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Secrets Of Kohinoor: मुझे लगा था डॉक्यूमेंट्री में काम के पैसे नहीं मिलेंगे, मनोज बाजपेयी का दिलचस्प खुलासा

अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई Published by: मोहम्मद फायक अंसारी Updated Thu, 28 Jul 2022 06:29 PM IST
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Secrets Of Kohinoor: Manoj Bajpayee reveled that he thought actors would not get paid for documentary
मनोज बाजपेयी - फोटो : अमर उजाला, मुंबई
दुनिया के सबसे खूबसूरत और सबसे बड़े तराशे गए हीरों में से एक कोहिनूर हीरा सदियों से गहरे राज और रहस्य छुपाए हुए है। ब्रिटिश शासन के दौरान छीन लिए गए भारत के सबसे बेशकीमती हीरे के इर्द गिर्द घूमती कहानी पर अब एक डाक्यूमेंट्री बनी है, ‘सीक्रेट ऑफ द कोहिनूर’। गुरुवार को मुंबई में हुए इस डाक्यूमेंट्री के ट्रेलर लांच पर इसके मेजबान मनोज बाजपेयी बोले कि डॉक्यूमेंट्री में काम करने का भी मुझे इतना पैसा मिलेगा, मैंने सोचा नहीं था। मुझे तो लगा था कि नीरज पांडे ऐसे ही मुझे काम करने को कह रहे हैं। और, मैंने भी ये सोचकर इसे कर दिया था कि इसी बहाने कुछ अलग करने का मौका मिलेगा।
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नीरज पांडे के साथ मनोज बाजपेयी - फोटो : अमर उजाला, मुंबई
अब समझ आया कोहिनूर का मतलब

मनोज बाजपेयी कहते हैं, ‘जब कोहिनूर की स्क्रिप्ट मेरे पास आई और मैंने इसे पढ़ा तब समझ में आया कि कोहिनूर का मतलब क्या है, इसका नाम कोहिनूर पड़ा कैसे? जब इस पर रिसर्च टीम काम करती है, उन सभी रहस्यों को ढूंढ कर लाती है। वर्षों तक चर्चा में रहने के बावजूद कोहिनूर के बारे में ऐसे कई तथ्य हैं, जिससे मैं अनजान था। मुझे यकीन है कि दुनिया के अधिकांश लोग भी इस बात से अनजान होंगे। इस डाक्यूमेंट्री में किए गए खुलासे ने मुझे भी हैरान कर दिया।'

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मनोज बाजपेयी-नीरज पांडे - फोटो : सोशल मीडिया
निर्देशक से शूटिंग पर हुई बहस

मनोज बाजपेयी कहते है, ‘इस तरह की डाक्यूमेंट्री करने का फायदा यह होता है कि इसमें आपको एक्टिंग नहीं करनी पड़ती है। इसमें थोडा एक्टिंग से रीलिफ मिल जाता है। हालांकि कई बार इसकी शूटिंग के दौरान हमारी निर्देशक राघव जैरथ से बहस भी हो जाती थी, क्योंकि जिस तरह से मैं काम करना चाह रहा था, उस तरह से राघव को पसंद नहीं था।  जिस तरह से राघव चाहते थे, मुझे पसंद नहीं था।  खैर, यह सब तो क्रिएटिव पार्ट है, ऐसा होता रहता रहता है।  हम सबकी यही कोशिश रहती है कि किसी भी तरह अच्छा काम होना चाहिए।’

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कोहिनूर की टीम के साथ मनोज बाजपेयी - फोटो : अमर उजाला, मुंबई
इतिहास की तारीखों से परेशानी

मनोज बाजपेयी इतिहास के छात्र रहे हैं। वह कहते हैं, ‘इसीलिए यह शो करने में बहुत अच्छा लगा। इतिहास से अगर तारीखें हटा दी जाएं तो एक स्टोरी की तरह पढ़ने में बहुत अच्छा लगता है। जब मैं पढाई कर रहा था तो मुझे तारीखएं याद करने में बहुत परेशानी होती थी, यही सोचता था कि किसी तरह से जल्दी पढ़ाई खत्म हो जाए, क्योंकि मुझे तो आना एक्टिंग में ही था।'  

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सीक्रेट्स ऑफ द कोहिनूर - फोटो : अमर उजाला, मुंबई
मुझे लगा मुफ्त में काम करना है

मनोज बाजपेयी कहते है, ‘जब नीरज पांडे पहली बार ‘सीक्रेट ऑफ सिनौली’ का ऑफर लेकर आए तो मुझे लगा कि ये तो डाक्यूमेंट्री है, इसमें क्या पैसे मिलेंगे ? चूंकि नीरज के साथ मेरे बहुत अच्छे संबंध है। मैंने उनके साथ 'स्पेशल छब्बीस', 'नाम शबाना' और 'अय्यारी' जैसी फिल्में की है तो सोचा था कि नीरज ऐसे ही इसका ऑफर लेकर आए होंगे। मैंने भी यह सोचकर हां बोल दिया कि अगर इस तरह के प्रोजेक्ट में पैसे नहीं भी मिलेंगे तो कोई बात नहीं क्योंकि मैंने सुना था कि डाक्यूमेंट्री के लिए लोग पैसे नहीं देते है। लेकिन मुझे ‘सीक्रेट ऑफ सिनौली’ के साथ साथ  ‘सीक्रेट ऑफ कोहिनूर’ के लिए भी अच्छे पैसे मिले।'

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