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संजू बाबा के साथ इसलिए जैकी श्रॉफ ने की प्रस्थानम, बेटे टाइगर को लेकर कह दी ये बड़ी बात
अक्षित त्यागी, अमर उजाला, मुंबई
Published by: भावना शर्मा
Updated Wed, 04 Sep 2019 08:55 AM IST
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jackie shroff
- फोटो : social media
पहली बार देव आनन्द की फिल्म स्वामी दादा में नजर आए जैकी श्रॉफ को सुभाष घई की फिल्म हीरो ने सुपरस्टार बनाया। 38 साल हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में बिता चुके 62 साल के जयकिशन काकूभाई श्रॉफ सिनेमा की खेमेबाजी से दूर अब भी सिर्फ काम से मतलब रखते हैं। अपनी आने वाली फिल्म प्रस्थानम में वह एक सियासी परिवार के वफादार रक्षक बने हैं।
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Jackie Shroff
- फोटो : social media
संजय दत्त और आपके रिश्ते की फिल्म प्रस्थानम नई बानगी मानी जा रही है, क्या कहेंगे इस बारे में?
संजू बाबा और मैंने कई फिल्मों में साथ काम किया। हमारी आखिरी फिल्म कारतूस थी। इतने साल बाद फिर संजू के साथ काम करने का मौका मिला तो अच्छा लगा। मैं उनके पिता सुनील दत्त का फैन रहा हूं। उन्हीं की तरह काला टीका लगाकर अपने एरिया में घूमता था। संजय दत्त शुरू से मेरे दोस्त रहे हैं। दोस्त की बात को कैसे मना करता? फिल्म प्रस्थानम मेरा किरदार भी दमदार है। सॉलिड डांस है और दमदार एक्शन।
संजू बाबा और मैंने कई फिल्मों में साथ काम किया। हमारी आखिरी फिल्म कारतूस थी। इतने साल बाद फिर संजू के साथ काम करने का मौका मिला तो अच्छा लगा। मैं उनके पिता सुनील दत्त का फैन रहा हूं। उन्हीं की तरह काला टीका लगाकर अपने एरिया में घूमता था। संजय दत्त शुरू से मेरे दोस्त रहे हैं। दोस्त की बात को कैसे मना करता? फिल्म प्रस्थानम मेरा किरदार भी दमदार है। सॉलिड डांस है और दमदार एक्शन।
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Tiger Shroff Jackie Shroff
- फोटो : twitter
लोग कहते हैं सिनेमा बदल गया है, आपका सिनेमा चुनने का तरीका भी बदला है क्या?
नहीं बिलकुल नहीं। सिनेमा कितना भी बदल जाए लेकिन जज्बात और आंसुओं का रंग कभी नहीं बदलता। वैसे भी मैं अपने करियर पर ज्यादा सोचता नहीं हूं कि कौनसी फिल्म करूं या आगे क्या करना है। किसी किसी का तरीका होता है कि बड़े बैनर्स के साथ तीन फिल्में एक साल में साइन कर लेते हैं पर मैं वैसा नहीं करता। जो मुझे सही लगता है वही करता हूं।
नहीं बिलकुल नहीं। सिनेमा कितना भी बदल जाए लेकिन जज्बात और आंसुओं का रंग कभी नहीं बदलता। वैसे भी मैं अपने करियर पर ज्यादा सोचता नहीं हूं कि कौनसी फिल्म करूं या आगे क्या करना है। किसी किसी का तरीका होता है कि बड़े बैनर्स के साथ तीन फिल्में एक साल में साइन कर लेते हैं पर मैं वैसा नहीं करता। जो मुझे सही लगता है वही करता हूं।
जैकी श्रॉफ
- फोटो : सोशल मीडिया
हिंदी सिनेमा में बुजुर्ग कलाकारों के लिए मेन लीड वाली फिल्में कम ही बनती हैं, आपको कहीं खटकता है चरित्र अभिनेता के तौर पर काम करना?
बिल्कुल नहीं। एक कुर्सी के चार पैर होते हैं, मैं तो उस एक पैर का रोल भी करने को तैयार हूं। मैं हमेशा ऐसा ही करता हूं। देवदास में किया, मिशन कश्मीर में किया, रंगीला और 1942 ए लव स्टोरी में भी किया। मैंने कहा ना कि मैं बहुत ज्यादा दिमाग नहीं लगाता फिल्में करने में। जो अच्छा लगा सो कर दिया, बिंदास।
बिल्कुल नहीं। एक कुर्सी के चार पैर होते हैं, मैं तो उस एक पैर का रोल भी करने को तैयार हूं। मैं हमेशा ऐसा ही करता हूं। देवदास में किया, मिशन कश्मीर में किया, रंगीला और 1942 ए लव स्टोरी में भी किया। मैंने कहा ना कि मैं बहुत ज्यादा दिमाग नहीं लगाता फिल्में करने में। जो अच्छा लगा सो कर दिया, बिंदास।
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jackie shroff
क्या टाइगर ने वह कर दिखाया है जो आप एक पिता की तरह उनसे चाहते थे?
मैंने बेटे को कभी इसलिए पैदा नहीं किया कि उससे काम कराऊं। मैं आज भी चाहता हूं उसे कुछ न करना पड़े। मैंने एक ही काम अपनी मर्जी का किया उसके साथ कि उसे बचपन में ही स्पोर्ट्स में डाल दिया। आज कोई बच्चा मिलता है तो बोलता है ये टाइगर का पिता है। मैंने 220 फिल्में की हैं और पहचान मेरी टाइगर के पिता की है। यही जीवन का असली सुख है।
मैंने बेटे को कभी इसलिए पैदा नहीं किया कि उससे काम कराऊं। मैं आज भी चाहता हूं उसे कुछ न करना पड़े। मैंने एक ही काम अपनी मर्जी का किया उसके साथ कि उसे बचपन में ही स्पोर्ट्स में डाल दिया। आज कोई बच्चा मिलता है तो बोलता है ये टाइगर का पिता है। मैंने 220 फिल्में की हैं और पहचान मेरी टाइगर के पिता की है। यही जीवन का असली सुख है।