{"_id":"57b55a9a4f1c1bd0586ebd23","slug":"rio-olympic-bronze-medal-winner-bus-conductor-daughter-lady-wrestler-sakshi-malik-untold-story","type":"photo-gallery","status":"publish","title_hn":"रोचक है साक्षी के रियो तक पहुंचने की कहानी ","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
रोचक है साक्षी के रियो तक पहुंचने की कहानी
टीम डिजिटल/अमर उजाला, चंडीगढ़
Updated Wed, 24 Aug 2016 11:11 AM IST
विज्ञापन
साक्षी मलिक
- फोटो : getty
दिल्ली में डीटीसी में बस कंडक्टर की बेटी ने रियो ओलंपिक में इतिहास रच गया। सच तो ये है कि ओलंपिक क्वालीफाइंग की सूची में इनका नाम ही नहीं था।
Trending Videos
साक्षी मलिक
- फोटो : getty
साक्षी का ओलिंपिक के लिए चुना जाना और मेडल जीतने तक का सफर बेहद दिलचस्प है। रोहतक की निवासी साक्षी के पिता सुखबीर मलिक दिल्ली में डीटीसी में बस कंडक्टर है और माँ सुदेश मलिक रोहतक में आंगनबाड़ी सुपरवाइज़र है। ओलिंपिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में साक्षी को एक ऐसा मौका मिला जिसके कारण वे मेडल जीत सकीं। महिला कुश्ती में भारत को कभी पदक नही मिला था।
विज्ञापन
विज्ञापन
हरियाणा पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगट और बबीता फोगट
- फोटो : फाइल फोटो
हुआ यूं कि 2012 के लंदन ओलिंपिक में खेलने वाली देश की पहली महिला पहलवान गीता फौगाट अप्रैल में मंगोलिया में ओलिंपिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में कांस्य के लिए हुए बाउट में नहीं उतरीं। इसलिए उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था। चूंकि साक्षी भी उसी 58 किग्रा भार वर्ग में खेलती हैं, इसलिए टीम में उन्हें मौका मिला। इसके बाद कोटा हासिल किया और साक्षी ने अपने चयन को सही साबित कर दिखाया।
हरियाणा पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगट और बबीता फोगट
- फोटो : फाइल फोटो
गौरतलब है कि साक्षी ओलिंपिक में मेडल जीतने वाली भारत की चौथी एथलीट बन गई हैं। उनसे पहले 2000 में कर्णम मल्लेश्वरी ने वेटलिफ्टिंग में ब्रॉन्ज जीता था। 2012 में मैरी कॉम ने बॉक्सिंग में ब्रॉन्ज जीता। 2012 में साइना नेहवाल ने बैडमिंटन में ब्रॉन्ज जीता। रेसलिंग में किसी भारतीय महिला को इससे पहले कोई मेडल नहीं मिला था।
विज्ञापन
हरियाणा पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगट और बबीता फोगट
- फोटो : फाइल फोटो
मैच के बाद साक्षी ने कहा, "मुझे जीत का भरोसा था। यह भारतीय महिला रेसलिंग के लिए ऐतिहासिक मौका है। यह सफलता मेरी 10 सालों की कड़ी मेहनत का नतीजा है। यह मेरे लिए स्पेशल है और मैं गर्व महसूस कर रही हूं कि मैंने देश के लिए मेडल जीत लिया।" ये लगातार तीसरा ओलिंपिक है, जब भारत ने रेपचेज से मेडल जीता है। 2008 में सुशील कुमार और 2012 में योगेश्वर दत्त ने भी इसी तरह रेपेचेज राउंड में ब्रॉन्ज जीता था।