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Anees Bazmee Exclusive interview with Pankaj Shukla Bhool Bhulaiyaa 3 Kartik Aaryan Madhuri Dixit Vidya Balan
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Anees Bazmee Exclusive: नतीजे बता रहे हैं कि हमें ‘भूल भुलैया 4’ भी बनानी है, ‘बीबी 3’ की कामयाबी पर बोले अनीस
हिंदी सिनेमा के दिग्गज निर्देशकों में शुमार अनीस बज्मी फिल्म ‘भूल भुलैया 3’ के निर्देशक है, उनसे ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल की खास मुलाकात हुई।
दिवाली पर रिलीज हुई फिल्म ‘भूल भुलैया 3’ से एक बार फिर ये साबित हुआ कि हिंदी फिल्मों के दर्शक अब भी भूत-प्रेत, जादू-टोना और पुनर्जन्म की कहानियों पर लट्टू हैं। इस फिल्म की कहानी दो सौ साल के अंतराल में फैली है और चादरों के नीचे ढांक दी गई उन बातों का खुलासा करती हैं, जो राज परिवारों की इज्जत को आग लगाती रही हैं। फिल्म में विद्या बालन के साथ साथ माधुरी दीक्षित ने दमदार अभिनय किया है और दोनों ने मिलकर कार्तिक आर्यन के लहराते करियर को संभाल लिया है। हिंदी सिनेमा के दिग्गज निर्देशकों में शुमार अनीस बज्मी फिल्म ‘भूल भुलैया 3’ के निर्देशक है, उनसे ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल की खास मुलाकात।
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भूल भुलैया 3
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
‘भूल भुलैया 3’ की बंपर ओपनिंग की बधाई! फिल्म देखने के बाद लगता है कि इसकी कहानी अभी और आगे जाएगी?
(मुस्कुराते हुए) बहुत बहुत धन्यवाद! आपने तो मुझे शुरू से देखा है, मैं हमेशा खुद में मगन रहने वाला इंसान हूं। कामयाबी को सिर नहीं चढ़ने देता और नाकामी आती है तो उसे दिल से नहीं लगाता। ‘भूल भुलैया 3’ हमने बहुत दिल से बनाई है और खुशी है हमें इस बात की कि हमारी पूरी टीम की मेहनत रंग ला रही है।
आपको यकीन था कि पुनर्जन्म की कहानी दर्शकों को भाएगी?
हिंदुस्तान आज भी अपनी जड़ों से जुड़ा देश है। हम मंगल तक चले जाते हैं और मंगल का व्रत भी रखते हैं। परंपराओं में आस्था और अपने बूते कुछ कर ले जाने का विश्वास ही हमारा संबल है। मेरी फिल्ममेकिंग के आधार भी यही दोनों रहे हैं। मैंने हिंदी सिनेमा में बचपन से लेकर आज तक अपना जीवन बिताया है। और, ऊपरवाले का शुक्रगुजार हूं कि न जाने किस तरह मुझे बदलते वक्त की नब्ज का अंदाजा हो ही जाता है।
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अनीस बज्मी के साथ कियारा आडवाणी
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
इसकी वजह आप नई पीढ़ी के किशोरों और युवाओं से दोस्ती करने की अपनी आदत को मानते हैं?
कह सकते हैं। मैंने ये गुरुमंत्र अपने उस्ताद मनमोहन देसाई से सीखा है। उनकी आदत थी कि जब वह कुछ नहीं कर रहे होते थे, तो नई पौध के साथ वक्त गुजारा करते थे। उन्हें अपने से आधी और चौथाई उम्र के लोगों के साथ वक्त बिताने में बहुत मजा आता था। मैंने उनसे जब एक बार पूछा तो उन्होंने बताया कि ये ही सिनेमा का भविष्य हैं। इन्हीं के लिए तो आगे फिल्में बनानी हैं।
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अनीस बज्मी
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
आपके पिता अब्दुल हमीदबज्मीमशहूर शायर रहे हैं, उनका कितना असर है आपके सिनेमा पर?
वालिद साब के बारे में हम पहले भी बात कर चुके हैं, लेकिन उनका इतना असर है मेरी शख्सियत पर कि हम अब भी घंटों इस पर बात कर सकते हैं। उन्होंने सबसे पहली जो बात मुझे सिखाई वह थी हुनरमंदों की इज्जत करना और उनके अदब में खुद को निसार कर देना। हुनरमंदों की सेवा में जो आशीर्वाद मिलता है, उसका मुकाबला ही नहीं है। मैंने भी शुरू के दौर में शायरी करने की कोशिश की लेकिन फिर मुझे लगा कि मुझे सुनाना नहीं दिखाना अच्छे से आता है।
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