काफी समय से साउथ वर्सेस बॉलीवुड को लेकर बाते होती आ रही हैं। कभी कभी तो लगता है कि अब बस हो गया। लेकिन इस मुद्दे पर जितनी भी बार चर्चा होती है। एक नई बात निकलकर सामने आती है। 'रॉकेट्रीः द नंबी इफेक्ट' के बाद आर माधवन की नई फिल्म 'धोखा राउंड डी कॉर्नर' का टीजर आज रिलीज हो चुका है। इस फिल्म और अपने किरदार को लेकर आर माधवन ने कहा, 'इस फिल्म का शीर्षक ऐसा है कि अगर इसके बारे में कुछ भी बोलूंगा तो सबको लगेगा कि झूठ ही बोल रहा हूं। लेकिन इस फिल्म ने नंबी नारायण के किरदार से निकलने में काफी मदद की है।'
R Madhavan : साउथ vs बॉलीवुड विवाद पर बोले माधवन, सिर्फ छह फिल्में चल जाने से सिनेमा का पैटर्न नहीं बदल जाता
नंबी नारायण पर आर माधवन पिछले छह वर्षो से काम कर रहे थे। जब भी हम किसी किरदार पर लंबे समय तक काम करते हैं, तो हमारी सोच वैसे ही हो जाती है। आर माधवन कहते हैं, 'पिछले छह साल से नंबी नारायण का किरदार जी कर मैं थक चुका था। इस किरदार से निकलने के लिए मुझे एक ऐसी फिल्म चाहिए थी जो उस किरदार की जर्नी से मुझे बाहर निकाले। 'धोखा' की शूटिंग के दौरान मैंने नंबी नारायण के किरदार से निकलने की कोशिश की, हालांकि इस फिल्म की शूटिंग कोविड के दौरान हुई थी, तो सबके दिल में हमेशा एक डर बना रहता था कि पता नहीं क्या होगा ? लेकिन ईश्वर की कृपा रही कि बिना किसी नुकसान के हमने फिल्म की शूटिंग पूरी कर ली। अब यह फिल्म रिलीज होने वाली है।'
आर माधवन के बारे में कहा जाता है कि वह सिर्फ गिनी चुनी ही फिल्में करते है। वह कहते है, 'आज के समय में जिस तरह से प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। उसे देखते हुए हमें भी अपने किरदार पर बहुत मेहनत करनी पड़ती है। आज रियलिटी शो में छोटे-छोटे बच्चों को देखता हूं, कितनी प्रतिभा भरी है उनके अंदर। उन्हें देखकर कभी कभी मुझे भी टेंशन हो जाती है। मैं अभिनेता के तौर पर खुद को देखता हूं, तो उनके मुकाबले खुद को कहीं भी नहीं पता हूं। आज तो सिक्स और एट पैक्स का भी चलन शुरू हो गया है। अगर हम अपनी फिल्मों के लिए अच्छा काम नहीं करेंगे तो इनके सामने कहीं भी नहीं टिकेंगे।'
अक्सर साउथ वर्सेस बॉलीवुड का जिक्र छिड़ ही जाता है। खासकर ऐसे कलाकार के साथ जो साउथ और हिंदी सिनेमा का कॉमन चेहरा होता है। आर माधवन भी इस मुद्दे पर पहले भी काफी कुछ बोल चुके हैं। लेकिन इस बार फिल्मों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ छह फिल्में चल जाने से सिनेमा का पैटर्न नही बदल जाता है। आर माधवन ने जब पूछा गया कि हिंदी सिनेमा पर साउथ की फिल्में हावी हो रही हैं। तो क्या माना जाए कि सिनेमा का पैटर्न बदल रहा है। माधवन कहते है, 'पिछले कुछ सालों में बाहुबली, बाहुबली2, केजीएफ, केजीएफ 2, पुष्पा और आरआरआर फिल्में रिलीज हुई है जो सफल हुई हैं। सिर्फ इन छह फिल्मों की सफलता से सिनेमा का पैटर्न नही बदल जाता है। फिल्में साउथ की हों या बॉलीवुड की, वही चलेगी जिसे दर्शक पसंद करेंगे।
बहुत सारी साउथ की फिल्मों का हिंदी में रीमेक बन रहा है। आर माधवन कहते है, 'ऐसा नहीं है कि सिर्फ साउथ की ही फिल्मों का हिंदी में रीमेक बना है। हिंदी की भी बहुत सारी फिल्मों का साउथ में रीमेक बना है। मेरी ही फिल्म 'थ्री इडियट' को ही देख लीजिए, इसका भी तमिल में रीमेक बना है। लेकिन मुझे व्यक्तिगत रूप से रीमेक फिल्मों में काम करना खुद पसंद नही है। क्योंकि एक बार जो आप किरदार निभा चुके हैं। फिर उसी किरदार को उसी तरह से निभा पाना मेरे लिए मुश्किल है। मुझे इस बात से कोई ऐतराज नहीं है कि लोग रीमेक करते हैं। लेकिन मुझे अपनी फिल्म की रीमेक में काम करना बहुत मुश्किल लगता है।