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इतिहास में पहली बार: सितंबर में न्यूनतम स्तर पर पहुंचा नैनीझील का जलस्तर, नैनीताल शहर पर दिखने लगा गंभीर संकट

डॉ. गिरीश रंजन तिवारी, अमर उजाला, नैनीताल Published by: अलका त्यागी Updated Thu, 15 Sep 2022 07:00 AM IST
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Nainital News: Naini lake water level reached lowest level in September For the first time in History
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नैनीझील - फोटो : अमर उजाला
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नैनीझील और नैनीताल नगर पर गंभीर संकट नजर आने लगा है। इस सीजन में यहां बारिश और नैनीझील का जलस्तर आज तक के इतिहास में सबसे कम है। यह ज्यादा चिंता का विषय इसलिए भी है कि मुख्यतया बारिश से ही नैनीझील में पानी की आपूर्ति होती है। इस साल मानसून समाप्ति पर है जबकि झील का स्तर इस माह के सामान्य जलस्तर से करीब चार फीट कम करीब 7.6 फीट है। अब इसके अधिक बढ़ने के आसार भी नहीं लग रहे। 

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नैनीझील का सर्वाधिक जलस्तर 12 फीट होता है। हर वर्ष यह स्तर नहीं पहुंच पाता लेकिन अगस्त-सितंबर में इसके आसपास पहुंच जाता है। बारिश अधिक होने पर इसके निकासी द्वार खोलकर अतिरिक्त पानी को बाहर निकाल दिया जाता है। ब्रिटिश काल में प्रशासन ने प्रतिदिन बारिश और झील के जलस्तर का रिकॉर्ड रखना शुरू किया था। साथ ही हर महीने के लिए एक आदर्श जलस्तर का निर्धारण भी किया था। 

सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता जेडी सती और अवर अभियंता नीरज तिवारी ने बताया कि सिंचाई विभाग ने 1990 से प्रतिदिन जल वर्षा और झील के स्तर के आंकड़े कंप्यूटरीकृत किए हैं। झील के कंट्रोल रूम प्रभारी रमेश गैड़ा ने बताया कि आंकड़ों के मुताबिक सितंबर में गत सप्ताह तक झील का जलस्तर 7.6 फीट था।
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नैनी झील - फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो
नैनीताल में इस वर्ष  सितंबर प्रथम सप्ताह तक करीब एक हजार मिमी वर्षा हुई है जो कि इस अवधि तक आज तक के इतिहास में सबसे कम है। पूर्व के वर्षों में इस अवधि में इससे डेढ़ गुना से लेकर चार गुना तक की वर्षा भी दर्ज की गई है। इससे पूर्व 2019 में इन दिनों झील का जलस्तर 9 फीट जबकि 17 सितंबर 2012 को 9.1 फीट था। इसी तरह 2016 में 14 सितंबर को 9.85 और 2017 में 9.4 फीट था। ये वे वर्ष हैं जिनमें आज से पहले इन दिनों में जल स्तर न्यूनतम रहा था, जबकि अन्य सभी वर्षों में इस अवधि में जलस्तर लगभग 11 फीट या इससे भी अधिक रहा। 
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नैनी झील - फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो
इस वर्ष झील का ऐतिहासिक रूप से इतना कम जलस्तर होना इसलिए ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि गत वर्ष अक्तूबर में भारी अतिवृष्टि के बाद जलस्तर 12 फीट पहुंच गया था और निकासी गेट खोल कर अतिरिक्त पानी बाहर निकालने के बावजूद लंबे समय तक झील का स्तर बहुत अच्छा बना रहा।
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नैनी झील - फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो
जनवरी में भारी बर्फबारी के बाद इस बार मई जून तक भी जलस्तर अन्य वर्षों के मुकाबले बेहतर था। अब झील का स्तर लगभग आठ फीट ही होना गंभीर चिंता का विषय है जिसके दुष्परिणाम आगामी महीनों में पेयजल की कमी और झील के और भी निचले स्तर के रूप में सामने आ सकते हैं।
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नैनी झील - फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो
सिंचाई विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 14 सितंबर तक नैनीताल में 2010 में 3359 मिमी, 2011 में 4310 मिमी,  2013 में 4074 मिमी, 2014 में 4705 मिमी, 2015 में 4621 मिमी तक वर्षा हो चुकी थी। इनके अलावा जिन वर्षों में सितंबर की समाप्ति तक कम वर्षा हुई उनमें 1997 में एक हजार मिमी से अधिक, 1991 में 14 सितंबर तक 1315 मिमी, 1994 में 1384 मिमी, 1995 में 1649 मिमी, 2005 में 1772 मिमी वर्षा हुई थी। 2019 में 14 सितंबर तक 1325 तब 2020 में 1567 मिमी वर्षा हुई। 14 सितंबर तक अधिकतर वर्षों में 2300 मिमी से ज्यादा और कई बार 4000 मिमी से भी ज्यादा वर्षा दर्ज की गई।
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