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Leh Violence: ...तो सुनियोजित थी लद्दाख को अशांत करने की साजिश, स्थानीय लोग बोले- इसमें बाहरी तत्वों का हाथ

अमर उजाला ब्यूरो, जम्मू Published by: आकाश दुबे Updated Wed, 24 Sep 2025 09:48 PM IST
सार

वर्ष 2019 में एकीकृत जम्मू-कश्मीर राज्य से अलग होकर केंद्र शासित प्रदेश बन जाने के बाद से ही लद्दाख के निवासी अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। इनमें स्थानीय युवाओं को सरकारी नौकरियां और रोजगार भी एक बड़ा मुद्दा है।

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Local people said there is a possibility of external elements being involved in arson
लेह में हिंसक प्रदर्शन - फोटो : अमर उजाला

लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा देने के लिए चल रहे आंदोलन में हिंसा अचानक नहीं भड़की बल्कि यह लद्दाख जैसे शांत क्षेत्र को अस्थिर करने की सुनियोजित साजिश थी। स्थानीय लोगों को इसमें बाहरी तत्वों का हाथ होने की भी आशंका है। उनके अनुसार लद्दाख जैसे संवेदनशील प्रदेश में इससे पहले इस तरह की स्थिति कभी देखने को नहीं मिली। 

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लद्दाख में प्रदर्शन - फोटो : PTI

वर्ष 2019 में एकीकृत जम्मू-कश्मीर राज्य से अलग होकर केंद्र शासित प्रदेश बन जाने के बाद से ही लद्दाख के निवासी अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। इनमें स्थानीय युवाओं को सरकारी नौकरियां और रोजगार भी एक बड़ा मुद्दा है। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से इस साल मई में डोमिसाइल नीति लाकर उनके रोजगार संबंधी मसले को हल करने का प्रयास किया गया था, लेकिन लोग अलग लद्दाख लोक सेवा आयोग और लद्दाख कर्मचारी चयन आयोग की मांग कर रहे हैं। वे लद्दाखी डोमिसाइल नीति से भी संतुष्ट नहीं थे। उनका कहना था कि इसे उस रूप में नहीं दिया गया जैसा वे चाहते थे। 

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लेह प्रदर्शन - फोटो : अमर उजाला

भाषा और संस्कृति के संरक्षण के साथ ही अपनी जमीन और संसाधनों पर अपने हक की लड़ाई वे प्रमुखता से लड़ रहे थे। कुछ ही समय पहले इस आंदोलन की बागडोर प्रख्यात पर्यावरणविद सोनम वांगचुक ने अपने हाथ में ली थी और वे लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाए जाने व संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे थे।

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लेह में हिंसक प्रदर्शन - फोटो : PTI

बुधवार को भी सब कुछ शांतिपूर्ण चल रहा था लेकिन इसी बीच अचानक कुछ युवाओं ने आकर इस शांतिपूर्ण आंदोलन में खलल डाल दिया। खलल इसलिए क्योंकि लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक मोर्चा (केडीए) के नुमाइंदों की केंद्रीय गृह मंत्रालय से छह अक्तूबर को बैठक तय हो चुकी थी।

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लेह में हिंसक प्रदर्शन। - फोटो : PTI

सोनम वांगचुक के इस बैठक को तय तिथि से पहले किए जाने के अनुराेध पर गृह मंत्रालय ने सकारात्मक रुख दिखाया था। लद्दाख के प्रतिनिधियों को 25 सितंबर को दिल्ली आने का न्योता दिया था। ऐसे में वे कौन लोग थे जो नहीं चाहते हैं कि लद्दाख अपनी मांगों के शांतिपूर्ण हल के रास्ते पर आगे बढ़े। लेह निवासी की ताशी के अनुसार स्थानीय युवा शांति के साथ धरना दे रहा था। निश्चित रूप से यह कुछ ऐसे लोगों ने किया जो ऐसा नहीं चाहते थे।

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