बर्मिंघम में 28 जुलाई से शुरू होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों की तैराकी प्रतियोगिता में भारतीय टीम का तीन वर्गों में प्रतिनिधित्व करने वाले उत्तराखंड के लाल कुशाग्र से पदक की आस है। राष्ट्रीय खेलों में तीन गोल्ड और एक सिल्वर के साथ रिकॉर्ड कायम करने वाले कुशाग्र इन दिनों प्रशिक्षण के लिए मैनचेस्टर में हैं और वहीं से बर्मिंघम रवाना होंगे।
उत्तराखंड के चमोली जिले के कफलोड़ी गांव निवासी हुकुम सिंह रावत के बेटे कुशाग्र दिल्ली में पैदा हुए और वहीं से पढ़ाई-लिखाई और तैराकी के गुर सीखे। बचपन में दमे के मरीज रहे कुशाग्र के फेफड़े मजबूत करने के लिए पिता हुकुम सिंह ने इन्हें स्वीमिंग सिखाने का फैसला लिया, जो बाद में जुनून में बदल गया।
देखते ही देखते कुशाग्र तैराकी में चैंपियन हो गया और 2019 में उसने टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया था। कोरोना काल में तैयारी प्रभावित हुईं, जिससे वह टोक्यो के लिए ए कट बनाने में विफल रहे। जून में वर्ल्ड चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ के लिए भी क्वालीफाई कर लिया था।
उत्तराखंड के चमोली जिले के कफलोड़ी गांव निवासी हुकुम सिंह रावत के बेटे कुशाग्र दिल्ली में पैदा हुए और वहीं से पढ़ाई-लिखाई और तैराकी के गुर सीखे। बचपन में दमे के मरीज रहे कुशाग्र के फेफड़े मजबूत करने के लिए पिता हुकुम सिंह ने इन्हें स्वीमिंग सिखाने का फैसला लिया, जो बाद में जुनून में बदल गया।
देखते ही देखते कुशाग्र तैराकी में चैंपियन हो गया और 2019 में उसने टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया था। कोरोना काल में तैयारी प्रभावित हुईं, जिससे वह टोक्यो के लिए ए कट बनाने में विफल रहे। जून में वर्ल्ड चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ के लिए भी क्वालीफाई कर लिया था।