आज सुबह-सुबह ही यह दुर्भाग्यपूर्ण समाचार मिला कि चिंटू सर, ऋषि कपूर जी हम सभी को छोड़ कर चले गए। काफी दिनों से वह भी कैंसर से लड़ रहे थे। लेकिन जब वह ठीक होकर अमेरिका से आ गए थे तो मुझे लगा कि जैसे दूसरों ने ठीक होकर वापसी की है वैसे उन्होंने यह लड़ाई जीत ली है, क्योंकि वह हमेशा से ही एक फाइटर रहे हैं।
EXCLUSIVE: जब ऋषि कपूर ने अपनी फिल्म के राइटर से सीखा बुक माई शो चलाना और थपकी देकर चले गए
मेरा अपना अनुभव उनके साथ फिल्म 'बेशर्म' में था। जब मैंने 'बेशर्म' लिखी थी तो यह मेरा सौभाग्य था या यूं कहें कि सपना सच होने जैसा था कि मैं इंडस्ट्री के तीन सबसे सहज और सबसे बेहतरीन कलाकारों के साथ काम करने जा रहा था। ऋषि कपूर, नीतू कपूर और रणबीर कपूर। यह शायद इकलौती फिल्म है जिसमें मां-बाप और बेटे ने एकसाथ काम किया है। रणबीर से तो मैं फिल्म शुरू होने से पहले भी मिल चुका था। ऋषि सर से मेरी मुलाकात फिल्म के सेट पर ही हुई।
मैं फिल्म का लेखक भी था और अभिनव (अभिनव कश्यप, निर्देशक) सर का चीफ असिस्टेंट डायरेक्टर भी। ऋषि सर से जब पहली बार मिला था तब बहुत ही कम बातचीत हुई थी। उन्होंने मेरा नाम पूछा मैंने उन्हें राजीव बर्नवाल बताया। लेकिन उन्होंने मुझे कर्णवाल बोला क्योंकि जब उन्होंने 'अग्निपथ' की थी तब वहां किसी का नाम कर्णवाल होगा। ऋषि सर ने कहा कि बड़ी मुश्किल से मैंने वह कर्णवाल याद किया था तो मैं तुम्हें बर्नवाल नहीं कर्णवाल ही बुलाऊंगा। और वह मुझे पूरी शूटिंग के दौरान कर्णवाल ही बुलाते रहे।
ऋषि सर सेट पर आते थें तो वहां का माहौल अचानक से एक बिना तैयार किए अनुशासन में आ जाता था। शायद यह उनका वर्षों का अनुभव ही था कि उनकी बेबाकी, बेबाकी नहीं थी। उनका सीधे अपनी बात कह देने की आदत शायद उनके पुराने और वर्षों के अनुभव से ही आई थी। वह फिल्म से जुड़ी हर एक चीज को जानते थे। क्योंकि उन्होंने निर्देशन भी किया हुआ था, और वह कमाल के अभिनेता थे। उन्हें सब कुछ पता था। यहां तक कि वह निर्देशक को भी टोकने से चूकते नहीं थे।
एक चीज थी कि वह समय के बहुत पाबंद थे और बहुत जुनून से काम करते थे। मतलब कैमरा चालू होने के बाद ऐसा लगता ही नहीं था कि वह किरदार नहीं हैं। उन्हें अभिनय करते हुए भी देखना एक बड़ा अनुभव था। पूरी शूटिंग के दौरान हम सब उनसे थोड़ा डरे-डरे ही रहते थे। यह शायद डर नहीं बल्कि डर से अधिक उस व्यक्तित्व की इज्जत थी जिसे देखकर हम बड़े हुए थे। हालांकि नीतू मैम के साथ हम मस्ती मजाक भी कर लेते थे। रणबीर हमेशा सेट पर सबके साथ बातें करते थे। लेकिन ऋषि सर की अपनी एक आभा थी और उसका आदर हमने हमेशा शूटिंग के दौरान किया।