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अहोई अष्टमी 2021: बन रहे तीन विशेष योग, माताओं को पूजा के लिए मिलेगा 01 घंटे 17 मिनट, ये है शुभ मुहूर्त...

संवाद न्यूज एजेंसी, देहरादून/हरिद्वार Published by: अलका त्यागी Updated Tue, 26 Oct 2021 08:04 PM IST
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Ahoi Ashtami 202: Ashtami Puja Shubh Muhurat and timing for Mothers
अहोई पूजन विधि - फोटो : प्रतीकात्मक तस्वीर

संतान की दीर्घायु एवं सुखी जीवन के लिए बृहस्पतिवार 28 अक्तूबर को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाएगा। यह व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद और दीपावली से आठ दिन पूर्व खखा जाता है। आचार्य राकेश कुमार शुक्ला ने बताया कि इस बार अहोई अष्टमी पर तीन विशेष योगों के बीच माताएं उपवास रखेंगी। इसमें सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और गुरु पुष्य योग एक साथ बन रहे हैं।

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इन योगों में पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का सम्राट कहा जाता है। बृहस्पतिवार को गुरु पुष्य नक्षत्र योग होने से काफी लाभ मिलता है। ऐसे में इस बार अहोई व्रत का फल माताओं को कई गुना ज्यादा मिलेगा।

डॉ. आचार्य सुशांत राज के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को संतान के सुखी और समृद्धि जीवन के लिए अहोई अष्टमी को व्रत रखा जाता है। 28 अक्तूबर को शाम 5:39 से शाम 6:56 बजे तक अहोई अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त है।

अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता की पूजा का मुहूर्त शाम को 01 घंटे 17 मिनट का है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत कर अहोई माता की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करती हैं। इस व्रत में शाम को तारों को अर्घ्य दिया जाता है।


Ahoi Ashtami 202: Ashtami Puja Shubh Muhurat and timing for Mothers
अहोई अष्टमी - फोटो : प्रतीकात्मक

इसके बाद ही व्रत पूरा होता है। तारे निकलने के बाद अहोई माता की पूजा की जाती है। इस व्रत में कथा सुनते समय हाथों में सात प्रकार के अनाज होने चाहिए और पूजा के बाद यह अनाज गाय को खिलाया जाता है।

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माता पार्वती - फोटो : प्रतीकात्मक तस्वीर

इस व्रत में मुख्य रूप से मां पार्वती की पूजा की जाती है। मां पार्वती के साथ ही मां स्याऊ की भी पूजा करनी चाहिए। इस दिन व्रत रखते वाली महिलाओं को कुछ बातों का विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। व्रत के दौरान माताएं जमीन में खुदाई न करें और सब्जी या फल आदि न काटें। इससे संतान को कष्ट होता है।

Ahoi Ashtami 202: Ashtami Puja Shubh Muhurat and timing for Mothers
खीर(प्रतीकात्मक तस्वीर) - फोटो : istock

आचार्य राकेश कुमार शुक्ला ने बताया कि इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती को दूध, चावल का भोग लगाकर चांदी की नौ मूर्तियों को माला में पिरोकर धारण करना चाहिए। अहोई अष्टमी का व्रत जीवन में होने वाली अनहोनी और घटनाओं से रक्षा करता है। साथ ही संतान प्राप्ति में भी यह व्रत लाभकारी है। 

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अहोई अष्टमी - फोटो : प्रतीकात्मक तस्वीर

पंडित प्रतीक मिश्रपुरी के अनुसार अहोई माता की आकृति दीवार पर गेरू के घोल से बनाएं। सूर्यास्त होते ही अहोई का व्रत पूजन करें। सामग्री में एक चांदी या सफेद धातु की अहोई, चांदी की मोती की माला, जल से भरा हुआ कलश, दूध, हलवा, गन्ना, सिघाड़े व पुष्प तथा दीप के साथ पूजा करें। कथा सुनते समय हाथ में गेहूं के सात दाने व दक्षिणा रखें। वहीं शाम को तारों को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न करें। 

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