चंडीगढ़ को भारत का पहला योजनाबद्ध शहर होने का श्रेय प्राप्त है। एक नवंबर 1966 को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा पाने के बाद चंडीगढ़ विकास पथ पर आगे बढ़ रहा है। शहर अब स्मार्ट सिटी बनने लगा है। 24 घंटे पानी, कैमरों का जाल, साइकिल ट्रैक, इंटीग्रटेड सिटी कमांड कंट्रोल सेंटर जैसी सुविधाओं के साथ शहर हाईटेक होने जा रहा है। यहां के पुराने बाशिंदे हालांकि इन योजनाओं से खुश हैं लेकिन यदा कदा वे बीते जमाने की बातें याद करते हैं।
सेक्टर-45 निवासी 86 वर्षीय सुरिंदर पाल मल्होत्रा ने बताया कि वर्ष 1971 में सेक्टर-7 में रहने के लिए चंडीगढ़ आए। उन दिनों ट्रैफिक नहीं था। इक्का दुक्का गाड़ी दिखती थी। सड़कों पर सिर्फ साइकिलें ही नजर आती थीं। दूर जाने के लिए बस लेते थे। चारों ओर हरियाली थी। गाड़ियों का शोर नहीं था। धीरे-धीरे जनसंख्या बढ़ती गई। गाड़ियां बढ़ीं, ऑटो बढ़ें, बसों की फ्रीक्वेंसी बढ़ती गई। सड़कें चौड़ी होनी शुरू हुई तो पेड़ कटने शुरू हुए। इससे हरियाली कम हो गई। वहीं केदारनाथ शर्मा ने बताया कि शहर बसने के दौरान पहला सिनेमाघर सेक्टर-22 का किरण था। शहरवासियों के साथ पंजाब, हरियाणा और हिमाचल के लोग भी यहां सिनेमा देखने के लिए आते थे। 60 के दशक में उन्होंने बहुत सारी फिल्में मात्र एक रुपये बारह आने में देखी है।
सेक्टर-45 निवासी 86 वर्षीय सुरिंदर पाल मल्होत्रा ने बताया कि वर्ष 1971 में सेक्टर-7 में रहने के लिए चंडीगढ़ आए। उन दिनों ट्रैफिक नहीं था। इक्का दुक्का गाड़ी दिखती थी। सड़कों पर सिर्फ साइकिलें ही नजर आती थीं। दूर जाने के लिए बस लेते थे। चारों ओर हरियाली थी। गाड़ियों का शोर नहीं था। धीरे-धीरे जनसंख्या बढ़ती गई। गाड़ियां बढ़ीं, ऑटो बढ़ें, बसों की फ्रीक्वेंसी बढ़ती गई। सड़कें चौड़ी होनी शुरू हुई तो पेड़ कटने शुरू हुए। इससे हरियाली कम हो गई। वहीं केदारनाथ शर्मा ने बताया कि शहर बसने के दौरान पहला सिनेमाघर सेक्टर-22 का किरण था। शहरवासियों के साथ पंजाब, हरियाणा और हिमाचल के लोग भी यहां सिनेमा देखने के लिए आते थे। 60 के दशक में उन्होंने बहुत सारी फिल्में मात्र एक रुपये बारह आने में देखी है।