Self-control: आज तकनीक ने हमें तेज जरूर बना दिया है, लेकिन कहीं न कहीं इस रफ्तार ने हमारी शांति और ध्यान को छीन लिया है। माइक्रोसॉफ्ट की एक रिपोर्ट बताती है कि एक औसत कर्मचारी दिन भर में सैकड़ों ई-मेल और चैट संदेशों का सामना करता है। इससे उसका दिमाग हरदम व्यस्त और मन थका हुआ महसूस करता है। वहीं छात्रों की पढ़ाई और डिजिटल स्क्रीन के बीच भी संतुलन बिगड़ता जा रहा है। ऐसे में, सबसे बड़ा कौशल है खुद पर नियंत्रण रखना।
Self-control: ऑनलाइन तनाव के बीच खुद पर नियंत्रण जरूरी, सही दृष्टिकोण से रह सकते हैं मानसिक रूप से मजबूत
Mental Strength: डिजिटल दुनिया के बढ़ते शोर में मानसिक संतुलन बनाए रखना आसान नहीं, लेकिन सही दृष्टिकोण, स्पष्ट संवाद और आत्मनियंत्रण से आप अपनी भावनाओं को संभाल सकते हैं और जीवन में शांति बनाए रख सकते हैं।


नियंत्रण अपने हाथ में रखें
आपको अपने समय और ध्यान पर नियंत्रण रखने पर जोर देना चाहिए। जैसे कई नामचीन कंपनियों में कर्मचारियों को 'क्वाइट आवर्स' यानी शांत समय तय करने की सलाह दी जाती है, वैसे ही आपको भी अपने दिन में कुछ ऐसे घंटे निर्धारित करने चाहिए, जब आप पूरी तरह स्क्रीन और नोटिफिकेशन से दूर रहें।
ऐसा आप अपने लिए एक 'नो-स्क्रीन जोन' बनाकर कर सकते हैं। इससे थकान कम होती है और प्रदर्शन बेहतर होता है। साथ ही, डिजिटल जीवन पर नियंत्रण रखने से फोकस, ऊर्जा व मानसिक शांति कई गुना बढ़ जाती है।

बातचीत के स्पष्ट नियम बनाएं
टीम या समूह में सफलता की कुंजी है स्पष्ट और समझदारी भरा संवाद। आपको भी टीम के साथ संवाद करने के कुछ बुनियादी सिद्धांत तय करने चाहिए। जैसे-हर चर्चा का स्पष्ट एजेंडा तय करें, उसमें केवल जरूरी लोगों को ही शामिल करें और अनावश्यक बातों में समय न गवाएं। इससे न केवल निर्णय लेना आसान होता है, बल्कि हर सदस्य को यह भरोसा भी रहता है कि उसकी मेहनत व वक्त की कद्र की जा रही है।

सफलता के नए पैमाने तय करें
कई बार आप सफलता को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म या तुरंत जवाब देने जैसी चीजों से मापने लगें। यह गलत है। असली उत्पादकता का मतलब है परिणाम और प्रगति, न कि केवल उपस्थिति। आपको अपनी पढ़ाई और प्रोजेक्ट्स में परिणाम तथा उपलब्धि पर ध्यान देना चाहिए, न कि सिर्फ कितने घंटे पढ़े या काम किया इस पर।
जब आप परिणाम-आधारित सोच अपनाते हैं, तो स्वतंत्रता और जिम्मेदारी, दोनों बढ़ती है। यह मानसिकता सिखाती है कि किसी काम का मूल्य उसकी गुणवत्ता में है, न कि उसमें लगने वाले वक्त में।

रचनात्मक सोच में खपाएं वक्त
अगर आप किसी काम को करने में एआई की मदद लेते हैं, तो बचने वाले वक्त को फालतू के कामों में लगाने के बजाय गहन और रचनात्मक सोच में लगाना चाहिए। छात्रों को भी एआई का इस्तेमाल रटने या कॉपी-पेस्ट करने के बजाय समय बचाने और कुछ नया सार्थक सीखने में करना चाहिए।
- द कन्वर्सेशन