कई प्रावधान किए गए हैं जिनको जानना आपके लिए बेहद जरूरी है। रिपोर्ट्स में ये दावा किया जा रहा है कि नए वित्तीय वर्ष से नया वेज कोड लागू किया जा सकता है। हालांकि आधिकारिक तौर पर अब तक सरकार की ओर से इस पर कुछ नहीं कहा गया है। दरअसल, वेज कोड एक्ट, 2019 के अनुसार किसी कर्मचारी का मूल वेतन कंपनी की लागत का 50 परसेंट से कम नहीं हो सकता है। कई कंपनियां बेसिक सैलरी को बहुत कम करके ऊपर से भत्ते ज्यादा देती हैं, ताकि कंपनी पर बोझ कम हो। वहीं अब वेज कोड एक्ट, 2019 के लागू होने पर कर्मचारियों का सैलरी स्ट्रक्चर पूरा बदल जाएगा।
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New Wage Code: नए फाइनेंशियल ईयर से बदलने जा रहा है सैलरी स्ट्रक्चर, यहां जानिए किसे होगा फायदा और नुकसान
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: ज्योति मेहरा
Updated Mon, 07 Feb 2022 03:46 PM IST
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नए फाइनेंशियल ईयर से बदलने जा रहा है सैलरी स्ट्रक्चर
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नए फाइनेंशियल ईयर से बदलने जा रहा है सैलरी स्ट्रक्चर
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- इस बदलाव के तहत कर्मचारियों की 'टेक होम सैलरी' कम हो जाएगी, क्योंकि 'बेसिक पे' बढ़ने से कर्मचारियों का पीएफ ज्यादा कटेगा। इसका मतलब उनका भविष्य ज्यादा सुरक्षित होगा। वहीं पीएफ के साथ ग्रैच्युटी में भी योगदान बढ़ जाएगा, जिससे टेक होम सैलरी जरूर घटेगी लेकिन कर्मचारी को रिटायरमेंट पर ज्यादा रकम मिलेगी।
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- दरअसल, कर्मचारियों का सीटीसी कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है। जैसे बेसिक सैलरी, मकान का किराया (एचआरए), पीएफ, ग्रेच्युटी, एलटीसी और मनोरंजन भत्ता वगैरह। नया वेतन कोड नियम लागू होने पर कंपनियों को ये तय करना होगा कि बेसिक सैलरी को छोड़कर (सीटीसी) में शामिल किए जाने वाले दूसरे फैक्टर 50 परसेंट से ज्यादा न होने पाएं। ये कंपनियों के लिए भड़ी परेशानी हो सकती है।
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- टेक-होम सैलरी में कटौती का असर निम्न व मध्यम आय वालों के लिए बहुत कम होगी। जबकि ऊंची आय वालों के लिए ये बड़ा झटका हो सकता है। बड़ी कमाई वालों का पीएफ योगदान भी ज्यादा हो जाएगा, जिससे उनकी टेक होम सैलरी भी काफी कम हो जाएगी।
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- इसके साथ ही ऐसे कर्मचारियों की ग्रेच्चुटी भी ज्यादा कटेगी। बेसिक सैलरी टैक्सेबल होती है। यही वजह है कि सैलरी ज्यादा होने पर टैक्स भी ज्यादा कटेगा।