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निकिता हत्याकांड: फेल हुआ खुफिया विभाग, सांप्रदायिक बन सकता था मामला, तलवार लेकर महापंचायत में पहुंचे थे लोग

संजय शिशौदिया/कैलाश गठवाल, अमर उजाला, फरीदाबाद Published by: पूजा त्रिपाठी Updated Mon, 02 Nov 2020 10:48 AM IST
सार

- छह दिनों के अंदर ही दो बार हाईवे जाम कर चुके हैं लोग
- हत्यारोपियों की गिरफ्तारी के बावजूद नहीं थम रहा आक्रोश
- बड़ी वारदात के बावजूद खुफिया विभाग पूरी तरह से फेल

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nikita murder case police negligence could have become communal from the first day people creating furor
निकिता हत्याकांड मामले में बुलाई गई महापंचायत में तलवार लेकर खड़ा शख्स - फोटो : अमर उजाला

बीकॉम अंतिम वर्ष की छात्रा निकिता तोमर हत्याकांड के बाद से ही पुलिस विभाग की चूक के कारण शहर में छह दिन के अंदर दो बार राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम करने की घटना हो चुकी है। पिछली घटना से भी विभाग ने सबक नहीं लिया। पुलिस का खुफिया विभाग भी इस मामले में पूरी तरह से फेल साबित हुआ है। यही कारण है कि रविवार को हालात पिछली बार से भी ज्यादा खराब हो गए। पढ़ें पूरा मामला और जानें कि कैसे थोड़ी सी चूक एक बड़े हादसे को न्योता दे सकती थी...

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nikita murder case police negligence could have become communal from the first day people creating furor
निकिता हत्याकांड मामले में उग्र प्रदर्शन की तस्वीरें - फोटो : अमर उजाला

बीते बुधवार को इसी हत्याकांड के विरोध में चार घंटे तक राष्ट्रीय राजमार्ग जाम होने के बावजूद हाईवे के किनारे इतनी बड़ी महापंचायत प्रशासन की नाक के नीचे आयोजित हो गई। वह भी उस स्थिति में जब आयोजकों के पास महापंचायत की अनुमति तक नहीं थी। महापंचायत में जिस तरह से भीड़ उमड़ी उसने भी कोविड-19 के सभी नियमों की धज्जियां उड़ा दीं। बीते सोमवार को हुई निकिता की हत्या के अगले ही दिन यानी मंगलवार को सोहना रोड पर परिजनों ने जाम लगा दिया था।

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निकिता हत्याकांड मामले में उग्र प्रदर्शन की तस्वीरें - फोटो : अमर उजाला

करीब चार घंटे तक नारेबाजी व हंगामे के बाद लोग दिल्ली-आगरा हाईवे की तरफ चल पड़े और हाईवे को चार घंटे तक जाम रखा। पहले से पता होने के बावजूद पुलिस ने लोगों को हाईवे तक जाने से नहीं रोका। सुप्रीम कोर्ट के नियमों के बावजूद हाईवे जाम करने पर किसी के खिलाफ मामला भी दर्ज नहीं किया गया। इसके बाद निकिता के घर पर सांत्वना देने पहुंची कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्षा के साथ हुई बदसलूकी व भाजपा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच हुई हाथापाई में भी कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्षा ने पुलिस पर मूकदर्शक बने रहने के आरोप लगाए थे।

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निकिता के परिवार से मिलतीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सैलजा - फोटो : अमर उजाला

रविवार को शहर में महापंचायत का आयोजन हाईवे के ठीक किनारे बिना इजाजत के कर दिया गया और प्रशासन और पुलिस ने पिछली घटना में हाईवे जाम के बावजूद इस आयोजन को रोकने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। चारों तरफ से चार दिवारी होने के बावजूद लोग सैंकड़ों की संख्या में नारे लगाते हुए मैदान के बाहर से बाहर आकर हाईवे तक चले गए। भारी भरकम पुलिस बल तैनात होने के बावजूद किसी ने भी लोगों को रास्ते में या मैदान में ही रोकने की जहमत नहीं उठाई। 

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nikita murder case - फोटो : अमर उजाला

सांप्रदायिक बन सकता था मामला:
महापंचायत से नारेबाजी करते हुए लोग आगे आगे चलते रहे रहे और पुलिस मूकदर्शक बनी रही। भीड़ ने जिस जगह पर ढाबे को तोड़ा और पथराव किया वह अज्जी कालोनी पूर्ण रूप से मु्स्लिम बहुल इलाका है। ढाबे में तोड़फोड़ के विरोध में पथराव भी अज्जी कालोनी की तरफ से ही हुआ था। पथराव करने वाले कौन थे, पुलिस अभी इस बात की जांच भले ही कर रही है लेकिन अगर यह मामला सांप्रदायिक हो जाता तो राष्ट्रीय राजमार्ग पर मामले को काबू करना टेढ़ी खीर थी।

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