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Rash Behari Bose: जानें रासबिहारी के बारे में जिन्होंने सुभाष चंद्र बोस को बनाया था आजाद हिंद फौज का प्रमुख

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला Published by: सुभाष कुमार Updated Mon, 15 Aug 2022 05:06 AM IST
सार

Rash Behari Bose: शुरू से ही अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों में रूचि रखने वाले रासबिहारी ने बहुत कम उम्र से अंग्रेजी सत्ता की खिलाफत शुरू कर दी थी। 

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Rash Behari Bose Freedom fighter who gave indian national army to subhash chandra bose Azadi Ka Amrit Mahotsa
Rash Behari Bose - फोटो : Amar Ujala
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Rash Behari Bose: इस साल 15 अगस्त, 2022 को देश अपना 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। अंग्रेजों के करीब 200 साल के काले दौर से देश को आजाद कराने में अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहूति दी थी। किसी को फांसी दी गई तो किसी को आजीवन कारावास। वहीं, कई को काला-पानी जैसी खतरनाक सजा जहां इंसान को कोल्हू का बैल बनाया जाता था। लेकिन देश के वीर सपूतों ने कभी भी अंग्रजी शासन के सामने घुटने नहीं टेके। आज हम देश के ऐसे ही एक वीर सपूत के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की और सुभाष चंद्र बोस को आजाद हिंद फौज की कमान सौंपी थी। आइए जानते हैं स्वतंत्रता सेनानी रासबिहारी बोस के बारे में...
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Rash Behari Bose Freedom fighter who gave indian national army to subhash chandra bose Azadi Ka Amrit Mahotsa
Rash Behari Bose - फोटो : Social Media
कलकत्ता में हुआ जन्म
रासबिहारी बोस का जन्म साल 1886 में पश्चिम बंगाल में हुआ था। शुरू से ही अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों में रूचि रखने वाले रासबिहारी ने बहुत कम उम्र से अंग्रेजी सत्ता की खिलाफत शुरू कर दी थी। बंगाल में उस दौर में ब्रिटिश सत्ता द्वारा निर्मित अकाल और महामारियों ने भारी तबाही मचाई थी। इसके बाद बंगाल विभाजन ने उन्हें अंग्रजों के और खिलाफ कर दिया। इसके बाद वह पूरी तरह अंग्रेजों के खिलाफ गतिविधियों में जुट गए।
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Rash Behari Bose - फोटो : Amar Ujala
लॉर्ड हार्डिंग पर हमला
रासबिहारी बोस अंग्रेजों को हिंसक तरीके देश से मार-पीट कर बाहर फेंकने के समर्थक थे। वर्ष 1912 में देश की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित किए जाने के उपलक्ष्य में अंग्रेजों ने एस कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस दौरान भारत के वायसराय लॉर्ड हार्डिंग पर बम फेंका गया। हालांकि, इस बम से वायसराय जख्मी तो हुआ लेकिन उसकी मौत नहीं हुई। लेकिन इस घटना ने पूरी ब्रिटिश सत्ता की नींव हिला कर रख दी। इस योजना के विफल होते ही अंग्रजों ने क्रांतिकारियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। 
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Rash Behari Bose - फोटो : Amar Ujala
कभी अपना मकसद नहीं भूले
आजादी प्राप्त करने की दीवानगी ऐसी थी कि रासबिहारी बोस कभी अपने मकसद को नहीं भूले। उन्होंने अमेरिका में 1914-1915 में बनी गदर पार्टी का नेतृत्व किया। इस आंदोलन के तहत विदेशों में रहने वाले भारतीयों ने देश की स्वतंत्रता के लिए वापस आना शुरू कर दिया। वह अपने साथ हथियार भी लेकर आ रहे थे। मकसद था अंग्रेजों को के खिलाफ उनका इस्तेमाल करना। हालांकि, किसी भेदिए के कारण अंग्रेजों को इस योजना की भनक लग गई और इस योजना को पूरा नहीं किया जा सका। इसके बाद अंग्रजों ने सैकड़ों क्रांतिकारियों की निर्मम हत्या कर दी।
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Rash Behari Bose - फोटो : Amar Ujala
आजाद हिंद फौज का गठन
कहा जाता है कि लाला लाजपत राय के कहने पर रासबिहारी बोस जापान चले गए थे। यहां राजा पी. एन. टैगोर के नाम से रहने लगे। उन्होंने अंग्रेजी अध्यापन, लेखन और पत्रकारिता का कार्य किया। ‘न्यू एशिया’ नामक समाचार-पत्र शुरू किया और जापानी भाषा में कुल 16 पुस्तकें लिखीं। मार्च 1942 में टोक्यो में उन्होंने ‘इंडियन इंडिपेंडेंस लीग’ की स्थापना की और भारत की स्वाधीनता के लिए एक सेना बनाने का प्रस्ताव भी पेश किया। यहीं से शुरुआत हुआ आजाद हिंद फौद की। 
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