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CRPF bravery in Naxal stronghold preparing Forward Operating Base in 48 hours amidst attacks
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Naxal: नक्सलियों के गढ़ में 'CRPF' की जांबाजी, हमलों के बीच 48 घंटे में तैयार कर रहे 'फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस'
नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा दस्ते का नेतृत्व सीआरपीएफ के जांबाज करते हैं। घने जंगल में नक्सलियों के गढ़ में पहुंचकर सीआरपीएफ के जवान मात्र 48 घंटे में 'फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस' स्थापित कर देते हैं। भले ही मौसम कितना भी खराब क्यों न हो, जवानों द्वारा हैवी ड्यूटी क्रेन, जेसीबी और दूसरे उपकरणों की मदद से नया बेस तैयार कर दिया जाता है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश को भरोसा दिलाया है कि मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल 'सीआरपीएफ' और इसकी विशेष इकाई 'कोबरा', जिसे 'जंगल वॉरफेयर' में एक्सपर्ट माना जाता है, गृह मंत्री के भरोसे पर खरा उतरने में जुट गए हैं। इन बलों के साथ छत्तीसगढ़ पुलिस की विशेष इकाई डीआरजी और लोकल पुलिस भी रहती है।
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हालांकि, नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा दस्ते का नेतृत्व सीआरपीएफ के जांबाज करते हैं। घने जंगल में नक्सलियों के गढ़ में पहुंचकर सीआरपीएफ के जवान मात्र 48 घंटे में 'फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस' स्थापित कर देते हैं। भले ही मौसम कितना भी खराब क्यों न हो, जवानों द्वारा हैवी ड्यूटी क्रेन, जेसीबी और दूसरे उपकरणों की मदद से नया बेस तैयार कर दिया जाता है। नक्सलियों के हमले से बचाने के लिए मोबाइल टावर भी बेस के निकट ही खड़ा किया जाता है। टैंट लगने से पहले सीआरपीएफ अधिकारी व जवान, डॉक्टर/टीचर बन कर ग्रामीणों की मदद करते हैं। उन्हें दवाएं व जरुरत का दूसरा सामान मुहैया कराते हैं। लोगों का हेल्थ कार्ड, राशन कार्ड और आधार कार्ड बनवाते हैं। केंद्र सरकार की योजनाओं को लोगों तक पहुंचाते हैं।
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CRPF
- फोटो : Amar Ujala
बता दें कि कोबरा व सीआरपीएफ के सहयोग से सुरक्षा बलों ने विभिन्न राज्यों के नक्सल प्रभावित इलाकों में 289 नए शिविर खोले हैं। महज दस पंद्रह किलोमीटर की दूरी पर दो-दो सुरक्षा कैंप या 'फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस' स्थापित किए जा रहे हैं। इस स्थिति में नक्सलियों की कमर टूट रही है। पहले नक्सलियों द्वारा बटालियन को साथ लेकर सुरक्षा बलों पर हमला बोला जाता था। उसके बाद वे कंपनी पर सिमट गए। अब कंपनी की बजाए नक्सली एक छोटी सी टीम तक सिमटते जा रहे हैं। सीआरपीएफ के सूत्रों का कहना है, जंगल में 'फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस' स्थापित करना आसान काम नहीं होता। इस काम में आईईडी ब्लास्ट, यूबीजीएल (अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर) अटैक या नक्सली हमले का जोखिम सदैव बना रहता है।
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CRPF
- फोटो : Amar Ujala
सीआरपीएफ द्वारा जहां पर कैंप स्थापित किया जाता है, उससे पहले वहां कोई नहीं होता। लोकल मशीनरी और पुलिस, सीआरपीएफ के साथ ही कैंप साइट पर पहुंचती है। सबसे पहले जंगल के कुछ हिस्से को साफ कर कैंप के लिए उपयुक्त जगह तैयार की जाती है। कैंप तक पहुंचने वाले रूट को कई किलोमीटर तक सेनेटाइज कर दिया जाता है। इसके बाद ही जेसीबी अपना काम शुरु करती है। कैंप के चारों तरफ कई फुट चौड़ी खाई खोदी जाती है। उसके बाद कंटीली तार लगाते हैं। अगर मौसम खराब है तो भी जवान इस काम को तय समय सीमा में ही पूरा करते हैं। दूसरा चरण टैंट लगाने का होता है। कुछ दिनों बाद पोटा केबिन बनते हैं। नक्सलियों के चलते आसपास की सड़कें पहले से ही क्षतिग्रस्त रहती हैं, ऐसे में जरुरत का सामान भी सीआरपीएफ जवान ही कैंप तक ले जाते हैं।
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CRPF
- फोटो : Amar Ujala
बरसात में राशन, डीजल या गैस सिलेंडर, कई फुट पानी और दलदल में मैस तक यह सप्लाई जवानों द्वारा ही की जाती है। 'फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस' तैयार होने के दौरान, सीआरपीएफ अधिकारी और जवान, ग्रामीणों का हाल जानने के लिए उनके पास पहुंचते हैं। उन्हें जरुरत का सामान मुहैया कराते हैं। एक अधिकारी के मुताबिक, नक्सलियों द्वारा इन इलाकों में ग्रामीणों को डरा धमका कर रख जाता है। गांव के लोगों तक केंद्र एवं राज्य सरकार की योजनाएं नहीं पहुंचने दी जाती। नक्सलियों के भय के चलते लोकल प्रशासन भी उन तक नहीं पहुंच पाता। सीआरपीएफ जवान, ग्रामीणों का इलाज करते हैं, उन्हें निशुल्क दवाएं मुहैया कराते हैं। बच्चों को कापी किताबें देते हैं। कई जगहों पर टैंटों या गांव के स्कूल में बच्चों को पढ़ाने का काम भी सीआरपीएफ करती है।
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CRPF
- फोटो : Amar Ujala
ग्रामीण कहते हैं कि उनके पास तो आधार कार्ड, राशन कार्ड या आयुष्मान भारत कार्ड भी नहीं है। दूसरी सरकारी योजनाओं का लाभ भी उन्हें नहीं मिलता। इसके बाद जवानों द्वारा उन्हें विस्तार से सरकारी योजनाओं की जानकारी देकर उनके कार्ड तैयार कराए जाते हैं। विशेष आधार शिविर लगाए जाते हैं। अभी तक 14000 से ज्यादा ग्रामीणों का आधार कार्ड बनवाया गया है। इसके लिए 253 विशेष आधार कैंप लगाए गए हैं। 589 लोगों को वन अधिकार पट्टा वितरण प्रदान किया गया है। दस तरह की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। 10 हजार से अधिक लोगों के राशन कार्ड बनवाए गए हैं। 19 सौ से ज्यादा लोगों को पेंशन का भुगतान कराया गया है। 40 आंगनवाड़ी केंद्र खोले जा चुके हैं। कुल 113 केंद्र खोले जाने है।
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