चंडीगढ़ को भारत का पहला योजनाबद्ध शहर होने का श्रेय प्राप्त है। एक नवंबर 1966 को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा पाने के बाद चंडीगढ़ विकास पथ पर आगे बढ़ रहा है। शहर अब स्मार्ट सिटी बनने लगा है। 24 घंटे पानी, कैमरों का जाल, साइकिल ट्रैक, इंटीग्रटेड सिटी कमांड कंट्रोल सेंटर जैसी सुविधाओं के साथ शहर हाईटेक होने जा रहा है। यहां के पुराने बाशिंदे हालांकि इन योजनाओं से खुश हैं लेकिन यदा कदा वे बीते जमाने की बातें याद करते हैं।
चंडीगढ़: स्थापना दिवस के दिन ही चोरी हुई थी दो मैग्जीन और चार किलाे रुई, चार भाषा में दर्ज हुई थी पहली एफआईआर
चंडीगढ़ के स्थापना के दिन ही एक नवंबर 1966 को पहली एफआईआर दर्ज की गई थी। सेक्टर-16 निवासी एक व्यक्ति ने घर के पीछे से दो दरियां, एक थाली और कौली, दो मैगजीन फैमिना, साइकिल का सीट कवर और चार किलोग्राम रुई चोरी होने का मामला दर्ज कराया था। हैरानी की बात है कि उस वक्त चार भाषाओं में एफआईआर हुई, जिसमें पंजाबी, हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू भाषा शामिल थी।
सेक्टर-43 निवासी 95 वर्षीय प्रेमचंद पुरी वर्ष 1953 में चंडीगढ़ आए थे। उनके पिता के पास पंजाब सरकार के टाइपराइटरों को ठीक करने का ठेका था। जब वह चंडीगढ़ में आए तो सेक्टर-22 में 25-30 ही निजी मकान थे। बिजवाड़ा में बस स्टैंड था। यहीं से शिमला और दिल्ली के लिए बसें जाती थी। उसके बाद सेक्टर-17 का बस अड्डा और बाद में सेक्टर-43 का बस अड्डा बना। उस समय स्कूल कॉलेज नहीं बने था। उनके आने के बाद ही सब बनना शुरू हो हुआ। उस वक्त स्कूटर स्टेटस सिंबल था।
सेक्टर-9 स्थित लिली पार्क में पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 2 अप्रैल 1952 को चंडीगढ़ का प्लान देखा था। पार्क में जिस जगह पर बैठकर नेहरू ने चंडीगढ़ का प्लान देखा था। यहां पर एक मोन्यूमेंट बनाया गया है, ताकि लोग इसे याद रखें। इसका उद्घाटन चंडीगढ़ के पहले चीफ कमिश्नर एमएस रंधावा ने 27 फरवरी 1967 को किया था। हालांकि अब इसकी हालत ठीक नहीं है। यादगार पर लिखे कई अंग्रेजी के अक्षर गायब हैं। गेट पर बड़ी बड़ी घास उगी है।
जब 26 हफ्ते हाउसफुल रहा था किरण और नीलम सिनेमाघर
शहर के किरण और नीलम सिनेमा दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे फिल्म के रिलीज होने के बाद पूरे 26 हफ्ते हाउसफुल रहा था। सिनेमाघर में 1995 से नौकरी कर रहे कुलबीर ने बताया कि शुरुआती हफ्ते में सिनेमाघरों के आगे हजारों की संख्या में लोग टिकट के लिए कतारों में खड़े रहते थे। भीड़ को नियंत्रण करने के लिए सिनेमाघरों के आगे बैरिकेड लगाए गए थे। हालांकि शहर के पुराने सिनेमा घर अब समय की मांग के अनुसार मल्टीप्लेक्स का रूप ले रहे हैं। सेक्टर-17 केटीडीआई सिनेमा, सेक्टर-34 के पिकाडिली पहले ही मल्टीपलेक्स के रूप में खुद को स्थापित कर चुके हैं। जबकि सेक्टर-17 के केसी सिनेमा और नीलम सिनेमा का भी मल्टीपलेक्स का डिजाइन बन कर तैयार हो गया है। जल्द ही ये भी खुद को नए रूप में ढाल लेंगे।