{"_id":"5befe8d0bdec2217277cdc53","slug":"indian-freedom-fighter-lala-lajpat-rai-untold-facts-death-anniversary","type":"photo-gallery","status":"publish","title_hn":"भारत मां का एक 'शेर', जिसकी एक दहाड़ से हिल गए थे अंग्रेज, लाठियों से पीट-पीटकर मार डाला था","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
भारत मां का एक 'शेर', जिसकी एक दहाड़ से हिल गए थे अंग्रेज, लाठियों से पीट-पीटकर मार डाला था
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Updated Sun, 18 Nov 2018 08:58 AM IST
विज्ञापन
लाला लाजपत राय
- फोटो : BBC
हम आपको बता रहे हैं, भारत मां के उस 'शेर' के बारे में, जिसकी एक दहाड़ ने अंग्रेजों को हिला कर रख दिया था। लेकिन उसे लाठियों से पीट-पीटकर मार डाला गया था।
Trending Videos
लाला लाजपत राय
- फोटो : SELF
जी हां, ये हैं लाला लाजपत राय, जिनकी आज पुण्यतिथि है। 3 फरवरी 1928 को जब साइमन कमीशन भारत आया था तो उसके विरोध में पूरे देश में आग भड़की थी। लाला लाजपतराय ने इसके विरोध में लाहौर में आयोजित बड़े आंदोलन का नेतृत्व किया और अंग्रेजों की हुकूमत को हिला दिया। इस आंदोलन में अंग्रेजों ने जनता पर लाठियां बरसाईं। गंभीर रूप से घायल होने के कारण लाला लाजपतराय 17 नवंबर 1928 को शहीद हो गए थे।
विज्ञापन
विज्ञापन
lala lajpat rai
- फोटो : file photo
लाला लाजपत राय पंजाब केसरी के नाम से भी विख्यात थे। इनका जन्म 28 जनवरी 1865 को फिरोजपुर पंजाब में हुआ था। उनके पिता मुंशी राधा कृष्ण आजाद फारसी और उर्दू के महान विद्वान थे। उनकी माता गुलाब देवी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। 1884 में उनके पिता का रोहतक ट्रांसफर हो गया और वो भी पिता के साथ रहने के लिए आ गए। 1877 में राधा देवी से उनकी शादी हुई।
lala lajpat rai
- फोटो : file photo
लाला जी के पिता राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, रेवाड़ी में शिक्षक थे। वहीं से उन्होंने प्राथमिक शिक्षा हासिल की। 1880 में उन्होंने लॉ की पढ़ाई के लिए लाहौर स्थित सरकारी कॉलेज में दाखिला लिया। 1886 में उनका परिवार हिसार आ गया, यहीं उन्होंने लॉ की प्रैक्टिस की। 1888 और 1889 के नेशनल कांग्रेस के वार्षिक सत्रों के दैरान उन्होंने प्रतिनिधि के तौर पर हिस्सा लिया। हाईकोर्ट में वकालत करने के लिए 1892 में वो लाहौर चले गए।
विज्ञापन
lala lajpat rai
- फोटो : file photo
वर्ष 1885 में उन्होंने सरकारी कॉलेज से द्वितीय श्रेणी में वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण की और हिसार में अपनी वकालत शुरू कर दी। वकालत के अलावा लालाजी ने दयानन्द कॉलेज के लिए धन एकत्र किया, आर्य समाज के कार्यों और कांग्रेस की गतिविधियों में भाग लिया। वह हिसार नगर पालिका के सदस्य और सचिव चुने गए। वह 1892 में लाहौर चले गए।