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सेकेंड हैंड कार ने दिल्ली को कई बार दहलाया: क्यों होता है धमाके में इन गाड़ियों का इस्तेमाल? कब-कब हुए ब्लास्ट

धनंजय मिश्रा, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: विकास कुमार Updated Tue, 11 Nov 2025 09:34 PM IST
सार

आतंकी संगठन सेकेंड हैंड वाहनों को जानबूझकर कवर्ड ट्रांसपोर्ट के रूप में इस्तेमाल करते हैं ताकि उनकी असली गतिविधियां और नेटवर्क छिपे रहें। फर्जी दस्तावेज, नकली पते और कई बार मालिकी बदलने से वाहन समय-समय पर अजनबियों के हाथों से गुजरता है। इससे सीडीआर, टोल-रिकॉर्ड और सीसीटीवी ट्रेल जोड़कर असली कड़ी तक पहुंचना कठिन हो जाता है। 

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Second-hand cars repeatedly blast in Delhi Why old vehicles used for explosions
दिल्ली के लाल किला में कार में धमाका - फोटो : अमर उजाला

लालकिले के सामने सोमवार शाम हरियाणा नंबर की आई-20 कार में हुआ धमाका कोई नई साजिश नहीं बल्कि दिल्ली में बार-बार दोहराई जाने वाली पुरानी कहानी का अगला अध्याय है। फरीदाबाद से लेकर पुलवामा तक कई हाथों से गुजरी इस सेकेंड हैंड कार ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि आतंकियों के लिए पुरानी गाड़ियां न सिर्फ सस्ते साधन हैं बल्कि सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ से बचने का आसान रास्ता भी हैं।

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Delhi Blast - फोटो : अमर उजाला

फर्जी नाम व पते से कारों का पंजीकरण भी हुआ
केंद्रीय एजेंसियों की जांच में सामने आया है कि आई-20 कार कई बार खरीदी-बेची गई थी। दिल्ली पुलिस की जांच में यह भी सामने आया है कि इस कार ने पिछले महीने दिल्ली–हरियाणा–जम्मू रूट कई बार तय किया था लेकिन यह पहली बार नहीं है जब किसी सेकेंड हैंड कार से दिल्ली को दहलाया गया हो। इससे पहले भी दिल्ली को सेकेंड हैंड कार दहला चुकी हैं। दिल्ली पुलिस ने लालकिले के सामने धमाके में इस्तेमाल की गई आई-20 कार की खरीद-बिक्री का पता लगा लिया है। दिल्ली में लगभग सभी बड़े बम धमाकों में उपयोग में लाई गईं कारें इसी तरह से कई बार खरीदी व बेची गई थीं। बताया जा रहा है कि इस तरह के मामलों में आतंकी वारदात से पहले फर्जी नाम व पते से कारों का पंजीकरण भी हुआ है।

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दिल्ली में धमाके के बाद जांच करती पुलिस टीम और सुरक्षाबल - फोटो : पीटीआई

कवर्ड ट्रांसपोर्ट का जाल
आतंकी संगठन सेकेंड हैंड वाहनों को जानबूझकर कवर्ड ट्रांसपोर्ट के रूप में इस्तेमाल करते हैं ताकि उनकी असली गतिविधियां और नेटवर्क छिपे रहें। फर्जी दस्तावेज, नकली पते और कई बार मालिकी बदलने से वाहन समय-समय पर अजनबियों के हाथों से गुजरता है। इससे सीडीआर, टोल-रिकॉर्ड और सीसीटीवी ट्रेल जोड़कर असली कड़ी तक पहुंचना कठिन हो जाता है। मोबाइल-टाइमिंग, ट्रांजिट रूट व खरीद-बिक्री के रिकॉर्डों को मिलाकर ही नेटवर्क तोड़ा जा सकता है।

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Delhi Blast - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

पहले प्लांटेड, अब कार चलता बम
दिल्ली फिर दहल गई लेकिन इस बार का धमाका पुराने धमाकों जैसा नहीं है। लालकिले के पास सोमवार शाम आई-20 कार में हुआ विस्फोट तकनीकी और रणनीतिक दोनों दृष्टि से अलग है। जांच एजेंसियों का कहना है कि यह घटना सिर्फ आतंकी वारदात नहीं बल्कि आतंक की नई पद्धति और सुरक्षा को सीधी चुनौती है। अब तक दिल्ली में ज्यादातर धमाके प्लांटेड बम के रूप में हुए यानी बाजार, बस या सार्वजनिक स्थल पर पहले से रखे गए विस्फोटक लेकिन इस बार धमाका आई-20 कार के भीतर हुआ। विस्फोट के समय कार संचालित अवस्था में थी और धीमी गति से चल रही थी। हालांकि, अभी पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से शुरुआती तौर पर माना जा रहा है कि यह धमाका आत्मघाती था। राजधानी में 2008 में करोल बाग में जब धमाका हुआ तो कार पार्क थी लेकिन इस बार विस्फोट चलती कार में हुआ जो सुरक्षा के लिए नई चुनौती है। 1996 से 2008 के बीच दिल्ली में हुए अधिकतर धमाके टाइमर आधारित आईईडी से किए गए। तब आतंकियों का लक्ष्य भीड़ के बीच विस्फोट कर दहशत फैलाना था लेकिन इस बार के धमाके में तकनीक, संसाधन और तैयारी का स्तर कहीं अधिक है।

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दिल्ली में धमाके के बाद जांच करती पुलिस टीम और सुरक्षाबल - फोटो : पीटीआई

जांच का दायरा हुआ व्यापक
पिछले हमलों में प्रायः दिल्ली पुलिस और स्थानीय एजेंसियां जांच करती थीं जबकि इस बार शुरू से ही केंद्रीय एजेंसियों का समन्वय है, एनआईए, आईबी, एनएसजी, फरीदाबाद पुलिस और जम्मू-कश्मीर पुलिस संयुक्त जांच कर रही हैं। कार के फास्टैग, ई-टोल, सीसीटीवी और मोबाइल डेटा से एक विस्तृत मूवमेंट ट्रेल तैयार किया जा रहा है। यह पहली बार है जब दिल्ली में किसी धमाके की जांच इतनी तकनीकी गहराई से की जा रही है।

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