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Holi 2022 Celebration of Celebs From Banaras, Kanpur, West Bengal, Madhya Pradesh, Bihar, Punjab, Gujarat, Uttar Pradesh, Delhi
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Holi 2022: यहां साड़ियों में बांधकर होली पर देवरों की होती है पिटाई, कलाकारों ने बताए अलग अलग राज्यों की होली के किस्से
अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
Published by: वर्तिका तोलानी
Updated Fri, 18 Mar 2022 07:56 AM IST
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होली का जश्न
- फोटो : अमर उजाला, मुंबई
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रंगों का उत्सव होली दो साल बाद पूरे देश में इस बार अपने नाम के हिसाब से रंगीन हो रहा है। देश के अलग अलग राज्यों में इसे मनाने के तरीके भी निराले हैं। कहीं होली लट्ठमार होती है तो कहीं पानी से भरी टंकियों का आकर्षण रहता है। बनारस में मसाने की होली दिखने दुनिया भर से लोग आते हैं तो कानपुर में लगा रंग तो गंगा मेले में ही जाकर उतरता है। बंगाल की होली निराली है तो मध्य प्रदेश में ये हर दिल की धड़कन बन जाती है। बिहार, पंजाब और गुजरात की होलियों के किस्से भी कम नहीं हैं। तो इस बार हमने कोशिश की इन अलग अलग राज्यों के कलाकारों से ये जानने की कि आखिर उनकी अपने घरों की होली की यादें क्या हैं?
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विदिशा श्रीवास्तव
- फोटो : अमर उजाला, मुंबई
यूपी की होली के पौराणिक रंग
धारावाहिक ‘भाबीजी घर पर है’ में नई अनीता भाबी बनकर आईं विदिशा श्रीवास्तव बनारस से हैं। वह बताती हैं, ‘‘उत्तर प्रदेश में होली राधा एवं कृष्ण की अलौकिक जोड़ी के प्रेम से जुड़ी पौराणिक कथाओं में निहित परंपराओं के आधार पर मनाई जाती है। इसके बावजूद अलग-अलग शहरों में होली अलग-अलग तरीके से मनाई जाती है। मथुरा में राधा रानी मंदिर के परिसर में अपनी तरह की एक अनूठी ‘लट्ठ मार होली‘ खेली जाती है। कानपुर में होली का त्योहार सात दिनों तक चलता है और रंगों से सराबोर रहता है। होली उत्सव के आखिरी दिन गंगा मेला या होली मेला के नाम से बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है। ‘शिव की नगरी‘ के रूप में लोकप्रिय वाराणसी में होली की शुरूआत होलिका दहन के साथ होती है और गंगा घाट होली के खूबसूरत रंगों से भर जाते हैं। यहां मसाने की होली देखने तो देश विदेश से लोग आते हैं। मैं सभी दर्शकों एवं प्रशंसकों को होली की शुभकामनाएं देना चाहूंगी। भगवान करे कि आप सभी का जीवन खुशी, स्वास्थ्य एवं आनंद से भरपूर हो।”
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मौली गांगुली
- फोटो : अमर उजाला, मुंबई
बंगाल की डोल जतरा
पश्चिम बंगाली की होली के बारे में हमने ‘बाल शिव‘ में महासती अनुसुइया का किरदार निभा रही मौली गांगुली से जाना। वह बताती हैं, ‘‘कोलकाता में हम डोल यात्रा या डोल पूर्णिमा का जश्न मनाते हैं, जोकि होली की तरह ही है और लोग और भी ज्यादा पारंपरिक तरीके से इसका जश्न मनाते हैं। डोल जतरा अपने त्योहारी रंगों के लिये मशहूर है और भगवान कृष्ण एवं राधा के शाश्वत प्रेम का प्रतीक है। इस त्योहार के दौरान यदि आप कोलकाता की सड़कों से गुजरते हैं, तो गुलमोहर एवं पलाश के फूलों से लदे पेड़ों को देखकर अपने आप दिल खुश हो जायेगा। डोल परंपरा की शुरूआत बसंत उत्सव का जश्न मनाने के लिये शांतिनिकेतन जाने की योजना बनाने वाले बड़े-बुजुर्गों के पांवों पर अबीर रखने के साथ होती है। मेरी तरफ से सभी लोगों को होली की शुभकामनाएं!”
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पवन सिंह
- फोटो : अमर उजाला, मुंबई
दिल्ली की म्यूजिकल होली
धारावाहिक ‘और भई क्या चल रहा है?‘ में जफर अली मिर्जा का किरदार निभा रहे पवन सिंह कहते हैं, ‘‘मेट्रो शहर होने के कारण हमें दिल्ली में विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं का संगम देखने को मिलता है। होली के जश्न की शुरूआत आमतौर पर ‘तिलक‘ की परम्परा के साथ होती है, जिसमें व्यक्ति के माथे पर लगाया गया रंगों का टीका सम्मान का प्रतीक है और आत्मविश्वास को दर्शाता है। दिल्लीवासी दिन भर गाने बजाकर होली मनाते हैं और ‘म्यूजिकल होली‘ मनाने में विश्वास रखते हैं। दिल्ली में होली के दौरान बड़ी-बड़ी पार्टियां होती हैं, जब लोग टोलियां बनाकर अपने घरों से निकलते हैं और एक-दूसरे के चेहरे पर तब तक रंग लगाते हैं, जब तक कि उन्हें पहचानना मुश्किल न हो जाये। दिल्ली में होली मनाने का अपना एक अलग ही मजा है और इस साल मैं होली पर दिल्ली जाने और मौज-मस्ती के साथ इस त्योहार का जश्न मनाने की पूरी कोशिश करूंगा। मेरी ओर से सभी लोगों को सुखद एवं सुरक्षित होली की शुभकामनाएं!”
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कामना पाठक
- फोटो : अमर उजाला, मुंबई
एमपी की रंग पंचमी की शान
‘हप्पू की उलटन पलटन‘ में राजेश की भूमिका निभा रहीं कामना पाठक मध्य प्रदेश की होली का बखान करते हुए कहती हैं, ‘‘मध्य प्रदेश में होली का जश्न दो दिनों तक चलता है। पहले दिन अलग-अलग मंदिरों द्वारा होलिका दहन का आयोजन किया जाता है। दूसरे दिन, होली की असली हुड़दंग शुरू होती है, क्योंकि लोग सर्दियों के मौसम को विदाई देते हैं और एक-दूसरे को रंगों से सराबोर करके नये मौसम का स्वागत करते हैं तथा गुझिया एवं लड्डू जैसी मिठाइयों का एकसाथ बैठकर आनंद उठाते हैं। नाच, गाना और ढोल की पारंपरिक धुन इस अवसर को और भी खुशनुमा बना देती है। होली के पांच दिनों के बाद राज्य के जनजातीय समुदाय द्वारा रंग पंचमी का जश्न मनाया जाता है। दोस्तों एवं परिवारवालों के साथ मुझे होली का त्योहार मनाना अच्छा लगता है।”
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