नैनीझील और नैनीताल नगर पर गंभीर संकट नजर आने लगा है। इस सीजन में यहां बारिश और नैनीझील का जलस्तर आज तक के इतिहास में सबसे कम है। यह ज्यादा चिंता का विषय इसलिए भी है कि मुख्यतया बारिश से ही नैनीझील में पानी की आपूर्ति होती है। इस साल मानसून समाप्ति पर है जबकि झील का स्तर इस माह के सामान्य जलस्तर से करीब चार फीट कम करीब 7.6 फीट है। अब इसके अधिक बढ़ने के आसार भी नहीं लग रहे।
Memories: अद्भुत और रोमांचक है एलिजाबेथ के महारानी बनने की कहानी, पढ़ें क्या है नैनीताल से खास कनेक्शन
नैनीझील का सर्वाधिक जलस्तर 12 फीट होता है। हर वर्ष यह स्तर नहीं पहुंच पाता लेकिन अगस्त-सितंबर में इसके आसपास पहुंच जाता है। बारिश अधिक होने पर इसके निकासी द्वार खोलकर अतिरिक्त पानी को बाहर निकाल दिया जाता है। ब्रिटिश काल में प्रशासन ने प्रतिदिन बारिश और झील के जलस्तर का रिकॉर्ड रखना शुरू किया था। साथ ही हर महीने के लिए एक आदर्श जलस्तर का निर्धारण भी किया था।
सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता जेडी सती और अवर अभियंता नीरज तिवारी ने बताया कि सिंचाई विभाग ने 1990 से प्रतिदिन जल वर्षा और झील के स्तर के आंकड़े कंप्यूटरीकृत किए हैं। झील के कंट्रोल रूम प्रभारी रमेश गैड़ा ने बताया कि आंकड़ों के मुताबिक सितंबर में गत सप्ताह तक झील का जलस्तर 7.6 फीट था।
Memories: अद्भुत और रोमांचक है एलिजाबेथ के महारानी बनने की कहानी, पढ़ें क्या है नैनीताल से खास कनेक्शन
नैनीझील का सर्वाधिक जलस्तर 12 फीट होता है। हर वर्ष यह स्तर नहीं पहुंच पाता लेकिन अगस्त-सितंबर में इसके आसपास पहुंच जाता है। बारिश अधिक होने पर इसके निकासी द्वार खोलकर अतिरिक्त पानी को बाहर निकाल दिया जाता है। ब्रिटिश काल में प्रशासन ने प्रतिदिन बारिश और झील के जलस्तर का रिकॉर्ड रखना शुरू किया था। साथ ही हर महीने के लिए एक आदर्श जलस्तर का निर्धारण भी किया था।
सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता जेडी सती और अवर अभियंता नीरज तिवारी ने बताया कि सिंचाई विभाग ने 1990 से प्रतिदिन जल वर्षा और झील के स्तर के आंकड़े कंप्यूटरीकृत किए हैं। झील के कंट्रोल रूम प्रभारी रमेश गैड़ा ने बताया कि आंकड़ों के मुताबिक सितंबर में गत सप्ताह तक झील का जलस्तर 7.6 फीट था।